व्यापमं घोटाला: अमित-अभिमन्यु के इर्द-गिर्द घूम रही एसटीएफ जांच
मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले को अंजाम देने में केजीएमयू के दो मेडिकोज की अहम भूमिका है। दोनों ने घोटाले को अंजाम देने के लिए एक दर्जन से अधिक मेधावी युवकों को झांसा देकर फंसाया था। एक को एसटीएफ दबोच...
मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले को अंजाम देने में केजीएमयू के दो मेडिकोज की अहम भूमिका है। दोनों ने घोटाले को अंजाम देने के लिए एक दर्जन से अधिक मेधावी युवकों को झांसा देकर फंसाया था। एक को एसटीएफ दबोच चुकी है जबकि दूसरा चकमा देकर फरार हो गया है।
एसटीएफ सूत्रों की माने तो इस घोटाले में सबसे अहम भूमिका आगरा के रहने वाले अमित पाण्डेय और 2011 बैच के अभिमन्यु सिंह की है। दोनों ने मेडिकल की तैयारी के दौरान मेधावी छात्रों से संपर्क किया। दोनों मेधावी छात्रों और व्यापमं के मास्टर माइंड के बीच कड़ी का काम कर रहे थे।
शुरुआती जांच में में ही पुलिस को इनकी भूमिका की जानकारी मिल गई। एसटीएफ ने अभिमन्यु की तलाश में तीन दफे केजीएमयू में छापेमारी की हर बार वह पुलिस को चकमा देने में सफल रहा। अभिमन्यु की गिरफ्तारी पर पर मध्य प्रदेश पुलिस ने इनाम भी रखा था। आगरा के रहने वाले अमित पाण्डेय पर पूर्वाचल के युवाओं को नेटवर्क में शामिल करने की जिम्मेदारी थी। अमित ने 2008 में केजीएमयू से ही एमबीबीएस किया। उसकी तलाश में एसटीएफ आगरा रवाना हो गई है।
गलती से पकड़े गए मेडिकोज को एसटीएफ ने छोड़ा
एक जैसा नाम होने के कारण मध्य-प्रदेश एसटीएफ ने शनिवार को 2011 बैच के अमित पाण्डेय को धर लिया था। तहकीकात में अमित के निर्दोश साबित होने पर एसटीएफ ने मंगलवार को उसे छोड़ दिया। उसे छोड़े जाने की जानकारी एसटीएफ ने केजीएमयू प्रशासन को दी। साथ ही छात्र से एसटीएफ ने लिखित रूप से माफी भी मांगी।
छात्रों ने जताया विरोध
व्यापमं घोटाले में एसटीएफ की आए दिन हो रही छापेमारी से केजीएमयू के मेडिकोज परेशान हो गए हैं। परीक्षा के दौरान पुलिस की कार्रवाई से परेशान छात्रों का समूह कुलपति से मिलने पहुंचा। केजीएमयू प्रशासन ने उन्हें परीक्षा की तैयारियों की हिदायत देकर वापस लौटा दिया।
एसटीएफ की कार्रवाई में केजीएमयू कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता। मगर एक बात साफ है कि जब तक कानून छात्रों को दोषी नहीं मानेगा तब तक छात्रों को केजीएमयू प्रशासन बेगुनाह समझेगा।
डॉ. रविकांत, कुलपति, केजीएमयू