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विश्वासमत के दौरान गवर्नर को चोट, 5 विधायक निलंबित

महाराष्ट्र में 13 दिन की अल्पमत भाजपा सरकार ने बुधवार को ध्वनिमत से विश्वासमत हासिल कर लिया। इस दौरान शिवसेना-कांग्रेस ने सदन में मत विभाजन की मांग करते हुए जमकर हंगामा किया। अभिभाषण के लिए विधानभवन...

विश्वासमत के दौरान गवर्नर को चोट, 5 विधायक निलंबित
एजेंसीThu, 13 Nov 2014 09:10 AM
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महाराष्ट्र में 13 दिन की अल्पमत भाजपा सरकार ने बुधवार को ध्वनिमत से विश्वासमत हासिल कर लिया। इस दौरान शिवसेना-कांग्रेस ने सदन में मत विभाजन की मांग करते हुए जमकर हंगामा किया। अभिभाषण के लिए विधानभवन पहुंचे राज्यपाल से भी धक्कामुक्की की गई जिसमें उन्हें चोट लग गई। स्पीकर ने इस आरोप में कांग्रेस के पांच विधायकों को दो साल के लिए निलंबित कर दिया।

ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित:भाजपा विधायक आशीष शेलार ने फडणवीस सरकार के पक्ष में विश्वासमत मांगते हुए एक पंक्ित का प्रस्ताव पेश किया। विधानसभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागडमे ने इसे ध्वनिमत से पारित घोषित कर दिया।

आसन के पास तक पहुंचे : शिवसेना विधायक विरोध में अध्यक्ष के आसन के पास आकर नारेबाजी करने लगे। जल्द ही कांग्रेस के विधायक भी इस विरोध में शामिल हो गए। इस दौरान एनसीपी के विधायक शांत बैठे रहे क्योंकि वे भाजपा को समर्थन देने का ऐलान कर चुके थे।

राज्यपाल को हल्की चोटें आईं: अभिभाषण के लिए विधानभवन पहुंचे राज्यपाल  विद्यासागर राव का शिवसेना और कांग्रेस के सदस्यों ने घेराव किया। इस दौरान राज्यपाल से धक्कामुक्की की गई जिससे उनको व उनके सुरक्षाकर्मियों को हल्की चोटें लगीं। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे ने धक्कामुक्की करने वाले विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा। इसके बाद 12 विधायकों ने माफी मांगी लेकिन अध्यक्ष ने पांच को निलंबित कर दिया।

बागडमे निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए: सदन में सुबह परंपरा का निर्वाह करते हुए भाजपा उम्मीदवार हरिभाऊ बागडमे को निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया। मुख्यमंत्री फडणवीस की अपील पर शिवसेना और कांग्रेस ने अपने-अपने उम्मीदवारों का नामांकन वापस ले लिया था।

शिंदे नेता प्रतिपक्ष बने : नवनिर्वाचित अध्यक्ष ने विपक्ष के नेता के पद पर शिवसेना के एकनाथ शिंदे के नाम की घोषणा की। वह शिवसेना के विधायक दल के नेता भी हैं।

विश्वास मत प्रस्ताव का समर्थन कर रहे विधायकों द्वारा इसके समर्थन में हां कहे जाने पर अध्यक्ष ने इसे पारित घोषित कर दिया। लेकिन शिवसेना और कांग्रेस के विधायकों ने अपनाई गई प्रक्रिया का विरोध करते हुए शोरगुल शुरू कर दिया और वे आसन के समझ आ गए। शिवसेना ने इससे पहले औपचारिक रूप से विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल की जगह पर बैठने का फैसला किया। शोरशराबे के बीच बागड़े यह कहते सुने गए, विश्वास मत पारित किया जाता है।

शिवसेना और कांग्रेस के आक्रोशित विधायक अध्यक्ष से तर्क वितर्क करते देखे गए। शोर शराबा बढ़ने पर अध्यक्ष ने कार्यवाही स्थगित कर दी। कार्यवाही के दौरान राकांपा के सदस्य, जिसने भाजपा सरकार को बाहर से समर्थन देने की पेशकश की थी, शांत बैठे रहे।

शिवसेना ने पूर्व में नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए दावा किया था और अध्यक्ष ने कहा था कि वह मांग को विश्वास मत के बाद देखेंगे, क्योंकि कांग्रेस ने भी इस इस आधार पर पद की दावेदारी की है कि शिवसेना भाजपा नीत राजग का हिस्सा बनी हुई है। सदन की कार्यवाही बहाल होने पर अध्यक्ष ने शिवसेना के विधायक दल के नेता एकनाथ शिन्दे को सदन में नेता प्रतिपक्ष नियुक्त करने की घोषणा की।

