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ऑनलाइन करियर में करें लॉगइन

आज का युवा अपना काफी समय ऑनलाइन गुजारता है। कभी सोशल मीडिया में एक्टिव रह कर तो कभी किसी सर्च इंजन से सूचना हासिल करते हुए। ऑनलाइन एजुकेशन, शॉपिंग और इस तरह की दूसरी इंटरनेट बेस्ड एक्टिविटीज के बढ़ने...

ऑनलाइन करियर में करें लॉगइन
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 20 Oct 2014 02:00 PM
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आज का युवा अपना काफी समय ऑनलाइन गुजारता है। कभी सोशल मीडिया में एक्टिव रह कर तो कभी किसी सर्च इंजन से सूचना हासिल करते हुए। ऑनलाइन एजुकेशन, शॉपिंग और इस तरह की दूसरी इंटरनेट बेस्ड एक्टिविटीज के बढ़ने से डिजिटल मार्केटिंग में नौकरियों के अच्छे अवसर पैदा हुए हैं। ऑनलाइन करियर के कुछ ऐसे ही विकल्प बता रहे हैं पंकज घिल्डियाल

अगर आप में टेक्निकल स्किल के अलावा मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनाने की कला, आर्टिस्टिक विजुअलाइजेशन और ई-कॉमर्स की समझ है तथा आप सोशल मीडिया की ताकत को पहचानते हैं तो ऑनलाइन करियर आपका इंतजार कर रहा है। टेक्नोलॉजी के बढ़ते दायरे ने न सिर्फ लोगों की जीवन शैली में भारी बदलाव किए हैं, बल्कि इसी से जुड़े ऐसे करियर ऑप्शंस भी सामने रखे हैं, जिनके बारे में आज से कुछ साल पहले शायद ही किसी ने सोचा होगा। युवाओं की पहुंच में हर वक्त रहने वाला सोशल मीडिया हो या फिर सोशल मीडिया को अपना बनाने वाले नए-नए एप्स, आज बाजार हर हाल में इन तक पहुंचने का मन बन चुका है। यही कारण है कि करियर के विकल्पों में ऑनलाइन करियर अग्रिम कतार में है।
इस डिजिटल युग में वेबसाइट्स का बोलबाला है। करियर के हिसाब से यह क्षेत्र बहुत तेजी से बढ़ रहा है। नौकरियों के ढेर सारे विकल्प प्रतिदिन सामने आ रहे हैं। बस मार्केट में स्किल्ड लोग नहीं मिल पा रहे। इसलिए जरूरत है कि इस मौके को भुनाया जाए और जिन कोर्सेज की डिमांड है, उनका फायदा उठा कर अपना भविष्य बनाए जाए।

बैकएंड एंड सर्वर ऑपरेटर
इन्हें एडवरटाइजिंग के लिए सर्वर ऑपरेट करना तथा ट्रैफिक,
एसईओ आदि का विश्लेषण करना होता है। यह एक महत्वपूर्ण पद होता है। ये प्रोफेशनल किसी भी साइट की रीढ़ की तरह काम करते हैं। स्किल्स में इनका टेक्निकली साउंड होना तो जरूरी है ही, साथ ही इन्हें क्रिएटिव, इनोवेटिव व एक्टिव भी होना चाहिए। इसके अलावा स्पीड एंड एक्यूरेसी का गुण उन्हें इस क्षेत्र में ऊंचाई पर पहुंचा सकता है। योग्यता में बारहवीं पास छात्र भी इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं, पर इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग लेनी होती है। 

सोशल मीडिया ऑप्टिमाइजर
सोशल मीडिया आप्टिमाइजर यानी एसएमओ के प्रमुख कार्य में सबसे महत्वपूर्ण होता है दुनिया भर में मौजूद सोशल मीडिया साइट्स के जरिए किसी खास वेबसाइट्स व पोर्टल के लिए ट्रैफिक जुटाना यानी सोशल मीडिया के जरिए क्लाइंट वेबसाइट के लिए हिट्स बढ़वा कर रैंकिंग में सुधार करना। यह काम निजी तौर पर भी किया जा सकता है और किसी कंपनी से जुड़ कर भी। निजी तौर पर करने से फायदा यह होता है कि आप कई क्लाइंट जोड़ कर अधिक पैसा कमा सकते हैं। कंपनी से जुड़े तमाम अपडेट्स को दुनियाभर में फैले उसके टारगेट ऑडियंस तक पहुंचाना ही एसएमओ का काम होता है। इन्हीं के बूते किसी भी पेज के लाइक करने वालों की संख्या लाखों-करोड़ों तक पहुंचती है। ये लोग जो चौबीस घंटे मिल रहे अपडेट्स को सही तरीके से दूर-दूर तक पहुंचाते हैं, इस क्षेत्र में किसी आईटी कंपनी के साथ बतौर ट्रेनी जुड़ कर अपना करियर बना सकते हैं। आप बारहवीं पास हैं और इंटरनेट की समझ रखते हैं तो आप इस क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं।

