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साध्वी के इस्तीफे पर अड़ा विपक्ष, संसद में दूसरे दिन भी हंगामा

केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के विवादास्पद बयान को लेकर एकजुट विपक्ष ने आज लगातार दूसरे दिन संसद में सरकार पर दबाव बनाते हुए भारी हंगामा किया तथा मंत्री को बर्खास्त करने और प्रधानमंत्री...

साध्वी के इस्तीफे पर अड़ा विपक्ष, संसद में दूसरे दिन भी हंगामा
एजेंसीWed, 03 Dec 2014 05:22 PM
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केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के विवादास्पद बयान को लेकर एकजुट विपक्ष ने आज लगातार दूसरे दिन संसद में सरकार पर दबाव बनाते हुए भारी हंगामा किया तथा मंत्री को बर्खास्त करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में सफाई देने की मांग की। हालांकि सरकार ने कहा कि मंगलवार को मंत्री द्वारा इस मुद्दे पर खेद जताए जाने के बाद यह मामला समाप्त हो जाना चाहिए।
   
इस मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही भोजनावकाश के पहले बार बार बाधित हुई तथा तीन बार के स्थगन के बाद बैठक को दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दिया गया। हंगामे के कारण उच्च सदन में प्रश्नकाल नहीं चल पाया।
   
उधर लोकसभा में इसी मुद्दे पर विपक्ष ने प्रश्नकाल में हंगामा करने के बाद शून्यकाल में वॉकआउट कर दिया।
दोनों ही सदनों में विपक्ष ने इस बात पर भी घोर आपत्ति जताई कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कोई बयान नहीं आया है। राज्यसभा में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने आरोप लगाया कि मोदी पिछले दो दिन से संसद भवन में हैं लेकिन उन्होंने एक भी दिन उच्च सदन में आ कर इस मुद्दे पर सफाई देना उपयुक्त नहीं समझा।
   
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने मंत्री को बर्खास्त करने की विपक्ष की मांग को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि मंत्री के माफी मांग लेने के बाद यह मुद्दा समाप्त हो जाना चाहिए। उन्होंने आज विगत की कई घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि पूर्व में भी अन्य दलों के मंत्रियों और सदस्यों ने विवादास्पद बयान दिए थे।

राज्यसभा में आज सदन की बैठक शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने इस मुद्दे पर हंगामा शुरू कर दिया। सपा के नरेश अग्रवाल ने व्यवस्था के प्रश्न के नाम पर यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि सदन को इन मंत्री के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव में कहा जाना चाहिए कि सदन को मंत्री पर विश्वास नहीं है और वह उन्हें बर्खास्त करने की मांग करता है।
   
इसके बाद नायडू ने कहा कि जब मंत्री ने सदन के बाहर दिए गए बयान पर सदन में आ कर खेद जता दिया है तो इस मामले को समाप्त मान लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि यह बयान बेहद आपत्तिजनक और अस्वीकार्य है।
   
नायडू ने कहा कि पिछली सरकार में एक तत्कालीन केंद्रीय मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और सपा नेता मुलायम सिंह यादव के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक बयान दिया था और इस पर माफी मांगने से इंकार कर दिया था। इस बयान को लेकर बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने माफी मांगी थी। उन्होंने कहा कि तणमूल कांग्रेस के एक सदस्य ने भी महिलाओं को लेकर एक बेहद आपत्तिजनक बयान दिया था।
   
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि ऐसे बयानों पर क्या कार्रवाई हुई। कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने सरकार के इस रुख पर बेहद आपत्ति जताते हुए कहा कि नायडू तथा कल सदन के नेता अरुण जेटली ने संबंधित मंत्री के बयान को खेदजनक बताया था तथा मंत्री ने सदन में आ कर अपने बयान पर खेद जताया और माफी मांगने की पेशकश की।
   
शर्मा ने कहा कि लेकिन यह मामला इतना आसान नहीं है कि यह केवल मंत्री के माफी मांग लेने से समाप्त हो जाए। शर्मा ने कहा कि केंद्रीय मंत्री और प्रधानमंत्री संविधान की शपथ लेते हैं और क्या वह केवल सदन के भीतर ही मंत्री रहते हैं एवं सदन के बाहर जा कर कुछ भी बोल सकते हैं।
   
उन्होंने कहा कि मंत्री ने जो भी कहा वह संज्ञेय होने के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) के तहत दंडनीय अपराध है जिसमें कम से कम तीन साल तक की सजा हो सकती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पिछले दो दिन से संसद में मौजूद हैं लेकिन उन्होंने एक भी दिन उच्च सदन में आ कर इस मुद्दे पर सफाई देने की जरूरत नहीं समक्षी।
   
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि इस मामले में मंत्री के माफी मांग लेने से अपराध खत्म नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है और मंत्री को बर्खास्त किया जाना चाहिए। जदयू के शरद यादव ने इस मामले में मंत्री को बर्खास्त करने की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि यदि ऐसे मामलों में कार्रवाई होगी तो आगे से कोई भी मंत्री ऐसे बयान देने से बचेगा।
   
इसी बीच, सत्ता पक्ष के कई सदस्य इस मुद्दे पर अपनी ओर से किसी को बोलने का मौका देने की मांग करने लगे। इसके विरोध में मंत्री को बर्खास्त करने की मांग करते हुए कांग्रेस, सपा और जदयू के सदस्य आसन के समक्ष आ गए एवं नारेबाजी करने लगे।
   
उपसभापति पी.जे. कुरियन ने उत्तेजित सदस्यों को कई बार शांत कराने और सदन की कार्रवाई चलने देने का अनुरोध किया। हंगामा थमते न देख उन्होंने पहले दस मिनट के लिए और फिर 11 बज कर 55 मिनट पर सदन की बैठक दोपहर बारह बजे तक स्थगित कर दी।

बारह बजे बैठक फिर शुरू होने पर वही नजारा देखने को मिला। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सभापति हामिद अंसारी और संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने विपक्ष के हंगामा कर रहे सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने के लिए कहा। लेकिन उनकी इस अपील का कोई असर नहीं हुआ।
   
सभापति ने हंगामा थमते न देख बैठक पहले 15 मिनट और फिर दोपहर 12 बज कर 18 मिनट पर दो बजे तक स्थगित कर दी। उधर लोकसभा में भी इसी मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के चलते सदन की कार्यवाही करीब 11 बजकर 37 मिनट पर पौने बारह बजे तक करीब आठ मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। प्रश्नकाल समाप्त होने पर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
   
प्रश्नकाल में विपक्षी दल के सदस्य अध्यक्ष के आसन के समीप आकर संबंधित मंत्री के इस्तीफे की मांग और नारेबाजी करने लगे। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि कल इस विषय पर बातें हो चुकी है, सदस्य अपने विचार रख चुके हैं। उन्होंने कहा आपको बोलने दिया गया है। अब कपया सदन को चलने दें। शून्यकाल में अपनी बात रखें।
   
कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि कल प्रधानमंत्री सदन में नहीं थे। आज प्रधानमंत्री आए हैं। एक मंत्री ने ऐसा बयान दिया है। उन्होंने अपना अपराध मान लिया है। अब प्रधानमंत्री बतायें कि माफी मांगने वाले मंत्री पर क्या कार्रवाई की गई।
   
नायडू ने विपक्षी सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने को कहा। लेकिन विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा। प्रश्नकाल समाप्त होते ही हंगामा कर रहे कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी सदस्य सदन से वॉकआउट कर गए।

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