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धनतेरस की परम्परा आज भी है कायम

आधुनिक युग की तेजी से बदलती जीवन शैली में भी धनतेरस की परम्परा आज भी कायम है। समाज के सभी वर्ग के लोग स्वर्ण समेत कई महत्वपूर्ण चीजों की खरीदारी के लिए पूरे साल इस पर्व का बेसव्री से इंतजार करते हैं।...

धनतेरस की परम्परा आज भी है कायम
एजेंसीMon, 20 Oct 2014 05:44 PM
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आधुनिक युग की तेजी से बदलती जीवन शैली में भी धनतेरस की परम्परा आज भी कायम है। समाज के सभी वर्ग के लोग स्वर्ण समेत कई महत्वपूर्ण चीजों की खरीदारी के लिए पूरे साल इस पर्व का बेसव्री से इंतजार करते हैं।  
          
पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक कृष्ण की त्रयोदशी के दिन धन्वतरि त्रयोदशी मनायी जाती है। जिसे आम बोलचाल में धनतेरस कहा जाता है। यह मूलत: धन्वन्तरि जयंती का पर्व है और आयुर्वेद के जनक धन्वन्तरि के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।  
         
धनतेरस के दिन नये बर्तन या सोना, चांदी खरीदने की परम्परा है। इस पर्व पर बर्तन खरीदने की शुरुआत कब और कैसे हुई। इसका कोई निश्चित प्रमाण तो नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि जन्म के समय धन्वन्तरि के हाथों में अमृत कलश था। यही कारण होगा कि लोग इस दिन बर्तन खरीदना शुभ मानते हैं।  
         
आने वाली पीढियां अपनी परम्परा को अच्छी तरह समझ सकें। इसलिए भारतीय संस्कृति के हर पर्व से जुड़ी कोई न कोई लोककथा अवश्य है। दीपावली से पहले मनाए जाने वाले धनतेरस से भी जुड़ी एक लोककथा है। जो कई युगों से कही और सुनी जा रही है। 

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