मोबाइल एप्लिकेशंस डेवलपर
इन दिनों एंड्रॉयड एप्लिकेशन की डिमांड काफी बढ़ गई है। बीटेक या एमसीए करने के बाद यह कोर्स किया जा सकता है। इसमें ढाई-तीन महीने का एडवांस्ड ट्रेनिंग कोर्स चलाया जाता है। इसमें एंड्रॉयड पर यूज होने वाले मोबाइल एप्लिकेशंस बनाना सिखाया जाता है। यह कोर्स कर लेने के बाद आप विभिन्न कंपनियों में इस तरह की नौकरी हासिल कर सकते हैं। इस क्षेत्र के बढ़ते मार्केट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अकेले एप्पल ने एक साल में ही ग्लोबल मोबाइल एप्लिकेशंस बिक्री का आंकड़ा 4 अरब डॉलर तक दर्ज किया था। एक  वेबसाइट के  मुताबिक, बीते  दो सालों पर अगर नजर दौड़ाएं तो पाएंगे कि इस वर्ष की पहली तिमाही में 4,500 मोबाइल डेवलपर्स को जॉब के लिए पोस्ट किया गया, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 101 फीसदी से अधिक है। नौकरियों के लिए वेबसाइट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या में इस अवधि के दौरान 52 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि कुल बाजार के रोजगार में मोबाइल एप्लिकेशंस डेवलपमेंट सेगमेंट की वृद्धि दोगुनी है। इसमें एंड्रॉयड ऐप डेवलपर, मोबाइल ऐप डेवलपमेंट कंसल्टेंट, मोबाइल ऐप टैस्टर, मोबाइल ऐप डेवलपमेंट डिबगिंग जैसे पदों पर नौकरी के अवसर मिलते हैं।

साइट ट्रैफिक प्लानर
साइट के लिए कार्य कर रहे ये वे प्रोफेशनल होते हैं, जो  प्रोडक्ट के मुताबिक, कहां ज्यादा यूजर ट्रैफिक मिलेगा, इसकी प्लानिंग करते हैं। इनमें ऑनलाइन ट्रैफिक को कहीं भी मोडम्ने की क्षमता होनी चाहिए। कंटेंट को कैसे, कब और कहां इस्तेमाल कर साइट को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाते हुए विज्ञापन को प्लेस करवाया जा सकता है, ये भी इनकी कार्यशैली का हिस्सा होता है। बारहवीं पास छात्र भी इस क्षेत्र में किसी साइट के साथ बतौर ट्रेनी जुड़ कर काम सीख अपना करियर बना सकते हैं। भले ही इसमें 10 हजार रुपए से शुरुआत होगी, मगर इस क्षेत्र के एक्सपर्ट बन आप अधिक कमा पाएंगे।

सोशल मीडिया मैनेजर
सोशल मीडिया मैनेजर की मांग को देखते हुए कई संस्थानों ने इसके लिए बाकायदा अलग कोर्स शुरू किए हैं। कुछ समय पहले इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने वैट मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिल कर इंडिया का पहला सोशल मीडिया कोर्स भी शुरू किया है। किसी भी सोशल नेटवर्किंग साइट पर किसी ब्रांड की प्रस्तुति सोशल मीडिया यूजर के दिमाग पर पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों ही प्रभाव छोड़ सकती है। ऐसे में किसी ब्रांड के पॉजिटिव प्रभाव के लिए सही प्रस्तुति अहम होती है, जिसे सही तरीके से उस साइट पर एक निपुण व अनुभवी सोशल मीडिया मैनेजर ही प्रस्तुत कर सकता है। फेसबुक, ट्विटर, यूटय़ूब जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स का नाम हर किसी के जेहन में रहता है। इसके अलावा लिंक्डइन को व्यावसायिक दृष्टि से बेहतर माना जाता है। आप इनमें से किसी भी साइट पर जाएंगे तो अधिकांश ब्रांड दिख जाएंगे। इन ब्रांड्स का प्रभावी एवं औपचारिक तरीकों से सोशल साइट्स पर जिस तरह प्रमोशन किया जा रहा है, उसके पीछे सोशल मीडिया मैनेजर का ही रोल सबसे अहम होता है। एक सोशल मीडिया मैनेजर टू वे कम्युनिकेशन का काम करता है। वह इसके  लिए सही चैनल तलाशता है, फिर अपने प्रॉडक्ट को अर्थपूर्ण योजना के साथ लोगों के सामने पेश करता है। सोशल मीडिया मैनेजर न्यू मीडिया के तहत आता है। यह वेब जर्नलिज्म से जुड़ा है। 

