यादव सिंह के खिलाफ पांच केस बंद क्यों किए: हाईकोर्ट
नोएडा अथारिटी के निलंबित इंजीनियर इन चीफ यादव सिंह के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि उनके खिलाफ दर्ज पांच एफआईआर में क्लोजर रिपोर्ट क्यों और...
नोएडा अथारिटी के निलंबित इंजीनियर इन चीफ यादव सिंह के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि उनके खिलाफ दर्ज पांच एफआईआर में क्लोजर रिपोर्ट क्यों और कैसे लगाई गई? साथ ही केंद्र व राज्य सरकार, सीबीआई, एसआईटी व नोएडा अथॉरिटी से 20 जनवरी को अपना जवाब देने के आदेश दिए हैं।
अदालत ने सभी को 20 जनवरी को अगली सुनवाई से पहले प्रति शपथ पत्र दाखिल करने के साथ ही यादव सिंह को भी नोटिस जारी किया है। साथ ही राज्य के प्रमुख सचिव गृह को निजी हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्ट करने का आदेश दिया है कि वर्ष 2012 में यादव सिंह के खिलाफ दर्ज पांच एफआईआर में क्लोजर रिपोर्ट किन हालात में लगाई गई?
मुख्य न्यायाधीश डॉ. धनंजय यशवंत चन्द्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने यह आदेश डॉ. नूतन ठाकुर की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर बहस करते हुए वकील अशोक पाण्डेय की दलील थी कि राजनीतिक संरक्षण प्राप्त नोएडा अथॉरिटी के इंजीनियर इन चीफ ने कई तरीकों से अरबों की काली कमाई की है।
वर्ष 2012 में नोएडा अथॉरिटी के कार्यकारी अधिकारी ने उसके खिलाफ अलग-अलग मामलों में पांच एफआईआर दर्ज करायी लेकिन रसूख और पहुंच के बूते यादव सिंह ने सभी में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करावा दी। वकील का आरोप था कि आयकर छापे में उनके काले कारनामों का खुलासा हुआ लेकिन अब भी यादव सिंह के खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्यवाही नहीं की जा रही है।
प्रकरण की सीबीआई जांच कराने तथा यादव सिंह के राजनीतिक सरंक्षण देने वाले लोगों का पता लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश से जांच कराए जाने की मांग की। उधर, सरकार की ओर से महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने दलील दी कि यादव सिंह के कृत्यों की जानकारी होते ही निलंबित कर दिया है। और उसके विरुद्ध कानूनी प्रक्रिया अमल में लायी गई है।