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स्वाइन फ्लू को लेकर घबराने की कोई जरूरत नहीं: नड्डा

देश में स्वाइन फ्लू के मामलों में लगातार हो रही वृद्धि पर विभिन्न दलों द्वारा जतायी गयी चिंता के बीच केंद्र ने आज कहा कि इसको लेकर घबराने की नहीं बल्कि सतर्क रहने की आवश्यकता है। सरकार ने एच1एन1...

स्वाइन फ्लू को लेकर घबराने की कोई जरूरत नहीं: नड्डा
एजेंसीWed, 25 Feb 2015 03:05 PM
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देश में स्वाइन फ्लू के मामलों में लगातार हो रही वृद्धि पर विभिन्न दलों द्वारा जतायी गयी चिंता के बीच केंद्र ने आज कहा कि इसको लेकर घबराने की नहीं बल्कि सतर्क रहने की आवश्यकता है। सरकार ने एच1एन1 वायरस से निपटने के लिए पर्याप्त दवाओं सहित सभी जरूरी सुविधाओं के होने का दावा करते हुए कहा कि सरकारी अस्पतालों में इसका निशुल्क परीक्षण और उपचार की व्यवस्था की गयी है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने राज्यसभा में कहा कि उनका मंत्रालय एच।एन। एन्फ्लूएंजा की स्थिति पर गहन निगरानी रखे हुए है। हम प्रभावित राज्यों के लगातार सम्पर्क में हैं और इस मौसमी एन्फ्लूएंजा के प्रभाव को रोकने के लिए राज्यों को दिशा निर्देश जारी किये गए हैं। नड्डा ने कहा कि हम दवा के स्टाक की स्थिति के बारे में राज्य सरकारों के साथ नियमित आधार पर जायजा ले रहे हैं और यदि राज्य सरकारों को अतिरिक्त जरूरतें होती है तो इसकी पूर्ति भी की जायेगी।

मंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों का मार्गदर्शन करने और उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए मंत्रालय का दल तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश भेजा गया है। उन्होंने स्वयं गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जाकर स्थिति की समीक्षा की तथा तेलंगाना सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री से बात की। केंद्र, राज्यों के सचिवों एवं वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर वीडियो कांफ्रेंसिंग भी कर रहा है।

नड्डा ने स्वाइन फ्लू के प्रकोप और इस संबं में सरकार के कदमों के बारे में कल संसद में एक बयान दिया था। वह आज अपने बयान पर विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा पूछे गए स्पष्टीकरण का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि केंद्र ने दिसंबर में भी समीक्षा की थी और राज्यों को तीन बातों का निर्देश दिया गया है। अस्पतालों में अलग वार्ड बनाने, चिकित्साकर्मियों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण की व्यवस्था करने और संदिग्ध मरीजों पर नजर रखने के निर्देशों का पालन किया गया है।

नड्डा ने कहा कि टीवी, रेडियो और समाचार पत्रों में विज्ञापनों के माध्यमों से आम लोगों को जागरूक बनाने के प्रयाय किए जा रहे हैं।  राज्यों को दी जा रही मदद का जिक्र करते हुए नड्डा ने कहा कि उन्होंने कई प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत की है और उन्होंने जो मदद मांगी है, हमने उन्हें मुहैया करायी है। इस क्रम में उन्होंने कहा कि एक रिपोर्ट के कारण घबराहट की स्थिति पैदा हो गयी थी लेकिन इसकी दवाइयों की कोई कमी नहीं है और राज्यों को भी आश्वास्त किया गया है। उनसे कहा गया है कि वह अपना स्टाक खत्म होने के पहले ही सूचित करें।

मंत्री ने कहा कि हम प्रभावित राज्यों को ओसेल्टामिविर के 58 हजार कैप्सूलों, तीन हजार एन 95 मास्कों और 9500 व्यक्तिगत सुरक्षात्मक सामग्री की पहले ही आपूर्ति कर चुके हैं। हमने ओसेल्टामिविर दवा का आपातकालीन स्टाक भी रखा है ताकि किसी भी तत्काल आवश्यकता को पूरा किया जा सके। इसके अलावा हमारे पास 10 हजार एन 95 मास्क और पर्याप्त संख्या में व्यक्तिगत सुरक्षात्मक सामग्री स्टाक में है।

नड्डा ने गुजरात और राजस्थान का जिक्र करते हुए कहा कि वहां निगरानी व्यवस्था अच्छी रही। उन्होंने कहा कि इन राज्यों में आशा कर्मियों की सतर्कता के कारण कई मामले सामने आए। स्वाइन फ्लू के परीक्षण के लिए प्रभावित लोगों से अनापशनाप शुल्क वसूले जाने पर कई सदस्यों द्वारा जतायी गयी चिंता पर उन्होंने कहा कि लोगों खासकर गरीबों को निजी अस्पतालों में जाने की जरूरत नहीं है और सरकारी अस्पतालों में इसके लिए पूरी व्यवस्था की गयी है। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में इसका परीक्षण निशुल्क है। नड्डा ने कहा कि इस पर काबू पाने के लिए सरकार ने कोई कसर उठा नहीं रखी है।

नड्डा ने कहा कि एक जनवरी से 22 फरवरी के बीच राज्यों से स्वाइन फ्लू के 14,673 मामलों की सूचना प्राप्त हुई है जबकि इससे कारण 841 लोगों की मौत की बात सामने आई है। स्वाइन फ्लू रोगियों का उपचार आयुर्वेद जैसी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के जरिए करने के सुक्षाव पर नड्डा ने कहा कि अभी नए प्रयोग करने का समय नहीं है और इसके उपचार के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानदंडों का पालन किया जा रहा है।

नड्डा ने बताया कि देश में पहले स्वाइन फ्लू मरीज का पता मई 2009 में लगा था और यह रोगी संभवत: अमेरिका से आया था। इससे पहले विभिन्न दलों के सदस्यों ने स्वाइन फ्लू के मामलों में तेजी से हो रही वृद्धि पर गहरी चिंता जताते हुए सरकार से इसके सहित डेंगू, चिकनगुनिया, मस्तिष्क ज्वर जैसे विभिन्न मौसम में होने वाले घातक रोगों से निपटने के लिए एक व्यापक नीति बनाए जाने की मांग की। कई सदस्यों ने जहां राज्यों में दवाओं एवं परीक्षण सुविधाओं के अभाव की बात कही वहीं कुछ सदस्यों ने प्रभावित लोगों से उंचा शुल्क वसूले जाने की शिकायत की।

कुछ सदस्यों ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्री ने जिस अगंभीर तरीके से इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर जवाब दिया है, उससे लगता है कि सरकार इस मुद्दे से निबटने को लेकर गंभीर नहीं दीख रही है। स्वाइन फ्लू के प्रसार तथा इसके उपचार से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर भाजपा के बसवाराज पाटिल, कांग्रेस के आनंद भास्कर रापोलू, अहमद पटेल और प्रमोद तिवारी, सपा के नरेश अग्रवाल, अन्नाद्रमुक के नवनीत कष्णन, जदयू के केसी त्यागी, बसपा के नरेंद्र कुमार कश्यप, तणमूल कांग्रेस के विवेक गुप्ता, शिवसेना के संजय राउत, माकपा के पी राजीव, द्रमुक के टी शिवा, आरपीआईए के रामदास अठावले, बीजद के वैष्णव परीदा, पीडीपी के मीर मोहम्मद फैयाज, शिरोमणि अकाली दल के बलविंदर सिंह भुंडर और मनोनीत अशोक गांगुली ने भी स्पष्टीकरण पूछे।

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