ऑनलाइन फॉरेंसिक एक्सपर्ट
लोगों की ऑनलाइन संख्या बढ़ने से साइबर अपराध से जुड़े मामले भी प्रकाश में आने लगे हैं। इनमें ऑनलाइन क्रेडिट कार्ड घोटाला प्रमुख है। इसके अलावा ई-मेल से जुड़ी आपराधिक घटनाओं में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसमें फर्जी और धमकी भरे ई-मेल भेजना, कंपनियों के  साथ धोखा-धड़ी, सॉफ्टवेयर की चोरी, एसएमएस हैकिंग, मोबाइल की क्लोनिंग आदि शामिल हैं। इन सब को देखते हुए ही कम्प्यूटर और नेटवर्क सुरक्षाओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा है। यही वजह है कि इन दिनों एक्सपर्ट कम्प्यूटर एवं डिजिटल फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मांग बढ़ गई है। प्रत्येक व्यक्ति साइबर अपराध का कहीं न कहीं शिकार होता ही रहता है। सब कुछ साइबर होता जा रहा है, इसलिए इंटरनेट पर सूचना की सुरक्षा को कायम रखने की चिंता भी बढ़ रही है। ऐसे में कानून से जुड़े क्षेत्र से लेकर सूचना प्रौद्योगिकी तक लगभग प्रत्येक क्षेत्रों में रोजगार की जबरदस्त संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र से जुड़े लोग विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार की तलाश कर सकते हैं। वेब विकसित करने वालों के परामर्शदाता, सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय या निगमित घरानों में परामर्शदाता, किसी आईटी फर्म, पुलिस विभाग या बैंकों में साइबर सलाहकार, विधिक फर्म में अनुसंधान सहायक, प्रौद्योगिकी फर्म में अनुसंधान सहायक, प्रौद्योगिकी फर्मों में सिक्योरिटी, ऑडिटर तथा नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर, विधिक विद्यालयों तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों में प्रशिक्षक आदि के तौर पर करियर की शुरुआत की जा सकती है।

साइबर लॉ से जुड़े कोर्स में 12वीं के बाद एडमिशन लिया जा सकता है। एशियन स्कूल ऑफ साइबर लॉ पुणे से साइबर कानून में डिप्लोमा-दूरस्थ लर्निंग, साइबर कानून में एडवांस्ड डिप्लोमा-केवल दूरस्थ शिक्षा माध्यम से, एएससीएल प्रमाणित साइबर अपराध जांच-दूरस्थ एवं क्लास रूम प्रणाली कुछ ऐसे ही कोर्स हैं। साइबर सुरक्षा से संबंधित स्नातकोत्तर कार्यक्रम में अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश दिया जाता है।

सर्च इंजन ऑप्टिमाइजर
एसईओ यानी सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन किसी भी वेब पेज को गूगल, याहू जैसे सर्च इंजन से कितना सर्च किया गया या कितने लोगों ने वेबसाइट देखी, यह सब देखने की कला भी है और साइंस भी। दरअसल, यह डिजिटल मार्केटिंग का एक हिस्सा है। धीरे-धीरे इसका मार्केट बढ़ रहा है। मार्केटिंग पर होने वाला खर्च अखबार और टीवी से शिफ्ट होकर वेबसाइट और सोशल मीडिया की ओर बढ़ रहा है, इसीलिए एसईओ एक्सपर्ट्स की डिमांड बढ़ रही है। एसईओ एक्सपर्ट्स का यही काम होता है कि वह न केवल ज्यादा से ज्यादा ट्रैफिक को अट्रैक्ट करे, बल्कि उसे बिजनेस में भी बदले। एसईओ में कोर्स करके आप इन कैटेगरीज में जॉब्स पा सकते हैं...

