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अंत भला तो ..

ानपुर में भारतीय क्रिकेट टीम की जीत ने सीरीÊा बराबर कर दी और दक्षिण अफ्रीका को भारत में सीरीÊा जीतने का मौका नहीं दिया। भारतीय क्रिकेट से जुड़े लोगों ने राहत की सांस ली होगी, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के...

 अंत भला तो ..
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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ानपुर में भारतीय क्रिकेट टीम की जीत ने सीरीÊा बराबर कर दी और दक्षिण अफ्रीका को भारत में सीरीÊा जीतने का मौका नहीं दिया। भारतीय क्रिकेट से जुड़े लोगों ने राहत की सांस ली होगी, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के कामयाब दौर के बाद और आईपीएल के ठीक पहले अपने घर पर हार उत्साह को ठंडा कर देती, पर यह कहा जा सकता है कि दक्षिण अफ्रीका के इस दौर ने कुछ पुराने सवाल फिर खड़े किए हैं, जिनसे बीसीसीआई हर वक्त नारं चुराता रहा है। तथाकथित ‘स्पोर्टिंग’ क्रिकेट बनाने के मामले का क्या हुआ, पिछले कई साल से टेलीविजन से लेकर गली-मोहल्ले तक के विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि भारत में घरलू और अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए बेहतर विकेट बनाए जाने चाहिए, ताकि उन पर गेंदबाज और बल्लेबाज दोनों को बराबरी का मौका मिले और दोनों के कौशल की परीक्षा हो। तकनीकी कमेटी, पिच कमेटी और न जाने कितनी विशेषज्ञों की कमेटियां बनीं-बिगड़ी, पर अब भी भारतीय पिचें वैसी ही हैं। चेन्नई की पिच, जहां गेंदबाजों की कला औरंगजेब के अंदाज में जमीन में गाड़ देने के लिए बनी थी, वहीं कानपुर की पिच पर वैसी धूल थी, जसी सूखे खेतों में होती है। अहमदाबाद की पिच पर पहले घंटे में बल्लेबाजों का जुलूस निकल गया, क्योंकि क्यूरटर का कहना था कि गर्मी में पिच पांच दिन चले, इसलिए उस पर घास का बने रहना जरूरी था। यहीं से दूसरा बवाल खड़ा होता है कि इस गर्मी में और आस्ट्रेलिया के लंबे दौर के बाद यह सीरीÊा खिलवाना क्या जरूरी था? खिलाड़ी इस टेस्ट सीरीÊा के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार नहीं थे। कई खिलाड़ी आस्ट्रेलिया में लगी चोटों से उबरे नहीं थे और इसलिए इस सीरीÊा में राणा सांगाओं की इतनी बड़ी कतार लग गई। खिलाड़ियों को खूब ख्याति और पैसा मिले, इसमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वे फिट बने रहें, यह देखना भी बोर्ड का काम है। हर सीरीÊा में अरबों कमाने वाला बोर्ड कब भारतीय क्रिकेट के, बल्कि क्रिकेट के ही दूरगामी हितों का ख्याल रखेगा।

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