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भारत के अनमोल रत्न

राजनेता-कवि-पत्रकार अटल बिहारी वाजपेयी और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक मदन मोहन मालवीय को देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ देने की घोषणा की गई है। सूत्रों के मुताबिक 26...

भारत के अनमोल रत्न
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 25 Dec 2014 11:32 AM
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राजनेता-कवि-पत्रकार अटल बिहारी वाजपेयी और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक मदन मोहन मालवीय को देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ देने की घोषणा की गई है। सूत्रों के मुताबिक 26 जनवरी को इन्हें सम्मानित किया जा सकता है।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महामना मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न देने की जानकारी राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को ट्वीट के जरिये दी। इसमें लिखा है, राष्ट्रपति बेहद हर्ष के साथ पंडित मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) और अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित करते हैं।’ इस सम्मान की घोषणा 25 दिसंबर को वाजपेयी के 90वें जन्मदिन और मालवीय की 153वीं जयंती से ठीक पहले की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल और मालवीय को यह सम्मान दिए जाने की घोषणा पर खुशी जताई है।

मोदी ने किया था आग्रह: मोदी ने कहा, ‘अटलजी हर किसी के प्रिय हैं। एक पथ प्रदर्शक, एक प्रेरणा और दिग्गजों के बीच दिग्गज हैं। भारत के प्रति उनका योगदान अतुलनीय है। पंडित मदन मोहन मालवीय को एक असाधारण विद्वान और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने लोगों में राष्ट्रचेतना की ज्योति प्रज्ज्वलित की।’ मोदी ने खुद राष्ट्रपति से इन दोनों महान हस्तियों को भारत रत्न दिए जाने का आग्रह किया था।

अस्वस्थ चल रहे हैं अटल: 1998 से 2004 के बीच देश के प्रधानमंत्री रहे 90 वर्षीय वाजपेयी अपनी उम्र संबंधी अस्वस्थता के चलते पिछले कुछ समय से सार्वजनिक जीवन से दूर हैं। उन्हें एक महान राजनेता और भाजपा का उदारवादी चेहरा कहा जाता है।

हिंदू महासभा के शुरुआती नेता थे मालवीय: मालवीय को स्वतंत्रता संग्राम में उनकी सशक्त भूमिका और हिंदू राष्ट्रवाद के प्रति उनके समर्थन के लिए भी याद किया जाता है। वह दक्षिणपंथी हिंदू महासभा के शुरुआती नेताओं में से एक थे।

पिछले साल सचिन को मिला था सम्मान : पिछले वर्ष यूपीए ने सचिन तेंदुलकर और वैज्ञानिक सीनआर राव को भारत रत्न देने का ऐलान किया था। अब तक 45 लोग यह सम्मान पा चुके हैं। भारत रत्न की शुरुआत 1954 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने की थी।

इसलिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान के हकदार
अटल बिहारी वाजपेयी
- 1977 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देकर देश का सिर गर्व से ऊंचा किया
- 1996, 1998 और 1999 में प्रधानमंत्री बने, देश-विदेश में एक ईमानदार नेता की छवि
- 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण, जो भारतीय इतिहास के सबसे गौरवपूर्ण क्षणों में से एक
- भारत-पाक में मतभेद मिटाने को आगरा शिखर वार्ता, लाहौर बस यात्रा जैसे बड़े कदम उठाए
- संवदेनशील कवि, बेहतरीन संपादक और एक उदारवादी नेता के रूप में भाजपा के पहले पीएम जनता में बेहद लोकप्रिय

मदन मोहन मालवीय
- 1916 में प्रतिष्ठित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे
- ‘सत्यमेव जयते’ के प्रचार में अहम भूमिका, अंतिम सांस तक स्वराज्य के लिए कई काम किए
- भारत के पहले और अंतिम व्यक्ति, जिन्हें ‘महामना’ की उपाधि से सम्मानित किया गया
- चौरी-चौरा कांड में 170 दोषियों को फांसी हुई थी, जिनमें से 151 को पंडितजी ने छुड़ाया
- शिक्षा, पत्रकारिता व वकालत में कई अहम काम किए, प्रयाग के भारती भवन पुस्तकालय और मिंटो पार्क के जन्मदाता रहे

‘अटल’ कविताओं के अंश
हार नहीं मानूंगा...
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा
काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूं
गीत नया गाता हूं...

ठन गई! मौत से...
ठन गई! मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था

मैं न चुप हूं, न गाता हूं...
स्वयं को दूसरों की दृष्टि से
मैं देख पाता हूं, मैं न चुप हूं , न गाता हूं
अकेला गुनगुनाता हूं
...मगर हम झुक नहीं सकते
हम निहत्थे, शत्रु है सन्नद्ध, शस्त्र से सज्ज
दांव पर सब कुछ लगा है रुक नहीं सकते
टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते

मनाली मत जइयो...
मनाली मत जइयो गोरी, राजा के राज में
जइयो तो जइयो, उड़िके मत जइयो
अधर में लटकीहौ, वायुदूत के जहाज में

राह कौन सी जाऊं मैं...
चौराहे पर लुटता चीर, प्यादे से पिटा वजीर चलूं चाल कि बाजी छोड़ विरक्ति सजाऊं
राह कौन सी जाऊं मैं...

‘हिन्दुस्तान’ भी गौरवान्वित
महामना को मिले भारत रत्न से आज ‘हिन्दुस्तान’ भी गौरवान्वित हुआ है। दरअसल 14 अप्रैल 1936 को इस अखबार का जन्म भी उनके प्रयासों का ही परिणाम है। आदर्श संपादकीय परंपराओं की जो प्रेरणा उन्होंने दी, उसी पर चलकर आज ‘हिन्दुस्तान’ देश में हिंदी पाठकों के चहेते अखबार के रूप में पहचाना जाता है। पंडितजी के प्रपौत्र और हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस गिरधर मालवीय को जब हिन्दुस्तान ने बधाई दी तो वह सहसा बोल पडे़- आपको भी बधाई। यह ‘हिन्दुस्तान’ भी उन्हीं ने खड़ा किया था।

मैं राज्य की कामना नहीं करता, मुझे स्वर्ग और मोक्ष नहीं चाहिए। दुख से पीड़ित प्राणियों के कष्ट दूर करने में सहायक हो सकूं, यही मेरी कामना है
- महामना मदन मोहन मालवीय
(मालवीय जी ये पक्तियां अक्सर कहा करते थे)

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