एनालिटिक्स, बिजनेस मैनेजमेंट/डेवलपमेंट, लिंक बिल्डिंग, ईवेंट मैनेजमेंट, सोशल मीडिया एनालिस्ट, वेब डेवलपमेंट मैनेजमेंट, वेब डिजाइन, ऑफलाइन मार्केटिंग, पब्लिक रिलेशन, रेपुटेशन मैनेजमेंट, पेड सर्च/पीपीसी मैनेजमेंट, राइटिंग/ब्लॉगिंग आदि।

नेटवर्क इंजीनियर
आज नेटवर्किंग के क्षेत्र में ढेरों अवसर मौजूद हैं। युवा इस फील्ड से संबंधित चिप लेवल के एडवांस कोर्स कर एक अच्छा करियर बना सकते हैं। आज हर छोटे-बड़े ऑफिस में कंप्यूटर को आपस में जोड़ा जाता है। दरअसल नेटवर्किंग के जरिए ही इन कम्प्यूटर्स को एक दूसरे से जोड़ पाना संभव हो पाता है, ताकि डाटा को आपस में शेयर किया जा सके।

इसके  तहत कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं। इन्हें वर्ल्ड लेवल के सर्टिफिकेशन, जैसे—सीसीएनए, सीसीएनपी या सीसीआईई दिए जाते हैं। इस सर्टिफिकेशन के साथ एमएनसी में भी जॉब मिल सकती है। ट्रेनिंग इंस्टीटय़ूट में सर्टिफिकेशन के साथ और बिना सर्टिफिकेशन के डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स भी कराए जाते हैं। इनके आधार पर छोटी कंपनियों में नौकरी पाई जा सकती है। नेटवर्किंग से रिलेटेड कोर्स के लिए जरूरी योग्यता 10 वीं या 12वीं है। कोर्स करने के  बाद शुरुआत में 12 से 15 हजार रुपये प्रतिमाह आसानी से कमाए जा सकते हैं।

एमसीएसई: एमसीएसई यानी माइक्रोसॉफ्ट सर्टिफाइड सिस्टम इंजीनियर। योग्यता 12वीं पास है। इसकी अवधि पांच से छह महीने है। कोर्स करने के बाद सिस्टम इंजीनियर, टेक्निकल सपोर्ट इंजीनियर, सिस्टम एनालिस्ट के तौर पर काम किया जा सकता है।

सीसीएनए: सीसीएनए यानी सिस्को सर्टिफाइड नेटवर्क एसोसिएट कोर्स। 10-15 हजार रुपए में एक साल के इस कोर्स में नेटवर्क कंफिगरेशन और वेरिफिकेशन के बारे में सिखाया जाता है। एग्जाम ऑनलाइन होते हैं।

कोर्स को 12वीं के बाद कर सकते हैं। सीसीएनए के  बाद सीसीईएनटी (योग्यता-ग्रेजुएशन), सीसीएनपी (योग्यता-सीसीएनए में डिप्लोमा या ग्रेजुएशन) या सीसीआईई (योग्यता : 3-5 साल नेटवर्किंग का अनुभव) जैसे कोर्स कर अपना भविष्य बना सकते हैं।

जावा प्रोग्रामर
आज जावा स्क्रिप्ट का इस्तेमाल वेब पेजेज में फॉर्म्स ऑथेंटिकेशन, ब्राउजर डिटेक्शन और डिजाइन इम्प्रूव करने में किया जा रहा है। आपके फेवरेट ब्राउजर क्रोम एक्सटेंशंस, एप्पल के सफारी एक्सटेंशंस, एडोब एक्रोबैट रीडर और एडोब क्रिएटिव सूट जैसी एप्लिकेशंस जावा स्क्रिप्ट कोडिंग के बिना अधूरी हैं।

दरअसल जावा ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज है, जो जावा का हल्का वर्जन है। इसे क्लाइंट-साइड लैंग्वेज भी कहा जाता है, क्योंकि ईजी कमांड्स, ईजी कोड्स होने की वजह से यह क्लाइंट—साइड वेब ब्राउजर में इस्तेमाल की जाती है। जावा कोर्स करके आप वेब डेवलपर, प्रोग्रामर जैसी जॉब के लिए कोशिश कर सकते हैं।

