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क्यों वही मिलता है जो नहीं चाहते

स्टीव मार्टिल ( कोच व पर्सनल डेवलपमेंट ब्लॉगर। वह न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग में प्रशिक्षित हैं। मानवीय संभावनाओं की व्यापकता उनका प्रिय विषय है) बहुत लोग हैं,  जो आकर्षण के सिद्धांत को...

क्यों वही मिलता है जो नहीं चाहते
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 25 Jan 2015 08:29 PM
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स्टीव मार्टिल ( कोच व पर्सनल डेवलपमेंट ब्लॉगर। वह न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग में प्रशिक्षित हैं। मानवीय संभावनाओं की व्यापकता उनका प्रिय विषय है)

बहुत लोग हैं,  जो आकर्षण के सिद्धांत को नहीं मानते। कुछ संदेह करते हैं, तो कुछ इसे मनगढंत मानते हैं। आमतौर पर ये वे लोग होते हैं,  जो अपने लिए अच्छा जीवनसाथी नहीं ढूंढ़ पाए,  करियर में असफल रहे या अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाए। हालांकि वे इस बात से अनजान होते हैं कि उनकी असफलता पर भी यह नियम पूरी तरह लागू होता है। प्रश्न है कि क्यों हम जीवन को मनमुताबिक नहीं बना पाते?  इसकी वजह सिर्फ इतनी है कि हमारा पूरा
ध्यान उस बात पर होता है,  जो हम नहीं चाहते।

वही पाते हैं,  जो नहीं चाहते
कुछ समय पहले मैंने एक कोचिंग प्रोग्राम की शुरुआत की। मैं कुछ नए अनुभवी कोच तैयार करना चाहता था। पहले दिन मैं कुछ लोगों से मिला। वहां एक महिला कोच ने बताया कि हममें से हरेक को कोचिंग के लिए पांच उम्मीदवार दिए जाएंगे। पर किसी एक को छह उम्मीदवार भी मिलेंगे। वह इससे नाखुश थी। उसने कहा, ‘ मैं नहीं चाहती हूं कि मुझे छह उम्मीदवारों का कोच बनाया जाए।’  कुछ समय बाद प्रमुख कोच कमरे में आए। मैं शांत बैठकर उन्हें ध्यान से देखने लगा। कोच ने उस उम्मीदवार का नाम बताया,  जिसे छह उम्मीदवारों को कोचिंग देनी थी। ..जानते हैं कि किसे चुना गया?  वही महिला,  जो ऐसा नहीं चाहती थीं।

गौर करें,  यदि हम उस महिला के वाक्य में से ‘नहीं’  शब्द हटा दें तो क्या बनेगा?  यह होगा, ‘मैं चाहती हूं कि मुझे छह उम्मीदवारों का कोच बनाया जाए। मुझे उस महिला के चुने जाने पर आश्चर्य नहीं हुआ,  क्योंकि यह ब्रह्मांड वही देता है,  जिधर हम आकर्षित हो रहे होते हैं। यही ब्रह्मांड का नियम है!

इच्छाओं के प्रति सतर्क रहें
यह हमारा स्वभाव है कि हम वही सोचते हैं,  जो नहीं चाहते। जैसे कि मैंने कहा, ‘लाल रंग के बारे में नहीं सोचें।’ पर आप किसी भी अन्य रंग के बारे में सोचने की जगह लाल रंग ही सोचते हैं। मैंने कहा कि हरा रंग न सोचें। तो अब आप लाल को छोड़कर हरा रंग सोचने लगते हैं। क्यों?  आप कह सकते हैं कि जब पता होगा कि कौन सी वस्तु हरी है,  तभी तो उसे छोड़ पाएंगे। पर हमेशा ऐसा नहीं होता।

यदि आप उलझ रहे हैं तो थोड़ा धैर्य रखें। अपने विचारों पर ध्यान दें। ऐसा तो नहीं कि जो नहीं चाहते,  उसके बारे में सोचने के चक्कर में भूल जाते हैं कि क्या चाहते हैं?  नतीजा,  वही पाते हैं,  जो नहीं चाहते।   

ऐसे बढ़ती हैं समस्याएं
आप अक्सर कहते होंगे कि बस अब और कर्ज नहीं लेंगे। ज्यादा खर्च नहीं करेंगे। पर क्या ऐसा होता है?  अब इस नियम को लागू करें। ध्यान खर्च पर होगा तो हम वहीं आकर्षित होंगे। पर इसकी जगह यदि हम बचत या आय पर ध्यान देते तो हमारा आकर्षण भी वहीं होता। बात महज कर्ज की नहीं है। हमारी कई इच्छाएं इसी रूप में सामने आती हैं..

मैं बीमार नहीं पड़ना चाहता/चाहती।
मैं काम नहीं करना चाहता/चाहती।
मैं फेल नहीं होना चाहता/चाहती।
मैं नौकरी नहीं खोना चाहता/ चाहती।

इन सभी वाक्यों में हमारा ध्यान इस पर है कि हम क्या नहीं चाहते। इसलिए आकर्षित भी उसी ओर होते हैं,  जो नहीं चाहते। सोचें कि मैं स्वस्थ होना चाहता हूं,  सोचें कि मेरी आय में बढ़ोतरी हो,  सोचें कि मैं पास होऊंगा। अंत में यही कहूंगा कि जिस पर ध्यान होगा, वहीं हम आकर्षित होंगे।
(www.freedomeducation.ca)



हर समय एक चुनाव है

आकर्षण के सिद्धांत के अनुसार हम उसी ओर आकर्षित होते हैं,  जिस पर हमारा ध्यान होता है। प्रकृति हमें उसी ओर ले जाती है,  जिस बारे में हम अधिक सोचते हैं। इसलिए क्या नहीं चाहते,  इसकी जगह अपना ध्यान इस पर लगाएं कि क्या चाहते हैं। ध्यान रखें..
- बाहरी भौतिक दुनिया में हर चीज परमाणु से बनी है।
- परमाणु ऊर्जा है।
- ऊर्जा और कुछ नहीं,  चेतन अवस्था है।

तीन मंत्र
- आपके मूल्य व विचार,  केवल आपकी वास्तविकता को नहीं दिखाते,  बल्कि उसका निर्माण भी करते हैं। यही तरक्की की ओर ले जाता है। 
- अपने विचारों को सुनें और उनकी समीक्षा करें। जानें कि क्या चाहते हैं,  क्या नहीं चाहते और कहां बदलाव की जरूरत है।
-  इस ब्रह्मांड के लिए आपके विचार जरूरी हैं। अपने विचारों को स्पष्टता दें। उन्हें काबू में रखें।

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