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पत्रकारों पर हमला

पेरिस में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ, यानी मीडिया को भी खूनी स्याही से रंग दिया गया। एक छोटे से कार्टून से नाराज आतंकवादी संगठन ने एक साप्ताहिक व्यंग्य पत्रिका के संपादक सहित कई पत्रकारों को मौत के घाट...

पत्रकारों पर हमला
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 08 Jan 2015 10:11 PM
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पेरिस में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ, यानी मीडिया को भी खूनी स्याही से रंग दिया गया। एक छोटे से कार्टून से नाराज आतंकवादी संगठन ने एक साप्ताहिक व्यंग्य पत्रिका के संपादक सहित कई पत्रकारों को मौत के घाट उतार दिया। दुनिया के हर कोने में इस निर्मम हत्या की भत्र्सना हो रही है। देश को सही दिशा दिखाने वाला मीडिया ही आज निशाने पर है। फिर कोई कैसे कहेगा कि आतंकियों के कदम सही हैं? बीते वर्ष भी विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में अपने वसूल से समझौता न करने वाले कई पत्रकारों को आतंकियों ने मौत के घाट उतारा था। लेकिन उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी तब भी किसी सरकार और संगठन ने नहीं ली थी। मीडिया किसी भी देश की सरकार का आईना होता है। विरोध-प्रदर्शन के और भी कई तरीके हैं। आए दिन लोग उन प्रयोगों को अमल में लाकर अपना विरोध जताते भी आए हैं। लेकिन इस वीभत्स और बर्बर घटना की जितनी भी निंदा की जाए, वह कम है। क्या अब पूरा विश्व एकजुटता के साथ आतंकवाद के खात्मे का प्रयास करेगा?
सुधीर कुमार, राजाभीठा, गोड्डा

बार-बार अध्यादेश क्यों

संसद लोकतंत्र की संचालक इकाई है। संसद चर्चा का स्थल है। यहां सहमति से कानून बनते हैं। अध्यादेश आपातकालीन उपबंध है। संविधान के अनुसार, कोई भी अध्यादेश सत्र न होने पर पास किया जा सकता है, पर वह साढ़े सात महीने से ज्यादा अस्तित्व में नहीं रह सकता। कानूनी स्थिति यह भी है कि अगले सत्र में उसे कानून बनाना होगा, वरना वह समाप्त हो जाएगा। कानून बनाने का काम संसद और विधानसभाओं का है। संसद की उपेक्षा या उसके सत्र के समापन के साथ अध्यादेश की झड़ी लगाना संविधान के साथ धोखाधड़ी है। सरकार के इस रवैये से एक महत्वपूर्ण सवाल यह भी उठा है कि वह आर्थिक सुधारों को लेकर इतनी आतुरता क्यों दिखा रही है? भूमि अधिग्रहण से जुड़ा संशोधन गंभीर विमर्श का मुद्दा है। राष्ट्रपति ने भी इस अध्यादेश को मंजूरी देते हुए सवाल किया है कि सरकार को इतनी जल्दबाजी क्यों है?
आशुतोष तिवारी, आईएमएस, गाजियाबाद

आबादी की जिम्मेदारी

दुनिया में दूसरे नंबर पर आबादी का बोझ झेल रहे भारत में एक सांसद ने चार बच्चे पैदा करने की नसीहत दी है। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि महंगाई के इस दौर में उनकी अच्छी परवरिश कैसे होगी? मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति में आम आदमी के पसीने छूट जाते हैं। ऐसे में, उनको बेहतर शिक्षा व सुरक्षा कोई नागरिक कैसे दे पाएगा? अगर वास्तव में देश का विकास करना है, तो आबादी कम करने की जिम्मेदारी सभी समुदायों को लेनी होगी। गौरतलब है कि पड़ोसी देश चीन में 1979 में वन चाइल्ड पॉलिसी प्रत्येक नागरिक पर लागू हुई। तब जाकर वहां की जनसंख्या का विस्तार रुका। सरकारी योजनाओं का लाभ जब प्रत्येक वर्ग लेता है, तो आबादी की रोकथाम भी सभी को करनी होगी।
सचिन कुमार कश्यप, शामली, उ. प्र.

घुसपैठ का प्रयास

आजकल सीमा पर गोलाबारी काफी हो रही है। खबरें आ रही हैं कि गांव के गांव पलायन कर रहे हैं। अचानक ही पाकिस्तान की तरफ से हमले क्यों तेज हुए? ऐसा लगता है कि आतंकवादियों को हिन्दुस्तान में घुसने के लिए रास्ते चाहिए। गोलीबारी के बीच वे आसानी से घुसपैठ कर सकते हैं। चाहे वह नेपाल का रास्ता हो या फिर राजस्थान और गुजरात का, आतंकी रास्ता तलाशते रहते हैं। हाल ही में गुजरात की समुद्री सीमा से आतंकियों ने घुसने की नाकाम कोशिश की। इसलिए सीमा ही नहीं, शहरों की भी चौकसी बढ़ा दी गई है। पाकिस्तान की नापाक मंशा को भारत समझ रहा है। गणतंत्र दिवस के आसपास वे गड़बड़ी फैलाना चाहते हैं। रक्षा मंत्री ने सीमा पर जवाबी कार्रवाई के आदेश दिए हैं। 
अरविंद प्रताप सिंह, सिद्धार्थ विहार, गाजियाबाद

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