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नरेंद्र मोदी विपक्षी दलों को पटाने में खुद जुटे

संसद के बजट सत्र में राज्यसभा में फंसी फांस को निकालने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मोर्चा संभाल रखा है। मोदी गैर कांग्रेसी दलों के साथ अपने रिश्ते बेहतर करने में जुटे हैं, जिससे आड़े वक्त...

नरेंद्र मोदी विपक्षी दलों को पटाने में खुद जुटे
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 21 Feb 2015 11:22 PM
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संसद के बजट सत्र में राज्यसभा में फंसी फांस को निकालने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मोर्चा संभाल रखा है। मोदी गैर कांग्रेसी दलों के साथ अपने रिश्ते बेहतर करने में जुटे हैं, जिससे आड़े वक्त में विरोध में रहते हुए भी वे कभी न कभी काम में आ सके। मोदी की राकांपा नेता शरद पवार के निमंत्रण पर पुणे की यात्रा, सैफई में मुलायम सिंह यादव के पोते के तिलक में शिरकत व ममता बनर्जी की बांग्लादेश यात्रा के पीछे के राजनीतिक निहितार्थ संसद के गणित के लिए महत्वपूर्ण माने जा रहे है।

संसद के शीत सत्र के बाद मोदी सरकार ने धड़ाधड़ छह अध्यादेश जारी कर तात्कालिक रूप से रास्ता निकाल लिया था, लेकिन अब उन पर संसद की मुहर जरूरी हो गई है। इनमें भूमि अधिग्रहण, बीमा, कोयला व खनिज विषयों से जुड़े अहम अध्यादेश शामिल है, जिन पर विपक्ष की नजर टेढ़ी है। ऐसे में लोकसभा में बहुमत से सरकार को निचले सदन में तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन विपक्ष के बहुमत वाली राज्यसभा में कदम कदम पर दिक्कतें हैं। सूत्रों के अनुसार बीते सत्र में प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष की भारी मांग के बावजूद अपने रणनीतिकारों की सलाह पर राज्यसभा में बयान न देने पर अड़ गए थे, जिससे सरकार व विपक्षी खेमे के बीच खटास पैदा हो गई थी। इस बार मोदी कई मामलों में खुद पहल कर रहे हैं।

मोदी की दूर तक है नजर
सूत्रों के अनुसार शरद पवार व मुलायम सिंह यादव के निमंत्रणों को स्वीकार कर मोदी ने अपनी कूटनीतिक पहल शुरू कर दी है। मुलायम सिंह यादव व लालू यादव को समधी बनाने वाली शादी के एक कार्यक्रम में जाकर मोदी ने लालू को भी अच्छे संकेत दिए है। वैसे भी इस समय मुलायम सिंह यादव जनता दल परिवार की एकता के सूत्रधार है। ममता बनर्जी को बांग्लादेश के दौरे पर भेजकर भी उन्होंने अच्छे संकेत दिए है। बांग्लादेश के साथ तीस्ता जल बंटवारे व जमीन की अदला बदली के मुद्दों पर ममता की यात्रा काफी अहम है। दूसरी तरफ ममता बनर्जी की पार्टी से भाजपा की तरफ आ रहे दो प्रमुख नेताओं मुकुल राय व दिनेश त्रिवेदी के प्रवेश पर भी रोक लगा दी है।

राज्यसभा के बदल सकते हैं आंकड़े
राज्यसभा के गणित में 241 सदस्यों की प्रभावी संख्या में सरकार के समर्थक दलों की ताकत लगभग 80 सांसदों की है। भाजपा (46) अपने साथ जिन दलों को मानकर चल रही है उनमें अन्नाद्रमुक (11), तेलुगुदेशम (6), शिवसेना (3), अकाली दल (3), पीडीपी (2), एनपीएफ (1), आरपीआई (1) और कुछ नामित व निर्दलीय सांसद शामिल है। दूसरी तरफ सपा (15), तृणमूल कांग्रेस (11) व राकांपा (6) के सदस्य कई मामलों में निर्णायक हो सकते है। भूमि अधिग्रहण जैसे मामले में मुलायम, ममता व पवार भले ही साथ न दे पाएं लेकिन अन्य मामलों में वे गणित बदल सकते हैं। कुछ मामलों में मुलायम जद (यू) (12) व राजद (1) को भी प्रभावित कर सकते हैं। कभी सदन में रहकर व कभी सदन से बाहर जाकर भी मोदी सरकार को राहत मिल सकती है।

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