समय से पहले तोपचांची झील पहुंचे साइबेरियाई पक्षी
तोपचांची झील में साइबेरियाई पक्षियों का झुंड पहुंच गया है। हालांकि इस बार विदेशी पक्षियों की अठखेलियां समय से पहले ही दिखने लगी है। हर बार साइबेरियाई पक्षी मध्य दिसंबर के बाद ही आते थे लेकिन इस बार...
तोपचांची झील में साइबेरियाई पक्षियों का झुंड पहुंच गया है। हालांकि इस बार विदेशी पक्षियों की अठखेलियां समय से पहले ही दिखने लगी है। हर बार साइबेरियाई पक्षी मध्य दिसंबर के बाद ही आते थे लेकिन इस बार यह दिसंबर की शुरुआत में ही पहुंच गए हैं।
हर साल ठंड के मौसम में यह पक्षी मीलों सफर तय कर तोपचांची झील तक पहुंचता है। पहाड़ों से घिरे झील की खुबसूरती इन पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। तोपचांची झील में पिछले 30 वर्षो से नौकरी कर रहे अब्दुल कयूम अंसारी बताते हैं कि ठंड में आने वाले सैलानियों के लिए साइबेरियाई पक्षी आकर्षण का केंद्र होते हैं। इस बार यह कुछ समय पहले ही पहुंच गए हैं।
ठंड से बचने के लिए भारत आते हैं पक्षी
डीएफओ सतीश चंद्र राय ने बताया कि अभी साइबेरिया में ठंड अधिक पड़ती है। तापमान माइनस में चला जाता है और वहां बर्फ पड़ने लगती है। बर्फ से बचने के लिए ही साइबेरियाई पक्षी भारत की ओर पलायन करते हैं। यह झील के आसपास अपना डेरा बसाते हैं। झील में इन्हें भोजन के लिए मछलियां भी आसानी से मिल जाती है।
साइबेरिया क्षेत्र रूस का मध्य और पूर्वी भाग है। यहां से आने वाले पक्षियों को ही साइबेरियाई पक्षी कहा जाता है। यह पक्षी तोपचांची के साथ-साथ पास के मैथन डैम और गिरिडीह के खंडोली डैम में भी अपना बसेरा बनाते हैं।
मार्च में वापस लौट जाते हैं साइबेरियाई पक्षी
दिसंबर में तोपचांची झील आने वाले साइबेरियाई पक्षी लगभग तीन माह रहकर मार्च के महीने में यह वापस लौट जाते हैं। जैसे-जैसे गर्मी पड़ने लगती है, वापस ये अपने देश लौट जाते हैं।