आंकड़े क्या कहते हैं
ऑनलाइन का बढ़ता आकार:
ऑनलाइन बाजार में बड़ी संख्या में नौकरियां सृजित हो रही हैं। ई-कॉमर्स प्रमुख क्षेत्र बनता जा रहा है। नौकरी व वेतन के लिहाज से यह खंड अगले 2-3 साल में 20—25 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर सकता है। इस आधार पर इस क्षेत्र में कम से कम 1,50,000 रोजगार सृजित हो सकते हैं। उद्योग का मौजूदा आकार करीब 18,000 करोड़ रुपए है और 2016 तक यह 50,000 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। जब उद्योग में वृद्धि होगी तो प्रतिभा की मांग स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी। अंतल इंटरनेशनल नेटवर्क इंडिया के प्रबंध निदेशक जोसेफ देवासिया के मुताबिक, ‘भारत में ई—कामर्स क्षेत्र में तेजी को लेकर पूरी उम्मीद है। इस क्षेत्र में उद्यम पूंजी कोष के साथ करीब 200 नई कंपनियां आ रही हैं। हमारा मानना है कि अगले 2-3 साल में इस क्षेत्र में 1,50,000 रोजगार सृजित होंगे।’ वहीं बिट्स पिलानी की नियोजन इकाई के प्रमुख मणि शंकर दासगुप्ता ने भी इस क्षेत्र में बढम् रहे अवसरों पर हामी भरी। इनके मुताबिक उद्योग उम्मीदों से भरा है। अमेजन, ईबे, फ्लिपकार्ट, मिंत्रा जैसी क्षेत्र की प्रमुख कंपनियां संस्थानों से लगातार लोगों को ले रही हैं और वे काफी कमाई कर रहे हैं। इन कंपनियों ने इस साल नियुक्तियां बढ़ाई हैं। चूंकि यह क्षेत्र अभी नया है और सभी स्तरों पर प्रतिभाओं की कमी है, इसलिए योग्य लोगों को नियुक्त करने व प्रतिभाओं को जोड़े रखने के लिए ये कंपनियां अच्छी तनख्वाह दे रही हैं।

ऑनलाइन यूजर्स की संख्या में इजाफा: इस समय देश में एक्टिव इंटरनेट यूजर्स की संख्या लगभग 45 मिलियन यानी साढ़े चार करोड़ है। यूजर्स की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। यूजर्स की संख्या बढ़ने की वजह से इससे जुड़े विभिन्न सेक्टर्स में रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं।

सोशल मीडिया का बढ़ता क्रेज: आज विश्व की कुल जनसंख्या के लगभग 50 प्रतिशत लोग 30 साल से कम उम्र के हैं, जिनमें से अधिकांश प्रतिदिन अपना कीमती वक्त सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बिताते हैं। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट पर यकीन करें तो भारत में कुल इंटरनेट यूजर्स में से लगभग ढाई करोड़ युवा सोशल मीडिया साइट्स पर सक्रिय रहते हैं। ऐसे में किसी भी ब्रांड के प्रमोशन के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स सबसे लोकप्रिय माध्यम बन गई हैं।

एक्सपर्ट्स व्यू
सोशल साइट्स व ब्लॉग में रुचि दिलाएगी कामयाबी
ऑनलाइन जॉब्स का चलन इंटरनेट के साथ-साथ बढ़ रहा है। इसमें आवाजाही में समय की बचत के अलावा अपनी सुविधानुसार घर बैठे काम करने के साथ पार्ट टाइम जैसी सुविधाएं निहित हैं। इनके कारण खासतौर पर युवा पीढ़ी में इस तरह की जॉब्स के लिए क्रेज बढ़ता हुआ देखा जा सकता है। ऐसी जॉब्स की दुनिया में विविध प्रकार की योग्यता वाले युवाओं के लिए अवसर हो सकते हैं। इन योग्यताओं में कम्प्यूटर सैवी होना सबसे जरूरी है। इसके बाद सोशल साइट्स और ब्लॉग्स में गहन रुचि, राइटिंग स्किल्स, डेटा एनालिसिस कर पाने की क्षमता, अगर मार्केटिंग से सम्बंधित ऑनलाइन जॉब है तो सम्बंधित एप्टीटय़ूड,डेटा एंट्री करने की क्षमता,पेड सर्वे करने से जुड़ी सैद्धांतिक और व्यावहारिक नॉलेज, नए कस्टमर तैयार करने की क्षमता, बिजनेस कार्यकलापों को समझने और ऑनलाइन कर पाने की ट्रेनिंग, इंटरनेट पर मुफ्त एडवरटाईजिंग करने के गुर, गेमिंग कंपनियों के लिए ऑनलाइन गेम्स की टैस्टिंग आदि में निपुणता जॉब्स के अनुसार होनी जरूरी कही जा सकती है। मल्टी टास्किंग करने में निपुण लोगों के लिए यह फील्ड काफी संभावनाओं से भरा हुआ कहा जा सकता है।
अशोक सिंह, करियर कंसल्टेंट

