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बक्से में बंद पड़ा है ‘बोधिवृक्ष’ का ज्ञान

भगवान गौतम बुद्ध को जिस बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी उसी नाम से शुरू हुए बोधिवृक्ष कार्यक्रम के तहत मिलीं किताबें पिछले छह माह से स्कूलों के बक्से और अलमारियों में बंद पड़ी हैं। पढ़ना...

 बक्से में बंद पड़ा है ‘बोधिवृक्ष’ का ज्ञान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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भगवान गौतम बुद्ध को जिस बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी उसी नाम से शुरू हुए बोधिवृक्ष कार्यक्रम के तहत मिलीं किताबें पिछले छह माह से स्कूलों के बक्से और अलमारियों में बंद पड़ी हैं। पढ़ना तो दूर बच्चों ने आज तक इन किताबों को छुआ तक नहीं। हां, किसी-किसी स्कूल में कभी-कभार एकाध किताब पढ़ाते वक्त गुरुाी के हाथ में देखने का सौभाग्य बच्चों को जरूर प्राप्त हुआ है।ड्ढr ड्ढr दरअसल, पिछले साल सरकारी प्राइमरी स्कूल के क्लास वन और टू के बच्चों में रंगीन सचित्र किताबें समझकर पढ़ने की क्षमता विकसित करने के मकसद से बोधिवृक्ष कार्यक्रम शुरू किया गया। इसके तहत जिले के कक्षा वन और टू के सभी बच्चों के लिए रंगीन सचित्र किताबें उपलब्ध करानी थीं। इसके लिए 2से 31 दिसंबर 2008 तक जिला स्कूल परिसर में पुस्तक मेला लगाया गया। पुस्तकें खरीदने के लिए प्रति छात्र 40 रुपए की दर से स्कूलों को रुपए मुहैया कराए गए। इन रुपयों से मेले में 60 लाख रुपए की किताबों की बिक्री हुई। वैसे विभागीय पदाधिकारी की मानें तो मेले से 80 फीसदी स्कूलों में ही किताबें खरीदी गईं। इसलिए एकबार फिर से पुस्तक मेला लगाया जाएगा। लेकिन खरीदी गईं पुस्तकें पिछले छह माह से बक्से में बंद पड़ी हैं। अधिसंख्य स्कूलों के बच्चे अब तक इन किताबों से रू-ब-रू नहीं हो पाए हैं। जबकि होना तो यह था कि कक्षा के समय में ये किताबें स्कूल खुलने के बाद लटका कर रखनी थीं। बच्चों के हाथ में किताबें देनी थीं जिन्हें पढ़कर उनका वाचन उन्नयन होता।ड्ढr ड्ढr कार्यक्रम की विफलता से विभाग हैरत में है। इस कार्य को गति देने के मकसद से मार्च के अंत में वार्षिक परीक्षा के बाद स्कूलों में चार दिन का अभियान भी चलाया गया। फिर भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। विभागीय पदाधिकारी भी इस बात को मानते हैं कि अधिसंख्य स्कूलों में बोधिवृक्ष कार्यक्रम की स्थिति अच्छी नहीं है। ज्यादातर स्कूलों में खरीदने के बाद से ही किताबें बक्से और अलमारियों में बंद पड़ी हैं। इसलिए विभाग द्वारा फिर से इन किताबों से बच्चों को रू-ब-रू कराने के उद्देश्य से मई को जिले के सभी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, प्रखंड साधनसेवी, संकुल साधनसेवी को 11 से 14 मई तक अभियान चलाने का निर्देश दिया गया।

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