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कीमतों में उछाल से धीमी हो जाएगी विकास दर : पीएम

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा है कि अनाज का उत्पादन मांग के अनुपात में नहीं बढ़ रहा है। इसके चलते दुनिया-भर में खाद्यान्न की कीमतों में लगातार तेजी का दौर चल रहा है। यह तेजी महंगाई पर काबू पाने...

 कीमतों में उछाल से धीमी हो जाएगी विकास दर : पीएम
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा है कि अनाज का उत्पादन मांग के अनुपात में नहीं बढ़ रहा है। इसके चलते दुनिया-भर में खाद्यान्न की कीमतों में लगातार तेजी का दौर चल रहा है। यह तेजी महंगाई पर काबू पाने की कोशिशों को मुश्किल बना रही है। खाद्य उत्पादों की ऊंची कीमतों से जहां गरीबी उन्मूलन की कोशिशों को झटका लगेगा, वहीं यह देश की अर्थव्यवस्था और आर्थिक सुधारों के लिए भी बाधक बन रही हैं। प्रधानमंत्री ने यहां वैश्विक कृषि-उद्योग मंच के विशेष समारोह को संबोधित करते हुए ये बातें गुरुवार को कहीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि खाद्यान्नों की मांग के मुकाबले आपूर्ति का संकट खड़ा हो रहा है। तेल की ऊंची कीमतें इसका अहम कारण हैं। इसके चलते खाद्यान्न नीति निर्धारित करना एक जटिल काम हो गया है और इसमें अनिश्चितता आ गई है। डॉ. सिंह ने कहा कि भारत विश्व बाजार में खाद्यान्न की कीमतों में आई इस तेजी को लेकर चिंतित है। लेकिन इसके साथ ही हम बिना सोचे-समझे नियंत्रण लागू करने के दौर में भी नहीं जा सकते। साथ ही व्यापार की दर को कृषि के प्रतिकूल भी नहीं बनाया जा सकता है। प्रधानमंत्री का कहना था कि महंगे खाद्य पदार्थ गरीबी उन्मूलन के प्रयासों में कमी ला सकते हैं और रोगार-सृजन पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। हम जसे विकासशील देश इससे अधिक प्रभावित होंगे। खाद्य पदाथोर्ं की ऊंची कीमतें और इनकी कमी आर्थिक सुधारों को पटरी से उतार सकती हैं। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों की ऊंची कीमतों के चलते बॉयो ईंधन की मांग बढ़ रही है, जिसका खाद्यान्नों की उपलब्धता और कीमतों पर असर पड़ रहा है। घरलू संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में छोटे और सीमांत किसानों के लिए खेती आर्थिक रूप से घाटे का सौदा हो गयी है। इस मामले में हमें उनकी आय में बढ़ोतरी पर जोर देना होगा। उन्हें सब्सिडी नहीं, अधिक आमदनी चाहिए। खेती में अधिक निवेश के जरिए उन्हें नई तकनीक और विकास के संसाधनों की जरूरत है। इन किसानों को बेहतर बीज, विपणन सुविधाओं और भंडारण जसी ढांचागत सुविधाएं चाहिए। इसके साथ ही डॉ. सिंह ने कहा कि कृषि उत्पादों पर आधारित उद्योगों के विकास की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। इस तरह के उद्योगों से ग्रामीण क्षेत्र में रोगार के अवसर बढ़ेंगे। भारत जसे देश में ऐसे उद्योग स्थापित क रने की जरूरत है, जिनमें मशीनीकरण कम हो और श्रमिकों का ज्यादा उपयोग हो।

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