पीएचपी  प्रोग्रामर
हाई-स्पीड स्क्रिप्टिंग और ऑगमेंटेड कंपाइलिंग कोड प्लगिंग्स जैसी खासियतों के चलते इस लैंग्वेज का फ्यूचर ब्राइट है। फेसबुक, विकिपीडिया और वर्डप्रेस जैसी हाई-प्रोफाइल साइट्स की पॉपुलेरिटी के पीछे पीएचपी का ही हाथ है। पीएचपी से जुड़े कोर्स कर लेने के बाद आप वेब  डिजाइनर और वेब डेवलपर के जॉब ऑप्शंस में सर्च करके भविष्य उज्ज्वल बना सकते हैं। दरअसल पीएचपी सर्वर स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज है, जिसका इस्तेमाल वेब डेवलपमेंट के साथ आम प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में भी होता है। ओपन सोर्स होने की वजह से आज पीएचपी का 24 करोड़ से ज्यादा वेबसाइट्स और 20 लाख वेब सर्वर्स में इस्तेमाल हो रहा है।

डोएक कोर्स
भारत सरकार की इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री के अंतर्गत कार्यरत स्वायत्त संस्था डोएक (डीओईएसीसी) द्वारा संचालित विभिन्न लेवल के कोर्स करके भी आप आईटी की दुनिया में स्थान बना सकते हैं। बीसीए या एमसीए जैसे कोर्सेज में प्रवेश न पा सकने वाले स्टूडेंट इन कोर्सेज में प्रवेश ले सकते हैं। देश भर में डोएक से संबद्ध करीब एक हजार से अधिक संस्थानों द्वारा कोर्स संचालित किए जाते हैं। ये कोर्स चार स्तरों पर संचालित होते हैं-ओ लेवल, ए लेवल, बी लेवल तथा सी लेवल। इनमें ओ लेवॅल को पॉलिटेक्िनक या डिप्लोमा के समकक्ष माना जाता है। ए लेवल को एडवांस डिप्लोमा या पीजी डिप्लोमा तथा बी लेवल को एमसीए या एमएससी के समकक्ष माना जाता है। सी लेवल सबसे उच्च श्रेणी का कोर्स है, जिसे एमटेक के बराबर मान्यता प्राप्त है।

कोर्सेज
कॉम्पटीआईए एन प्लस सर्टिफिकेशन:
इस कोर्स के तहत स्टूडेंट्स को टीसीपी/आईपी, ओएसआई मॉडल और प्रमुख नेटवर्किंग तकनीक के बारे में ट्रेनिंग दी जाती है।
माइक्रोसॉफ्ट सर्टिफाइड प्रोफेशनल प्रोग्राम: इस प्रोग्राम के जरिए स्टूडेंट्स विंडोज सर्वर 2003, विंडोज एक्सपी के अलावा और भी बहुत कुछ जान सकते हैं।
माइक्रोसॉफ्ट सर्टिफाइड सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर प्रोग्राम: इस प्रोग्राम के दौरान स्टूडेंट्स को टीसीपी/आईपी इम्प्लिमेंटेशन, रिमोट एक्सेस, राउटिंग इम्प्लिमेंटेशन आदि के बारे में जानकारी दी जाती है।
माइक्रोसॉफ्ट सर्टिफाइड सिस्टम इंजीनियर सर्टिफिकेशन: इस कोर्स के माध्यम से स्टूडेंट्स को विंडोज 2003 नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट, विंडोज सर्वर 2003 एक्टिव डायरेक्टरी, विंडोज 2003 नेटवर्क सिक्योरिटी, एसक्यूएल 2000 सर्वर आदि के बारे में बताया जाता है।
सिसको सर्टिफाइड नेटवर्क एसोसिएट: स्टूडेंट्स को राउटर्स पर काम करने की ट्रेनिंग दी जाती है। साथ ही लैन और वैन पर कैसे काम किया जाए, इससे संबंधित जानकारियां दी जाती हैं। नेचर ऑफ वर्क- सीआईएम से जुडेम् प्रोफेशनल्स का सबसे महत्वपूर्ण काम नेटवर्किंग से संबंधित होता है।
देश में मौजूद बड़े इंस्टीटय़ूट जैसे एनआईआईटी, एप्टेक, जेटकिंग में इस तरह के कोर्सेज किए जा सकते हैं।

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