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शुक्रिया दिल्ली

सात तारीख को हुए दिल्ली विधानसभा के चुनाव में दिल्लीवासियों ने दिल खोलकर मतदान किया। इस बार दिल्ली में ठोस मुद्दों के आधार पर वोट देने का रुझान देखने को मिला। इस बार वोटिंग प्रतिशत का पिछली बार का...

शुक्रिया दिल्ली
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 09 Feb 2015 08:35 PM
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सात तारीख को हुए दिल्ली विधानसभा के चुनाव में दिल्लीवासियों ने दिल खोलकर मतदान किया। इस बार दिल्ली में ठोस मुद्दों के आधार पर वोट देने का रुझान देखने को मिला। इस बार वोटिंग प्रतिशत का पिछली बार का रिकॉर्ड भी टूट गया और यह अब तक के अपने उच्चतम स्तर 67.08  प्रतिशत पर जाकर बंद हुआ। हालांकि वोटिंग के 70 प्रतिशत से ज्यादा होने का अनुमान था। आशा है,  भविष्य में वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोतरी होगी और लोग अपने वोट की कीमत समझोंगे। अलबत्ता, इस बार के प्रदर्शन के लिए शुक्रिया दिल्ली।
आदित्य चौधरी
aadichaudhary24@gmail.com

अब देश के मन की सुनें

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले और बाद के ओपिनियन व एक्जिट पोल के आंकड़े अगर सत्य सिद्ध होते हैं, तो यह वास्तव में नरेंद्र मोदी के लिए बहुत विचारणीय बात होगी, क्योंकि जब चुनाव से पहले ही दिल्ली की जनता ने ‘आप’ को वोट देने का मन मना लिया था, तभी मोदीजी को सचेत हो जाना चाहिए था और यदि जनता ने आप में विश्वास दिखाया है, तो मोदीजी को अपनी नीतियों और सुशासन प्रणाली पर पुन: विचार जरूर करना चाहिए। देश की जनता प्रतिदिन बहुत मन से एक आशा के साथ पचास रुपये खर्च करके अपने प्रधानमंत्री को स्पीड-पोस्ट से पत्र भेजती है, लेकिन पीएमओ पचास पैसे का पावती पोस्टकार्ड भी न भेजे,  तो सुशासन और गवर्नेंस की पोल खुल जाती है। देश की जनता से बड़ी उम्मीदों के साथ मोदीजी को पीएम बनाया था और अब वह अपने वोट के बदले प्रधानमंत्री से अपनी परेशानियों का हल तो मांगेगी ही। अगर प्रधानमंत्री जनता के मन की बात सुनने की बजाय कभी अपने मन की बात उसे सुनाएंगे या कभी ओबामा के मन की सुनवाएंगे, तो फिर जनता वही करेगी, जैसा दिल्ली चुनाव के एक्जिट पोल कह रहे हैं।
मनोज दुबलिश,  मेरठ
drmanojdublish@gmail.com

वादों पर टिकी राजनीति

हमारी राजनीति का स्वरूप बदला है,  जिसमें वादों की प्रतियोगिता में वृद्धि हुई है। दरअसल, आज के नेताओं को वादों के सिवाय कोई दूसरा विकल्प नहीं दिखाई देता, जिससे वह जनता को अपनी ओर आकर्षित कर सकें। यही कारण है कि चुनाव कैसे भी हों, जनता को लुभाने के लिए कोई न कोई दांव खेला जाता है। सभी पार्टियां और नेता एक से बढ़कर एक वादा करते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदीजी के जो वादे थे, उनसे कोई अपत्ति नहीं, लेकिन उनका एक वादा जनता को ठगने का काम करता है, वह वादा था जनता को काले धन में से हिस्सा देने का। अरविंद केजरीवाल भी इसमें अव्वल रहे, जिन्होंने 2014 के पहले विधानसभा चुनाव में ऐसे वादे किए, जो लोभ से परिपूर्ण थे। उस चुनाव में ईमानदारी कम लालच ज्यादा दिखाई दिया था। उन्होंने दिल्ली की जनता को जो-जो रियायतें देने की घोषणा की थीं, उन पर खर्च होने वाली राशि तो दिल्ली के बजट से भी ज्यादा थी। विडंबना तो यह है कि हमारे देश का कानून ऐसे वादों पर कोई लगाम नहीं लगाता, जो गरीब जनता के हितों से खिलवाड़ करते हैं।
पंकज भारत,  मेरठ, उ.प्र.
pba1712.pb@gmail.com
 
मोदी बनाम एग्जिट पोल

लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को हराने वाले नरेंद्र मोदी क्या दिल्ली में हार जाएंगे? दिल्ली के चुनावी एग्जिट पोल ने तो ‘आप’ को विजय की झंडी दिखा दी है और मोदी लहर अब थमती हुई नजर आ रही है। साल 2013 में जिस स्थान पर ‘आप’ थी, वहां आज भाजपा आ खड़ी हुई है और कांग्रेस तो लड़ाई से पहले ही हार मान चुकी है, इसलिए जनता की भांति सोनिया गांधी भी चुप्पी साधे चुनाव का आनंद ले रही हैं। क्या मोदी लहर दिल्ली के एग्जिट पोल को भी मात देगी या अरविंद केजरीवाल की होगी जय-जय? बस चंद घंटे में तस्वीर साफ हो जाएगी।
रवि कुमार गुप्ता, लालबेगी, गोपालगंज, बिहार
rrveerawriter@gmail.com

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