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आदिम युग में जी रहे ग्रामीण

मनेर नगर पंचायत का गांव अदलचक डुमरिया का पछेयारी टोला। थाने से महज तीन किलोमीटर दूर। प्रखंड कार्यालय से भी महज 500 मीटर की दूरी। लगभग चालीस परिवारों के छप्परों में 00 लोगों की आबादी। बगैर किसी मूलभूत...

 आदिम युग में जी रहे ग्रामीण
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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मनेर नगर पंचायत का गांव अदलचक डुमरिया का पछेयारी टोला। थाने से महज तीन किलोमीटर दूर। प्रखंड कार्यालय से भी महज 500 मीटर की दूरी। लगभग चालीस परिवारों के छप्परों में 00 लोगों की आबादी। बगैर किसी मूलभूत सुविधा के। जाति विशेष के इस गांव में शिक्षा और विकास की किरण आजादी के 61 साल बाद भी नहीं पहुंची है जबकि राजधानी से इसकी दूरी महज 30 किमी है।ड्ढr ड्ढr अदलचक डुमरिया तब चर्चे में आया जब यहां डायन कहकर एक महिला को बाल काट कर पेड़ में बांधा गया और गांव में घुमाया गया। फिलहाल इस गांव में एक भी मर्द नहीं हैं। सभी भागे हुए हैं। महिलाएं डरी हैं। एक मोटरसाइकिल की आवाज से भाग खड़ी होती हैं। मर्दो के भाग जाने से खेत में खड़ी गेहूं के फसल नष्ट हो रही हैं। ‘हिन्दुस्तान’ ने इस घटना के पीछे के सामाजिक कारणों और गांव की स्थिति को जानने का स्थल पर जाकर प्रयास किया। दरअसल अदलचक डुमरिया पूरी तरह अशिक्षा, गरीबी और अंधविश्वास की गिरफ्त में है। सड़क के नाम पर इस गांव में जाने के लिए महज चार फीट चौड़ा टूटे-फूटे ईंट सोलिंग का एक रास्ता है। गांव में शिक्षा के नाम पर महज एक प्राथमिक विद्यालय है जिसमें लगभग एक सौ साठ विद्यार्थी का नामांकन है पर उपस्थिति बिल्कुल नगण्य है। वर्ग 5 में 6 छात्र एवं छात्राएं हैं। इसके बाद दो सौ फीसदी ड्राप आउट्स हैं। गांव की एक भी लड़की प्राथमिक विद्यालय से ऊपर की शिक्षा ग्रहण करने के लिए किसी अन्य विद्यालय में नहीं जाती है। माध्याह्न् भोजन योजना लागू होने के कारण मास्टर साहब का ज्यादा समय हिसाब किताब में बीतता है।ड्ढr ड्ढr एक आंगनबाड़ी केन्द्र है जिसमें बच्चों की उपस्थिति प्राथमिक विद्यालय से ज्यादा है। यहां अंधविश्वास का बोलवाला है चूंकि स्वास्थ्य के नाम पर एक झोला छाप डाक्टर भी इस गांव में उपलब्ध नहीं है। गांव में बिजली का खंभा भी नहीं है। समाचार-पत्र की एक भी प्रति नहीं आती। सभी लोग शौच के लिए बाहर जाते हैं। पेयजल की स्थिति दयानीय है। लोग अपने स्तर से महज बीस फीट गहरे चापाकल का आर्सेनिक युक्त पानी को बाध्य है। अपनी स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के लिए इन्हें तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित मनेर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जाना पड़ता है। नगर पंचायत में रहने के कारण यहां की जमीन की कीमत यही है कि लोग जरूरत पड़ने पर इसे गिरवी भी नहीं रख सकते। यही कारण है कि गांव के आधे पुरुष बड़े शहरों में खप रहे हैं।ड्ढr ड्ढr पूरा गांव मनीआर्डर का इंतजार करता है। शिक्षा की किरण के यहां नहीं पहुंचने के कारण ही यहां अंधविश्वास का घना कोहरा छाया है। शायद यही वजह रही होगी कि राम अयोध्या राय की पत्नी जो काफी पहले से मानसिक रूप से बीमार चल रही थी, उसका इलाज मनोरोग चिकित्सक के बदले लालपरी जैसी अनपढ़, अशिक्षित महिला को बुलाकर किया गया। यह महिला कई महीने से भोले-भाले रामअयोध्या राय तथा उसके परिवार का आर्थिक एवं मानसिक शोषण कर रही थी। जब इन भोले-भाले लोगों को इसकी भनक लगी तो उन्होंने इस शर्मनाक घटना को अंजाम दिया।ं

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