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मांझी के नीतिगत फैसला लेने पर अदालत की रोक

पटना हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को फिलहाल नीतिगत फैसला लेने से मना किया है। अदालत ने कहा कि जिस भी फैसले में वित्तीय क्रियान्वयन की बात होगी, वह नहीं लिया जाएगा। हालांकि कोर्ट ने आदेश में...

मांझी के नीतिगत फैसला लेने पर अदालत की रोक
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 17 Feb 2015 09:39 AM
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पटना हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को फिलहाल नीतिगत फैसला लेने से मना किया है। अदालत ने कहा कि जिस भी फैसले में वित्तीय क्रियान्वयन की बात होगी, वह नहीं लिया जाएगा। हालांकि कोर्ट ने आदेश में किसी भी प्रकार के बदलाव व परिवर्तन की छूट प्रतिवादियों को दी है। मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 19 फरवरी तय की है। इस बीच मुख्यमंत्री सहित अन्य प्रतिवादियों को अर्जी की प्रति सौंपने का आदेश दिया गया है।

सोमवार को विधान पार्षद नीरज कुमार की ओर से वकील विकास कुमार ने लोकहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की। इस पर जल्द सुनवाई करने का अनुरोध पूर्व मंत्री व वरीय अधिवक्ता पीके शाही ने जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी व जस्टिस समरेंद्र प्रताप सिंह की खंडपीठ से की। श्री शाही के अनुरोध को कोर्ट ने मंजूर करते हुए दोपहर बाद सवा दो बजे सुनवाई का आदेश दिया। अदालत के आदेश के बाद मामले को अधिसूचित किया गया।

शाही ने कोर्ट को बताया कि बिहार विधानसभा में 243 सदस्य हैं। मौजूदा समय में 10 सीटें खाली हैं। बहुमत के लिए 117 सदस्यों का समर्थन जरूरी है। पिछले साल मई में जीतन राम मांझी को विधानमंडल दल का नेता चुने जाने के बाद सीएम के पद पर बैठाया गया। बीते सात फरवरी को मुख्यमंत्री की जगह, नीतीश कुमार को विधानमंडल का नया नेता चुना गया और जीतन राम मांझी को इस्तीफा देने को कहा गया। लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। श्री शाही का कहना था कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जीतन राम मांझी को जदयू की सदस्यता से बर्खास्त तक कर दिया, फिर भी वे पद पर बने हुए हैं। उन्हें किसी दल और सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, इस बात का मौखिक व लिखित प्रमाण उन्होंने नहीं दिया है। फिर भी वे कैबिनेट की बैठक कर फैसले ले रहे हैं। कैबिनेट हर दिन फैसले ले रहा है, जिससे वित्तीय एवं प्रशासनिक संकट पैदा हो रहा है।

वहीं राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने कोर्ट को बताया कि बगैर सरकार से निर्देश लिए वे कुछ भी बताने में असमर्थ हैं। इधर, मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के वकील एसबीके मंगलम ने अर्जी की प्रति मांगते हुए सुनवाई एक दिन के लिए टालने का अनुरोध किया, ताकि अर्जी में उठाए गए सवालों का जवाब दे सकें। श्री मंगलम ने कोर्ट को बताया कि कैबिनेट की बैठक होने वाली है या नहीं, इस बात की सूचना लेकर वह कुछ कह सकते हैं। इस बात पर सुनवाई 20 मिनट के लिए रोक दी गई। सुनवाई फिर शुरू होने के बाद श्री मंगलम ने एक दिन के लिए सुनवाई टालने का अनुरोध किया।

अदालत ने एक सप्ताह के भीतर मुख्यमंत्री का वकालतनामा हाईकोर्ट में दाखिल करने का आदेश दिया। साथ ही कहा कि मुख्यमंत्री कैबिनेट की बैठक कर नीतिगत फैसला ले रहे हैं, जिससे राज्य की वित्तीय जिम्मेवारी बढ़ रही है। अदालत ने नीतिगत फैसला (पॉलिसी डिसीजन) जिसमें वित्तीय क्रियान्वयन संलिप्त हो, उसे करने से रोकते हुए कहा कि कैबिनेट सिर्फ दैनिक (रूटीन मैटर) कर सकती है।

याचिका में कैबिनेट के इन फैसलों का जिक्र
कर्मियों का स्थानांतरण, सड़क निर्माण कांट्रैक्ट में एससी-एसटी को आरक्षण
स्कूलों में विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति में छूट
मदरसा बोर्ड सहित सरकारी वकील, लोक अभियोजक एवं विधि अधिकारियों की बहाली
किसानों को मुफ्त बिजली, वित्त रहित शिक्षण संस्थानों का अधिग्रहण
विधानसभा के अध्यक्ष के खिलाफ सीबीआई जांच, आपराधिक मामलों की जांच

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