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बहुत याद आती है यहां की संस्कृति, लोग व खाना

भारत के साथ रिश्तों की मजबूती और भारत में विकास की संभावनाएं तलाशने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की कोर कमेटी के अहम सदस्य फ्रैंक इस्लाम बुधवार को ‘हिन्दुस्तान’ कार्यालय में थे।...

बहुत याद आती है यहां की संस्कृति, लोग व खाना
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 29 Jan 2015 10:55 AM
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भारत के साथ रिश्तों की मजबूती और भारत में विकास की संभावनाएं तलाशने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की कोर कमेटी के अहम सदस्य फ्रैंक इस्लाम बुधवार को ‘हिन्दुस्तान’ कार्यालय में थे। उन्होंने अपना काफी समय ‘हिन्दुस्तान’ परिवार के साथ बिताया और विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बातचीत की। अपने कुछ अनुभव बताये तो कुछ विकास के एजेंडे पर भी चर्चा की। खासतौर पर बनारस और आजमगढ़ को लेकर वह काफी उत्साहित दिखे और बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस इलाके की चर्चा में काफी उम्मीद जगी है।

बात शुरू करते हुए इस्लाम ने कहा कि मैंने जब आजमगढ़, बनारस और भारत छोड़ा था, तब 19 साल का था। आज उस बात को 47 साल हो गये हैं। मैं अमेरिका में रहता हूं, लेकिन मुझे अपनी माटी की संस्कृति, लोग और खाना याद आता है। हालांकि वह इस बात को भी पूरी शिद्दत से स्वीकार करते हैं कि अमेरिका जाना मेरे जीवन की एक बड़ी उपलब्धि रही। मुझे वहां का प्रतिष्ठित मार्टिन लूथर किंग जूनियर सम्मान दिया गया है।

काफी फर्क आया है: पुराने दिनों में खो गये फ्रैंक बताते हैं कि शुरुआत में अमेरिका में थोड़ा संघर्ष करना पड़ा। मैं इस वजह से वतन नहीं आ सका। 2007 से मैं कई बार यहां आ चुका हूं। मुझे दिखा कि यहां आधारभूत ढांचे में काफी फर्क आया है। बड़ी-बड़ी कारें दिखती हैं। इमारतें भी खूब बन गयी हैं। काफी धुंधली सी यादें हैं उस वक्त की, जब मैं यहां से गया था। तब शहर थोड़े से हिस्से में होता था। आज इसका काफी विस्तार हो गया है। मुझे बनारस का हवाई अड्डा काफी अच्छा लगा। यह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है और इसे काफी खूबसूरत बनाया गया है।

यहां के युवाओं में सपना है, उम्मीद है: बनारस और आजमगढ़ के युवाओं में एक सपना है, उम्मीद है। वे कुछ कर सकते हैं, बस उनके सपनों और उम्मीदों को परवाज देने की जरूरत है। भारत के प्रधानमंत्री भी यह कह चुके हैं कि भारत युवाओं का देश है। अब उन्हें मौका देना होगा। मैंने जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया कि मैं आपके निर्वाचन क्षेत्र बनारस का ही हूं, तो वह काफी खुश हुए। उन्होंने बनारस के बारे में अपनी योजनाओं की चर्चा भी की।

यहां पवित्र गंगा बहती है: सवाल हुआ, मोदी से तो ओबामा की बड़ी दोस्ती है। मोदी के बनारस के बारे में ओबामा की क्या राय है? फ्रैंक ने बताया कि ओबामा बनारस को सिर्फ इस वजह से जानते हैं कि यह एक काफी पुराना शहर है और यहां पवित्र गंगा नदी बहती है। वैसे इस मामले में मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सुझाव देना चाहूंगा कि वह व्यापक हित में मोदी के साथ मिलकर काम करें तो पूरे प्रदेश का विकास हो जायेगा।

