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ग्रामीणों में कोर्ट के फैसले के प्रति देखी गई नाराजगी

मंगलवार की शाम सारे आरोपियों को रिहा करने का समाचार ज्योंहि शंकरबिगहा गांव में पहुंचा, लोगों में नाराजगी और मायूसी का आलम देखा गया। किसी व्यक्ति ने गांव में मोबाईल से यह सूचना दी कि सारे आरोपी बरी कर...

ग्रामीणों में कोर्ट के फैसले के प्रति देखी गई नाराजगी
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 13 Jan 2015 10:11 PM
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मंगलवार की शाम सारे आरोपियों को रिहा करने का समाचार ज्योंहि शंकरबिगहा गांव में पहुंचा, लोगों में नाराजगी और मायूसी का आलम देखा गया। किसी व्यक्ति ने गांव में मोबाईल से यह सूचना दी कि सारे आरोपी बरी कर दिए गए हैं। इस सूचना के बाद बधार से लौट रहे लोग गांव के चौपाल पर इक्कठा हो गए। लोगों के बीच कानाफूसी शुरू हो गई। अपने पति जगमोहन साव को इस नरसंहार में गंवा चुकी एक महिला ने रोते हुए कहा कि पति के हत्यारों को जेल में सजा भुगतते देखने का सपना अधूरा रह गया।

उक्त महिला ने 25 जनवरी की उस काली रात को याद करते हुए बताया कि घना कोहरा छाया हुआ था। वे लोग पूरे परिवार के साथ अपनी झोपड़ी में सो रहे थे। हमलावरों ने घर का दरबाजा तोडम् मेरे ही आंख के सामने पति को गोली मार दी। मैंने किसी तरह छुपकर अपनी जान बचायी थी। राजमणि देवी ने इस नरसंहार में पति, सास और ननद को गंवा दिया था। राजमणि के मुंह से बोल नहीं फुट रहे थे। लेकिन आंखे यह संकेत दे रही थी कि अब तो बची खुची उम्मीद भी समाप्त हो गई। पूरा गांव शोक में डूबा हुआ था।

लोग इस शोक के कारण अपने दुआर पर खड़े जानवरों को सानी-पानी देना भी भूल गए थे। इस फैसले का असर छोटे बच्चों पर भी साफ दिख रहा था। उनकी आंखे यह बता रही थी कि आज के दिन कुछ अच्छा घटित नहीं हुआ है। वहीं युवकों में फैसले के प्रति रोष दिखा। 25 वर्षीय युवक संजय कुमार ने कहा कि नरसंहार के दिन उसे दुनियादारी की समझ नहीं थी। लेकिन आज वह साफ देख रहा है कि गरीबों की सामूहिक हत्या के कई मामलों में एक भी आरोपी को सजा आखिर क्यों नहीं मिली।

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