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उन्नाव में नरकंकाल मिलने से हडकंप, केंद्र ने मांगी रिपोर्ट

पुलिस लाइन के एक बंद पड़े कमरे में गुरुवार को पांच मानव खोपड़ियां व लगभग चार सौ हड्डियां मिलने से सनसनी फैल गई। मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है।...

उन्नाव में नरकंकाल मिलने से हडकंप, केंद्र ने मांगी रिपोर्ट
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 30 Jan 2015 10:49 AM
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पुलिस लाइन के एक बंद पड़े कमरे में गुरुवार को पांच मानव खोपड़ियां व लगभग चार सौ हड्डियां मिलने से सनसनी फैल गई। मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। वहीं, यूपी के आईजी (कानून-व्यवस्था) ने भी उन्नाव के एसपी से मामले की जानकारी मांगी है। कुछ दिन पहले परियर घाट पर सौ से ज्यादा शव मिलने के कारण भी उन्नाव चर्चा में रहा था।

नरकंकाल महिला थाना व स्वाट कार्यालय के पास बंद पड़े कमरे में मिले। 2008 में पोस्टमार्टम हाउस को यहां से नए जिला अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया था। हालांकि इस कमरे में रखे अवशेष वैसे ही छोड़ दिए गए। पुलिस लाइन में प्रयोग से बाहर हो चुके इस विसरा कक्ष में पोस्टमार्टम के बाद शरीर के  अंग सुरक्षित रखे जाते थे। नरकंकाल के अलग-अलग हिस्सों को भरकर लगभग एक दजर्न बोरियों में रखा गया था। इस कमरे में नरकंकाल के अवशेष संभालकर रखने का यह सिलसिला 35 साल पहले शुरू किया गया था। समय अधिक होने से बोरियां फट गई और हड्डियां बाहर आ गईं।

मामले की जानकारी होते ही अफवाहों का दौर शुरू हो गया। हड़कंप के बाद मामले की तफ्तीश को पहुंचे पुलिस प्रशासन ने पोस्टमार्टम से जुड़े कागजात मंगाकर मामले की जांच की तो रखे गए अंग नमूने कागजातों पर दर्ज पाए गए। मौके पर पहुंचे भाजपा नेताओं में विधायक पंकज गुप्ता सहित पूर्व विधायक कृपाशंकर सिंह आदि ने प्रशासनिक उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि विसरा कक्ष का नमूना ही मान लिया जाए तो इसका निस्तारण किया जाना चाहिए था। यह भी देखा जाना चाहिए कि यह मामला मानव अंग तस्करी से जुड़ा तो नहीं है। उन्नाव के एसपी एमपी सिंह ने एएसपी रामकिशुन को मामले की जांच कर एक सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा है।

1979 से रखी जा रही थीं हड्डियां
उन्नाव के एसपी एमपी सिंह ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को साफ करने के लिए लिखित प्रमाण मंगाए। यहीं के पुलिस चिकित्सालय में काम कर चुके फार्मेसिस्ट वीके वर्मा ने जिला अस्पताल से लाकर रजिस्टर दिखाया जो सन् 1979 का बना हुआ है। विसरा कक्ष में सुरक्षित रखे जाने वाले मानव अस्थि अवशेषों के पूरे जखीरे का व्योरा रजिस्टर में दर्ज है। जिसमें तारीख वार पाए गए कंकाल व शेष हिस्सों की हड्डियों का विवरण लिखा हुआ है। मानव शरीर अस्थि हिस्सों को इस कक्ष में सहेजकर रखने का सिलसिला वर्ष 2008 तक किया गया।

पहले यहीं होता था पोस्टमार्टम
एसपी ने जिला अस्पताल से मंगवाया गया रजिस्टर दिखाते हुए कहा कि साल 2008 तक इस कमरे में अस्थि पंजरों व विसरा रखने का काम किया जाता था। यहीं पास के कमरे में पोस्टमार्टम किया जाता था। फिलहाल यह काम जिला अस्पताल में किया जा रहा है। इसलिए 2008 के बाद लावारिस शरीर अवशेषों के अलावा विसरा रखने की प्रक्रिया यहां बंद हो गई।

कैसे हुआ खुलासा
सुरक्षा व देखरेख की निगरानी के जिम्मेदार पुलिस जवानों की नजर से यह कमरा कैसे बचा रहा। कमरे के बगल में स्वाट कार्यालय, महिला थाना के अलावा पुलिस की चौबीस घंटे मौजूदगी है। ऐसे में किसी युवक की नजर कमरे की टूटी खिड़की के अंदर पड़ी जिसने मीडिया को खबर कर दी। कुछ जवानों व दरोगाओं से बात करने पर बताया कि हां उन्हे इस बात की जानकारी नहीं थी कि कमरे के अंदर क्या है।

इतनी हड्डियों का जखीरा है अंदर
कमरे में बोरियों के अंदर व बाहर जो अस्थि पंजर पड़े हैं। उनका व्योरा एसपी एमपी सिंह ने दिया है। एसपी ने बताया कि कमरे के अंदर 400 हड्डिया हैं। जो शरीर के विभिन्न हिस्सो की हैं। इसके अलावा कुल 5 नरकंकाल ऐसे थे जो पूरे शरीर के हैं। इसमें 6 विसरा होने की जानकारी भी एसपी ने दी है।

कहीं शुक्लागंज के कंकाल तो नहीं
उन्नाव। पुराने पोस्टमार्टम हाउस के विसरा कक्ष में मिले मानव कंकाल की कहानी लगभग सात पहले शुक्लागंज कटरी में मिले कंकालों से मेल खा रही है। यह जांच का विषय है कि कहीं कमरे में मिले कंकाल वही तो नहीं हैं।
शुक्लागंज की अहमद नगर कटरी में 22 जून 2008 को नरकंकाल मिलने का मामला काफी चर्चा में आया था। वहां मिले कंकालों की संख्या भी 7 बताई गई थी। कमरे में मिले मानव खोपड़ियों की गिनती भी सात है। अहमद नगर कटरी में मिले कंकालों को तत्कालीन थाना प्रभारी प्रमोद पाण्डेय ने बोरों में भर कर पोस्टमार्टम हाउस भेजा था। जानकार लोगों का मानना है कि कमरे में मिले कंकाल शुक्लागंज के हो सकते हैं। एसपी एमपी सिंह ने कहा कि इसकी भी जांच कराई जा रही है।

एसपी ने राज्य सरकार को भेजी जानकारी
पूरे मामले की जानकारी राज्य सरकार को भेजी गई है। जिसमें एसपी एमपी सिंह ने पूर्व में यहीं पर पोस्टमार्टम हाउस संचालित होने की जानकारी के साथ अपनी कानूनी मजबूरी का भी सहारा लिया है। पुलिस ने संबधित कक्ष को प्रयोग से बाहर होने का भी हवाला देते हुए कहा है कि 2008 के बाद जिला अस्पताल में बने विशेष कक्ष इस प्रयोग में लाया जाता है। एसपी ने जांच बैठाने के बाद मजिस्ट्रेट आदेश पर अग्रिम कार्रवाई की जाने की जानकारी सरकार को दी है।

अब थानों पर ही रखे जाते हैं अस्थि पंजर
साल 2008 के बाद जिला अस्पताल में व अब ऐसे कंकाल 2013 से संबधित थानों में ही रखे जाने की जानकारी एसपी ने दी है। कहा है कि इस तरह के केसों में मानव कंकाल कोर्ट निर्णय होने तक जनपद के विभिन्न थानों में रखे जा रहे हैं।

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