फोटो गैलरी

Hindi Newsदिल्ली में सरकार गठन को लेकर एलजी के प्रयास सकारात्मक: सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली में सरकार गठन को लेकर एलजी के प्रयास सकारात्मक: सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली में सरकार गठन की संभावना तलाशने को लेकर हाल में उप राज्यपाल नजीब जंग के कदमों पर उच्चतम न्यायालय ने आज संतोष जताया और कहा कि उन्हें कुछ समय और दिया जाना चाहिए क्योंकि बाहर से समर्थन से अल्पमत...

दिल्ली में सरकार गठन को लेकर एलजी के प्रयास सकारात्मक: सुप्रीम कोर्ट
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 30 Oct 2014 03:00 PM
ऐप पर पढ़ें

दिल्ली में सरकार गठन की संभावना तलाशने को लेकर हाल में उप राज्यपाल नजीब जंग के कदमों पर उच्चतम न्यायालय ने आज संतोष जताया और कहा कि उन्हें कुछ समय और दिया जाना चाहिए क्योंकि बाहर से समर्थन से अल्पमत की सरकार बन सकती है।

हाल में मीडिया में आई खबरों का जिक्र करते हुए प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने कहा कि मैंने अखबारों में जो भी पढ़ा है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि उप राज्यपाल ने सकारात्मक कदम उठाए हैं। पीठ ने विधानसभा भंग करने की मांग के साथ याचिका दायर करने वाली आम आदमी पार्टी (आप) के वकील प्रशांत भूषण से कहा कि वह कुछ समय इंतजार करें क्योंकि उप राज्यपाल ने राष्ट्रीय राजधानी में राजनीतिक पक्षों के साथ सलाह मशविरे की प्रक्रिया शुरू कर दी है। न्यायालय ने मामले की सुनवाई 11 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी।

पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान कहा कि यदि उप राज्यपाल महसूस करते हैं कि सरकार के गठन की संभावना है तो उन्हें इसे तलाशने के लिए समय दिया जाना चाहिए। इस पीठ में न्यायमूर्ति ज़े चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति एके सिकरी, न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा भी शामिल हैं।

सरकार के गठन की संभावना पर पीठ ने कहा, किसी राजनीतिक दल के बाहर से समर्थन से अल्पमत की सरकार बन सकती है। भूषण ने हालांकि कहा कि विधानसभा में राजनीतिक दलों की स्थिति के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में सरकार के गठन की कोई संभावना नहीं है। पीठ ने आप के वकील से 11 नवंबर तक इंतजार करने को कहा जब यह पुन: मामले पर सुनवाई करेगी। इसने कहा, हमें हमेशा उम्मीद रखनी चाहिए।

उप राज्यपाल ने कल दिल्ली में सरकार के गठन की संभावना तलाशने के लिए राजनीतिक दलों को आमंत्रित करने का फैसला किया था। पूर्व में केंद्र ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि सरकार बनाने के लिए भाजपा को आमंत्रण देने के उप राज्यपाल के प्रस्ताव पर राष्ट्रपति अपनी सहमति दे चुके हैं। न्यायालय ने मुद्दे पर देरी के लिए केंद्र और उप राज्यपाल की आलोचना भी की थी और कहा था कि राष्ट्रपति शासन अनंतकाल तक नहीं चल सकता। इसने पूछा था कि अधिकारी तेजी से काम करने में क्यों विफल रहे।

दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में किसी पार्टी को साधारण बहुमत के लिए 34 विधायकों के समर्थन की जरूरत है । 70 में से तीन सीटें खाली हैं जो अगले महीने के अंत में उप चुनाव से भरी जानी हैं। पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। उसे 70 सदस्यीय विधानसभा में 31 सीटें मिली थीं। उसके सहयोगी अकाली दल को एक सीट मिली थी। लेकिन अब उसके विधायकों की संख्या घटकर 28 रह गई है, क्योंकि उसके विधायक- हर्षवर्धन, रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे।

बहुमत से चार सीटें कम रहने के कारण भाजपा ने यह कहकर सरकार बनाने से इनकार कर दिया था कि उसके पास संख्या नहीं है और वह सरकार बनाने के लिए कोई अनुचित तरीका नहीं अपनाएगी। 28 विधायकों वाली आप ने कांग्रेस के आठ विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी। विनोद कुमार बिन्नी के निष्कासन के बाद आप की संख्या भी घटकर 27 रह गई है। विधानसभा भंग करने की मांग के साथ दायर आप की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने पूर्व में केंद्र से पूछा था कि सरकार के गठन की संभावना तलाशने के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं।

राष्ट्रपति को भेजे अपने पत्र में उप राज्यपाल ने 14 फरवरी को आप सरकार द्वारा इस्तीफा दिए जाने का जिक्र किया था और कहा था कि दिसंबर 2013 में हुए चुनावों के बाद इतने कम अंतराल में फिर चुनाव कराना जनता के हित में नहीं है।

पत्र में कहा गया था कि संविधान की परंपरा के अनुरूप और उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई इस व्यवस्था कि विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने से पहले लोकप्रिय सरकार के गठन के लिए हर प्रयास किया जाना चाहिए, के मद्देनजर, मैं अत्यंत आभारी रहूंगा यदि भारत के राष्ट्रपति भाजपा को आमंत्रित करने की अनुमति प्रदान करते हैं, जो विधानसभा में आज भी सबसे बड़ी पार्टी है।

उप राज्यपाल ने लिखा था कि अगर भाजपा सहमत होगी, मैं उनसे स्थिर सरकार बनाने के लिए एक समयसीमा, संभवत: एक सप्ताह, के भीतर सदन में बहुमत साबित करने को कहूंगा। उन्होंने कहा था कि भाजपा का जवाब मिलने के बाद भविष्य का कदम तय किया जा सकता है। उच्चतम न्यायालय ने सरकार गठन के लिए किसी पार्टी के आगे नहीं आने पर विधानसभा को लगातार निलंबित रखे जाने पर सवाल उठाते हुए पांच अगस्त को केंद्र को विधानसभा भंग करने के बारे में फैसला करने के लिए पांच हफ्ते का समय दिया था।

भूषण ने कहा था कि केंद्र इस मुद्दे पर न्यायालय के साथ चूहा-बिल्ली का खेल खेल रहा है। उन्होंने मामले में गुण दोष के आधार पर न्यायालय से फैसला करने को कहा था। उन्होंने कहा था कि सरकार के गठन की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि भाजपा का समर्थन न तो आप और न ही कांग्रेस करने जा रही है। भाजपा के पास विधानसभा में केवल 28 विधायक हैं और यह संख्या बहुमत के आंकड़े 36 से काफी कम है।

 

 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें