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बहुत कुछ रखा है बातों में

महान भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग का कहना है कि मानवता को जो भी महान उपलब्धियां हुई हैं,  वे बात करने के माध्यम से हुई हैं और जो बड़ी असफलताएं मिलीं,  उनके मूल में बात न करना ही रहा है। आज...

बहुत कुछ रखा है बातों में
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 16 Nov 2014 07:11 PM
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महान भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग का कहना है कि मानवता को जो भी महान उपलब्धियां हुई हैं,  वे बात करने के माध्यम से हुई हैं और जो बड़ी असफलताएं मिलीं,  उनके मूल में बात न करना ही रहा है। आज तकनीक के इस दौर में संभावनाएं असीम हैं,  लेकिन इन्हें साकार करने के लिए बस जो जरूरी है,  वह है बातें। तो आइए करें बातों की बातें..

वैसे तो स्कूल,  ऑफिस,  हॉस्पिटल और लाइब्रेरी जैसी जगह पर बातें करने वाले को गुस्से भरी नजरों का सामना करना पड़ता है,  लेकिन इससे बातों के महत्व को कम नहीं किया जा सकता। वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक इसमें मानवता और मानवों की सेहत के लिए असीम संभावनाएं छिपी मानते हैं।

फायदे भरी बातें
बातें करने के दौरान हम अपने दिल की कहते-सुनते हैं। इस प्रक्रिया में मन की सेहत में भी गजब सुधार होता है। शायद इसीलिए इस दौर में टॉकिंग थेरेपी की खासी चर्चा होती है और काउंसलर्स का महत्व भी बढ़ा है। बातें करने के फायदे बहुत से हैं..

1.  इससे आपसी जुड़ाव और मजबूत होता है,  सामाजिक दायरा बढ़ता है। जीवन में सुरक्षा की भावना बलवती होती है।
2.  बात करने के बहाने जानकारी बढ़ती है। 
3. मस्तिष्क के ऐसे हिस्से सक्रिय हो जाते हैं,  जो खुशी,  संतुष्टि,  पुरस्कार प्राप्ति जैसे भावों से जुड़े होते हैं। किसी समस्या का हल मिल जाता है।

बातें करने की कला
कुछ लोगों को बातों का उस्ताद माना जाता है। कुछ लोग जहां खड़े हो जाते हैं,  उनकी रसदार बातों का हर कोई मजा लेना चाहता है। ऐसे लोग बातों में माहिर होते हैं। दरअसल वह जाने-अनजाने बातें करने के नियमों का पालन कर रहे होते हैं। उनमें से कुछेक हैं-

1.  बात शुरू करने में मौके और नजाकत का ध्यान जरूरी है।
2.   दो लोगों के बीच समान रुचि के बिंदुओं पर बातें लंबी चलती हैं।
3.  बॉडी लैंग्वेज और बातों की स्पष्टता का खास ध्यान रखें।
4.  आत्मविश्वास जरूरी है बातों में हास्य का पुट सबका मन जीत लेता है।

बातें चलती रहें
अगर बात करना जारी रखना चाहते हैं,  तो कुछ बातों का ध्यान रखें
1.  किसी भी मुद्दे पर हावी होने से बचें।
2. किसी एक बिंदु पर अड़ने से बचें।
3.  बहुत मुहावरेदार या क्लिष्ट भाषा का उपयोग न करें।
4.  साथी की बात को बीच में काटें नहीं। बात-बात पर किस्सा सुनाने से बचें।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इसीलिए अपने पड़ोसी, सहयात्री, सहकर्मी और परिवार के सदस्यों से बातें करते रहें। यूं ही सफर भी कट जाएगा और मंजिल भी नजर आएगी।                                   

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