आजमगढ़ का दर्द मुझे भी सालता है
बात बढ़ी तो आजमगढम् की खराब होती छवि पर पहुंची। फ्रैंक थोड़ा गंभीर हो गये। कहा, मेरे शहर के बच्चे काफी अच्छे हैं। मैं पहले भी कह चुका हूं कि उनमें वो क्षमता है, जो देश के दूसरे शहरों के युवाओं में नहीं है। आप उन्हें मौका तो दीजिये। कुछ लोगों की फिरकापरस्ती की वजह से सभी को गलत नहीं ठहराया जाना चाहिए। आजमगढ़ का दर्द मुझे भी सालता है। मेरी जब यहां के लोगों से बात होती है तो एक टीस सी उठती है मन में। यह खत्म होना चाहिए। आजमगढ़ के युवा प्रोत्साहन के भूखे हैं। उन्हें यह दीजिये, फिर देखिये कि तस्वीर का रंग कैसे बदलता है।

कम्युनिटी कॉलेज खोलें
जब कुछ गलत होता है तो हम इससे जुड़े लोगों को कोसने लगते हैं। कम ही होंगे जो इसके कारण पर जाते हैं। बनारस और आजमगढ़ ही नहीं, जहां अपराध ज्यादा होते हैं, वहां दो चीजें निश्चित रूप से जिम्मेदार होती हैं। एक तो अशिक्षा और दूसरे गरीबी, अभाव। सरकारों का दायित्व है कि युवकों की शिक्षा का प्रबंध करें। इसके लिए कम्युनिटी कॉलेज खोले जा सकते हैं। इस क्रम में चुनौतियों पर चर्चा करते हुए फ्रैंक ने कहा कि अच्छे शिक्षक खोजने होंगे। फ्रैंक बताते हैं कि अमेरिका में उनके एक मित्र संजय राय हैं, जो वाराणसी के ही हैं। उन्होंने वाराणसी के अलावा बिहार, महाराष्ट्र व हैदराबाद में कम्युनिटी कॉलेज के लिए प्रस्ताव बनाया है। वह मैरीलैंड के मौलगोमरी कॉलेज के उपाध्यक्ष हैं।

फ्रैंक इस्लाम की उपलब्धियां
19 साल की उम्र में उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए फ्रैंक अमेरिका गये थे। वहां उन्होंने कोलारेडो विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ साइंस इन कम्प्यूटर की उपाधि हासिल की। इसके बाद एफआई इन्वेस्टमेंट ग्रुप बनाया, जिसके वह चेयरमैन व ट्रस्टी हैं। फ्रैंक ने एक बीमार सॉफ्टवेयर कंपनी भी खरीदी, जिसे अपनी लगन के बूते आज फिर मजबूती से खड़ा कर दिया है। सामाजिक गतिविधियों से जुड़े होने के कारण फ्रैंक अमेरिका के भारतीय समाज के अगुवा हो गये। इसके मद्देनजर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने फ्रैंक को कई परिषदों में बतौर ट्रस्टी और मुख्य ट्रस्टी नियुक्त कर दिया। वह जॉन एफ कैनेडी सेंटर फॉर परफार्मिग आर्ट्स के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी के जनरल ट्रस्टी हैं।

मीडिया से अपेक्षा
फ्रैंक इस्लाम समाज में बदलाव के लिए मीडिया को बड़ा सशक्त माध्यम मानते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में आज जो बदलाव दिख रहे हैं, इसमें मीडिया का बड़ा हाथ है। भ्रष्टाचार, अपराध, महिला उत्पीड़न जैसी चुनौतियों से यह देश को निजात दिला सकता है।

मां की याद में बनाएंगे आईटी कॉलेज
आजमगढ़। सरायमीर से सटी अपनी जन्मभूमि कौरागहनी में फ्रैंक इस्लाम एक आईटी कॉलेज बनाना चाहते हैं। इसके लिए फ्रैंक ने जमीन भी खरीद ली है। उनके करीबी तौकीर शेरवानी की मानें तो इस पर बहुत जल्द काम भी शुरू होने वाला है। उन्होंने बताया कि शाह मोहम्मद मुस्तफा चैरिटेबल ट्रस्ट के फ्रैंक संरक्षक हैं। इसी सोसइटी के तहत उनकी मां के नाम से कमरुल निशां मेमोरियल गर्ल्स आईटी कॉलेज बनाया जाना प्रस्तावित है। उनके बचपन के साथी अबू साफे के मुताबिक फखरुल (फ्रैंक) पिछले साल यहां आए थे तो अपने जानने वालों से इस संबंध में राय मशवरा किया था। इसके लिए उन्होंने मस्जिद के सामने चार बिस्वा जमीन खरीद रखी है।

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