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औरंगाबाद में साड़ियां खरीदने के लिए भी लोन

दुनिया में शायद ही कोई ऐसा बैंक हो जो साड़ियां खरीदने के लिए लोन देता हो लेकिन औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड में ऐसे दर्जनों बैंक हैं जो महिलाओं द्वारा महिलाओं के लिए ही संचालित हो रहे हैं जहां...

 औरंगाबाद में साड़ियां खरीदने के लिए भी लोन
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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दुनिया में शायद ही कोई ऐसा बैंक हो जो साड़ियां खरीदने के लिए लोन देता हो लेकिन औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड में ऐसे दर्जनों बैंक हैं जो महिलाओं द्वारा महिलाओं के लिए ही संचालित हो रहे हैं जहां उन्हीं की लघु बचतों को उनके लिए संजो कर रखा जाता है। शाम ढले किसी पेड़ की छांव में दरी पर संचालित होने वाले ये बैंक 2 से 3 फीसदी ब्याज दर पर अपनी सदस्य महिलाओं को साड़ी से लेकर मवेशी खरीदने और बिटिया की शादी से लेकर दवा खरीदने तक के लिए लोन मुहैया करा रहे हैं।ड्ढr ड्ढr दधपी गांव के स्वयं सहायता समूह- दुर्गा की सचिव सीता देवी बताती हैं कि उनके द्वारा पिछले कई सालों से बैंक चलाया जा रहा है और अब तो उनके बैंक की पूंजी बढ़ कर 1 लाख 40 हजार हो गई है जिसमें 70 हजार रुपए सरकार से अनुदान के रूप में मिले हैं। दधपी के ही स्वयं सहायता समूह-लक्ष्मी द्वारा बैंकिंग व्यवसाय से 35 हजार की पूंजी खड़ी की गई और यह समूह अब सदस्यों को लोन देकर उन्हें रेडीमेड कपड़े तैयार करने को प्रोत्साहित कर रहा है। मदनपुर के श्यामा समूह द्वारा 65 हजार की पूंजी खड़ी की गई जिसमें सरकारी अनुदान सिर्फ 10 हजार है। लेकिन इसी पूंजी से यह समूह आज स्वयं का पापड़ का उद्योग चला रहा है। इस मामले में उत्प्रेरक प्रियंका स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान की विमला देवी बताती हैं कि इन महिला बैंकों ने महिलाओं के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता का नया रास्ता खोल दिया है।ड्ढr यह आर्थिक आत्मनिर्भरता महिलाओं के सशक्तीकरण में किस कदर सहायक बनी है, यह बात ग्रामीण महिलाओं के आत्मविश्वास से दमकते चेहरों पर साफ देखी जा सकती है। इन महिलाओं की लघु बचतों का असर परिवार में उनकी स्थिति बेहतर बनाने में भी सहायक सिद्ध हो रहा है।

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