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प्रश्नपत्र की गड़बड़ियां गिरा रहीं पीयू की साख

यकीन नहीं होता कि ऐतिहासिक पटना विवि के इस सत्र में अब तक कई विषयों के परीक्षा प्रश्न पत्र में विसंगतियां उभरी हैं। हंगामा हुआ और छात्रों ने परीक्षा का बहिष्कार किया। पर, यह सच्चाई है और इससे बिहार...

 प्रश्नपत्र की गड़बड़ियां गिरा रहीं पीयू की साख
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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यकीन नहीं होता कि ऐतिहासिक पटना विवि के इस सत्र में अब तक कई विषयों के परीक्षा प्रश्न पत्र में विसंगतियां उभरी हैं। हंगामा हुआ और छात्रों ने परीक्षा का बहिष्कार किया। पर, यह सच्चाई है और इससे बिहार के अव्वल नंबर पर रहने वाले पटना विश्वविद्यालय की साख पर सवाल खड़े हुए हैं। इस स्थिति के लिए पूरी तरह से विवि प्रशासन जिम्मेवार है। स्नातक की परीक्षाओं में तो मॉडरेशन बोर्ड नहीं होता है लेकिन स्नातकोतर की परीक्षाओं में बोर्ड द्वारा ही प्रश्नों को सेट तैयार कराने का प्रावधान है।ड्ढr ड्ढr अब स्नातकोतर की परीक्षाओं में जिस प्रकार से सिलेबस से बाहर से प्रश्न पूछे जा रहे हैं उसको लेकर मॉडरेशन बोर्ड पर ही सवाल खड़े किए जाने लगे हैं। प्रश्नों के सिलेबस से बाहर से पूछे जाने का खामियाजा आम छात्रों को भुगतना पड़ता है। विवि सूत्रों की मानें तो मॉडरेशन बोर्ड यहां पर काम ही नहीं कर रहा है। अब इस स्थिति में प्रश्नों को सेट करने के लिए क्या पति अपनायी जा रही है इस संबंध में कोई खुलकर नहीं बताते। कुलपति इस मामले पर चुप हैं और प्रति कुलपति की कई बातें शिक्षकों तक को नाराज कर गयी हैं। शनिवार की परीक्षा के दौरान प्रति कुलपति के आश्वासन पर कई छात्रों ने परीक्षा छोड़ दी। कुछ छात्रों ने परीक्षा भी दी लेकिन प्रति कुलपति बाद में अपने वादे से मुकर गए। इस सत्र की परीक्षा प्रश्नपत्र की छठी गड़बड़ी थी। इससे पहले स्नातकोतर मनोविज्ञान, पीजी डिप्लोमा इन सेफ्टी मैनेजमेंट, स्नातक द्वितीय वर्ष के जंतु विज्ञान प्रतिष्ठा के तृतीय व चतुर्थ पत्र व स्नातक द्वितीय वर्ष के भूगर्भशास्त्र सब्सिडियरी व स्नातक प्रथम वर्ष मनोविज्ञान की परीक्षा में सिलेबस से बाहर से पूछे जाने का मामला सामने आया है। इसमें से मात्र दो परीक्षाओं में ही विवि प्रशासन ने पुनर्परीक्षा कराना उचित समझा। छात्रों का कहना है कि सिलेबस से बाहर का प्रश्न पूछे जाने के कारण हम प्रश्नों का जवाब नहीं दे पाते हैं और हमारा एक महत्वपूर्ण साल बर्बाद हो जाता है। विवि प्रशासन को छात्रों के हित में सोचना चाहिए।

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