शिन्दे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों ने एक बार फिर विरोध किया और मांग की कि विश्वास मत मत विभाजन के जरिए हासिल किया जाना चाहिए। भाजपा के पास 121 विधायक हैं। राकांपा के 41 विधायकों के साथ उसे 162 विधायकों का समर्थन है। यह संख्या सदन में जरूरी बहुमत से 18 अधिक है, जहां वर्तमान में 287 सदस्य हैं। पार्टी ने सात निर्दलीय-बहुजन विकास आघादी के तीन और कुछ छोटे दलों स़े विधायकों के समर्थन का भी दावा किया है।

इससे पूर्व दिन में भाजपा के बागडे़ शिवसेना और कांग्रेस के उम्मीदवारों क्रमश: विजय औटी और वर्षा गायकवाड़ द्वारा अपनी उम्मीदवारी वापस ले लिए जाने के बाद सर्वसम्मति से महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। इससे ये संकेत मिले थे कि विश्वास मत की कार्यवाही बाधारहित होगी और सरकार राकांपा की सहायता से आसानी से बहुमत साबित कर देगी।

विश्वास मत के ध्वनि मत से पारित होने से नाराज शिवसेना विधायकों ने कहा कि यह लोकतंत्र का गला घोंटे जाने जैसा है। शिन्दे ने कहा कि सदन नियमों के मुताबिक चलना चाहिए और संविधान को नहीं कुचला जाना चाहिए । नयी सरकार लोकतंत्र का गला घोंट रही है। हमने मत विभाजन की मांग की थी, लेकिन विश्वास मत ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। तर्क को खारिज करते हुए अध्यक्ष ने हालांकि, कहा, मुददा खत्म हो गया है । विश्वास मत पारित हो गया है ।

शिवसेना और कांग्रेस ने किया राज्यपाल का घेराव

महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा सरकार के ध्वनिमत से बहुमत सिद्ध करने के बाद सदन में अभिभाषण करने जा रहे राज्यपाल की कार का शिव सेना और कांग्रेस के विधायकों ने घेराव किया। शिवसेना और कांग्रेस के विधायकों ने राज्यपाल की गाड़ी का घेराव कर राज्यपाल वापस जाओ के नारे लगाये।

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस ने राज्यपाल चिरंजीवी विद्यासागर राव कोपत्र लिख कर आग्रह किया था कि वह सदन में अभिभाषण नहीं करें। शिव सेना और कांग्रेस ने आज सदन में भाजपा के ध्वनिमत से बहुमत सिद्ध करने की बात को नहीं माना और दोनों ही पार्टी के नेता इसका विरोध कर रहे हैं।

हालांकि थोड़ी देर बाद राज्यपाल सदन में भाषण देने के लिए चले गये। सदन में भाजपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तथा कुछ अन्य सदस्य उपस्थित थे, जबकि सदन के बाहर कांग्रेस और शिव सेना के विधायक नारेबाजी कर रहे थे।

घटनाक्रम को राज्य के इतिहास में काला दिन करार देते हुए दोनों विपक्षी दलों ने घोषणा की कि वे राज्यपाल सी विद्यासागर राव के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराएंगे।

इससे पहले भाजपा विधायक आशीष शेलार ने देवेंद्र फडणवीस सरकार के पक्ष में विश्वास मत मांगते हुए एक लाइन का प्रस्ताव पेश किया, जिसे विधानसभा अध्यक्ष हरिभाउ बागड़े ने ध्वनि मत के लिए रखा।

हरिभाउ बागड़े बने विधानसभा अध्यक्ष

इससे पहले वरिष्ठ भाजपा विधायक हरिभाउ बागड़े सर्वसम्मति से महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष चुन लिए गए। नवगठित महाराष्ट्र विधानसभा में बागड़े के नाम की घोषणा अस्थायी अध्यक्ष जिवा पांडु गावित ने की।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, राकांपा नेता अजित पवार, कांग्रेस नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल, शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे और पीडब्ल्यूपी के वरिष्ठतम विधायक गणपात्र देशमुख औरंगाबाद जिले के फूलंभारी से विधायक बागड़े को अध्यक्ष की कुर्सी तक लेकर गए।
   
निम्न सदन की सर्वोच्च परंपरा को कायम रखते हुए अध्यक्ष के निर्विरोध निर्वाचन पर फडणवीस ने सभी दलों का धनयवाद व्यक्त किया। उन्होंने बागड़े को जमीन से जुड़ा कार्यकर्ता और कृषिविद बताया जिन्होंने भाजपा में कई महत्वपूर्ण पदों को संभाला और 1995 में शिवसेना-भाजपा सरकार में भी रहे।
   
शिवसेना के नेता एकनाथ शिन्दे ने कहा कि पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के फैसले के बाद पार्टी ने अध्यक्ष पद के अपने उम्मीदवार का नाम वापस ले लिया।
   
राकांपा द्वारा समर्थन देने से इनकार किए जाने के बाद कांग्रेस उम्मीदवार वर्षा गायकवाड़ ने भी अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी से अपना नाम वापस ले लिया था।

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