फोटो गैलरी

Hindi Newsकाश! ऐसा यहां भी होता

काश! ऐसा यहां भी होता

दिल तो यहां भी बहुतों का चाहता है कि पाकिस्तान में भी कोई अरविंद केजरीवाल हो, मगर फौरन कोई न कोई इस ख्याल पर झाड़ू फेर देता है। आप किसी भी मिडिल क्लास पाकिस्तानी से पूछ लें कि भाई क्या तू चाहता है कि...

काश! ऐसा यहां भी होता
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 18 Feb 2015 12:29 AM
ऐप पर पढ़ें

दिल तो यहां भी बहुतों का चाहता है कि पाकिस्तान में भी कोई अरविंद केजरीवाल हो, मगर फौरन कोई न कोई इस ख्याल पर झाड़ू फेर देता है। आप किसी भी मिडिल क्लास पाकिस्तानी से पूछ लें कि भाई क्या तू चाहता है कि यहां भी कोई केजरीवाल पैदा हो जाए? वह तुरंत कहेगा, बिल्कुल होना चाहिए, कोई तो ऐसा होना ही चाहिए, जो करप्शन का विरोध करे, आम आदमी को राहत हक समझकर पहुंचाए, एहसान जताकर नहीं और यहां के सियासी गुरूर पर झाड़ू लगा दे। ऐसी बातों से हौसला पाकर अगर मैं इन्हीं केजरीवाल-पसंदों से कहूं कि इस बार मैं तुम्हारे लिए चुनाव में खड़ा हो जाता हूं। तुम तो जानते ही हो कि हमेशा तनख्वाह में गुजारा किया है, कभी घूस नहीं ली। फिर क्या। आपने चुनाव लड़ने के बारे में कहा नहीं कि केजरीवाल की इच्छा करने वालों की आंखें और जबान बदली नहीं... अबे क्या घास चर गया है, मगरमच्छों के सामने खड़ा होगा, कच्चा नहीं चबा जाएंगे तुझे... चल हम तो मोहब्बत में तुझे वोट दे देंगे और कौन वोट देगा? पार्टी बनाने से तो अच्छा है कि जुआ खेल ले। कम से कम पैसा मिलने का इमकान रहता है। सियासत में जिंदगी भर की कमाई झोंकना कहां की अकलमंदी है?... अब पता चला आपको कि पाकिस्तान में आम आदमी पार्टी बनना क्यों मुश्किल है? हमें तो बस आसमां के तारे तोड़ने के ख्वाब दिखाने वालों को गालियां देने में मजा आता है और फिर उसके बाद यह कहने में क्या जाता है कि काश! यहां भी कोई केजरीवाल पैदा हो जाए।
बीबीसी में वुसतुल्लाह खान

 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें