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सीलिंग हटाने का बढ़ा खेल

रांची। जनहित के नाम पर राज्य सरकार ने शहरी भू-हदबंदी कानून को बरकरार रखा है। इसके पीछे बड़ा खेल है। 30 कट्ठा से अधिक खाली जमीन सीलिंग के दायर में आ जाती है। सरकार उसे अधिग्रहित कर लेती है। फिर...

 सीलिंग हटाने का बढ़ा खेल
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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रांची। जनहित के नाम पर राज्य सरकार ने शहरी भू-हदबंदी कानून को बरकरार रखा है। इसके पीछे बड़ा खेल है। 30 कट्ठा से अधिक खाली जमीन सीलिंग के दायर में आ जाती है। सरकार उसे अधिग्रहित कर लेती है। फिर स्ीालिंग हटवाने का खेल शुरू होता है। जमीन को सीलिंग से हटाने का अधिकार भू- राजस्व मंत्री को भी है। इसके लिए इनका कोर्ट होता है।ड्ढr राज्य बनने के बाद मंत्री के यहां सीलिंग के 15 केस दायर हुए । सभी केस रांची शहर के जमीन का है। यहां से एक भी फैसला जमीन मालिक के खिलाफ नहीं हुआ है। तीन केस लंबित हैं। 12 केस के फैसले हुए है। सभी निर्णय भूधारी के पक्ष में ही हुए हैं। मंत्री के कोर्ट से रांची शहर के 3521 कट्ठा बेशकीमती भूमि जमीन मालिकों को दे दिये गये हैं। इसकी कीमत 350 करोड़ रुपये से अधिक है। केंद्र के बार-बार दबाव के बाद भी झारखंड से शहरी भू-हदबंदी कानून नहीं हटा। राज्य बनने के बाद जितने भी भू-राजस्व मंत्री हुए सभी ने भू-हदबंदी हटाने का विरोध किया। विरोध करने का और जो कारण हो, एक यह महत्वपूर्ण है कि सीलिंग का कानून हटते ही मंत्री सीलिंग हटाने के अधिकार से बंचित हो जायेंगे। सीलिंग हटाने के विरोध का एक राज यह भी बताया जाता है। सीलिंग से जमीन के फ्री कराने के पीछे दिलचस्प खेल है। जिनकी पहुंच मंत्री तक हुई,फैसला उनके पक्ष में हुआ। सीलिंग के केस में मंत्री के यहां सरकार सभी मुकदमा हार गयी। किसी के खिलाफ सरकार हाई कोर्ट नहीं गयी। डीसी और कमीशनर के यहां सरकार जीती थी । राज्य बनने के बाद डीसी और कमिश्नर के फैसले के खिलाफ जमीन मालिक मंत्री के दरबार पहुंचे। फैसला पक्ष में हो गया। सरकार को हाईकोर्ट जाना चाहिए था - बीरू बाबूड्ढr सिविल मामलों के विशेषज्ञ वकील बीरंद्र नारायण राय ऊर्फ बीरू बाबू का कहना है कि सीलिंग हटाने का सक्षम अधिकारी डीसी घोषित हैं। उनके यहां पारित फैसले का अपील डिवीजनल कमिश्नर के यहां होता है। इन फैसलों पर मंत्री कोर्ट को रिव्यू करने का अधिकार है। मंत्री कोर्ट के फैसले से अगर सरकार संतुष्ट नहीं होती है, तो उसे हाईकोर्ट में रिट करने का अधिकार है। जिस ढंग से मंत्री के कोर्ट में भू-धारी के पक्ष में फैसले हुए और सरकार हारी उसके खिलाफ सरकार को हाईकोर्ट जाना चाहिए था।ड्ढr तीन मामले वर्षो से पेंडिंगड्ढr मंत्री कोर्ट में दायर तीन मामले वर्षो से पेंडिंग हैं। वर्तमान मंत्री दुलाल भुइंया के कोर्ट में कोई मामला दायर नहीं हुआ है। वर्ष 105 एवं 06 में दायर नंदकिशोर पोद्दार, कुसुम सिन्हा एवं अलखदेव नारायण सिंह का केस अब तक पेंडिंग है। इसका निष्पादन नहीं होना भी काफी महत्वपूर्ण है।मुहल्लाजमीन और मूल्यभृधारी का नाममंत्रीफैसले की तिथिड्ढr गंगा मोटर्स, हेहल400 कट्ठा- 40 करोड़सुकुमार मुखर्जीमधु सिंह17.11.03ड्ढr मोहराबादी122 कट्ठा- 12 करोड़हनुमान पोद्दारसीपी चौधरी 6.4.06ड्ढr टैगोर हिल11 कट्ठा- 1.10 करोड़प्रो केसी बोससीपी चौधरी 30.8.06ड्ढr दीपाटोली, गाड़ी31ट्ठा- 32 करोड़जनदेव चौधरीमधु सिंह103ड्ढr दीपाटोली, गाड़ी350 कट्ठा- 35 करोड़जसदेव चौधरीमधु सिंह103ड्ढr बरियातू20 कट्ठा- दो करोड़केसी बनर्जी मधु सिंह7.4.04ड्ढr बरियातू73 कट्ठा- 7.30 करोड़कमरूजमा खांमधु सिंह104ड्ढr मोरहाबादीो- 0 करोड़हनुमान पोद्दारसीपी चौधरी25.2.06ड्ढr सेवा सदन हेहल278 कट्ठा- 27.80 करोड़विशानी नारायणसीपी चौधरी205ड्ढr सामलौंग208 कट्ठा- 20 करोड़सुपिरियर मार्शलमधु सिंह17.3.04ड्ढr कोकर135 कट्ठा- 13 करोड़एसएन जायसवालमधु सिंह4.2.04ड्ढr हेहल सर्ड1512 कट्ठा- 151 करोड़अरुण नाथ शाहदेवमधु सिंह18.3.04 ड्ढr ं

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