फोटो गैलरी

Hindi News लविवि की परीक्षा प्रणाली में छेद ही छेद

लविवि की परीक्षा प्रणाली में छेद ही छेद

विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रणाली में छेद ही छेद हैं। इसकी नजीर है बीकॉम आनर्स की परीक्षा। 80 परीक्षार्थियों के परीक्षा दिए बिना लौट जाने के दूसर दिन भी विश्वविद्यालय ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना...

 लविवि की परीक्षा प्रणाली में छेद ही छेद
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
ऐप पर पढ़ें

विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रणाली में छेद ही छेद हैं। इसकी नजीर है बीकॉम आनर्स की परीक्षा। 80 परीक्षार्थियों के परीक्षा दिए बिना लौट जाने के दूसर दिन भी विश्वविद्यालय ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर उन्हें चिह्न्ति तक नहीं किया। विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रणाली में आई खामियों पर नजर डाल रहे हैं हमार कार्यालय संवाददाताड्ढr ड्ढr बीकॉम आनर्स की परीक्षा गुरुवार को न हो पाने के पीछे लापरवाही और संवादहीनता का मामला सामने आ रहा है। शनिवार को कुलपति के लौटने के बाद ही इस मामले पर कोई निर्णय होगा। इतने गंभीर प्रकरण पर प्रति कुलपति प्रो. यूएन द्विवेदी ने भी कुछ कहने से इनकार कर दिया। बीकॉम आनर्स की नई परीक्षा तिथि शुक्रवार को जरूर घोषित कर दी गई। नई तिथियों के मुताबिक अब दूसर सेमेस्टर की परीक्षाएँ 26 अप्रैल से और चौथे सेमेस्टर की 30 अप्रैल से होंगी।ड्ढr पड़ताल में यह बात सामने आई है कि परीक्षा नियंत्रक प्रो. आरवीएस वर्मा ने स्कीम पर हस्ताक्षर किया है। ऐसे में वे दोषी हैं। बीकॉम आनर्स पाठय़क्रम से जुड़े लोग बताते हैं कि पेरीक्षा नियंत्रक को सात या आठ अप्रैल को स्कीम दी गई थी जिस पर उन्होंने संशोधन सुझाए थे। दोबारा उनके हस्ताक्षर कराने के बाद यह स्कीम परीक्षा प्रकोष्ठ को दे दी गई। चूँकि विश्वविद्यालय में इसके लिए किसी रिसीविंग की परंपरा नहीं है इसलिए कौन झूठ बोल रहा है कौन सच इसका फैसला कोई उच्चस्तरीय जाँच कमेटी ही कर सकती है। कुलपति प्रो. एएस बरार की गैरहाजिरी में दो दिन बाद हर जिम्मेदार केवल हटो-बचों के खेल में शामिल हैं।ड्ढr परीक्षा प्रणाली में खामियों के कुछ और नमूने। 30 अप्रैल को विज्ञान संकाय के जिस प्रश्नपत्र की परीक्षा होनी है, उसका पर्चा अभी तक त्रुटियाँ सुधार कर (मॉडरट होकर) नहीं मिला है। 2 मई के पेपर का मॉडरशन भी अभी शुरू नहीं हुआ है। मॉडरशन में करीब तीन दिन लगते हैं। यही वजह है कि 10 फीसदी मामलों में ठीक परीक्षा से एक दिन पूर्व ही प्रश्नपत्र छपकर मिल पाते हैं। हर साल चार-छह पेपर ऐसे होते हैं जो समय से पर्चा न मिलने के कारण ऐन वक्त पर स्थगित करने पड़ते हैं। परीक्षा नियंत्रक प्रो. वर्मा कहते हैं कि शिक्षक सहयोग नहीं करते और विभाग में कई वर्षो से कर्मचारियों की संख्या व संसाधन बेहद सीमित हैं। पिछले तीन वर्षो में छात्र संख्या व पाठय़क्रम बढ़ने, सेमेस्टर प्रणाली लागू होने से काम काफी बढ़ गया है।ड्ढr लविवि परीक्षा में बार-बार उाागर हो रही खामियों पर परीक्षा नियंत्रक सफाई देते हैं कि पेपर सेटिंग से लेकर मॉडरशन और परीक्षा संचालन से लेकर मूल्यांकन तक हाथ जोड़-ाोड़ कर सभी से आग्रह करना पड़ता है लेकिन कोई काम समय पर पूरा होकर नहीं मिलता। परीक्षा विभाग के अपने कर्मचारियों की संख्या काफी कम है और असहयोग करने वाले शिक्षकों के खिलाफ वे सीधे कार्रवाई कर नहीं सकते। परीक्षा विभाग के पास पर्चे रखने के लिए जो स्ट्रांग रूम है उसकी क्षमता महा 80 हाार से एक लाख तक पर्चे स्टोर करने की है। इसलिए पहले से पर्चे छपवाकर स्ट्रांग रूम में रखना सुरक्षा के लिहाज से उचित नहीं है।ं

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें