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स्विटजरलैंड काले धन का ब्योरा देने पर सहमत: जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि स्विटजरलैंड ने स्वतंत्र साक्ष्यों के आधार पर भारत को अपने यहां के बैंकों में अवैध धन जमा कराने वाले भारतीयों के बारे में सूचना देने पर सहमति जताई...

स्विटजरलैंड काले धन का ब्योरा देने पर सहमत: जेटली
एजेंसीSat, 18 Oct 2014 08:22 AM
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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि स्विटजरलैंड ने स्वतंत्र साक्ष्यों के आधार पर भारत को अपने यहां के बैंकों में अवैध धन जमा कराने वाले भारतीयों के बारे में सूचना देने पर सहमति जताई है।

वित्त मंत्री ने कहा कि इसके अलावा स्विट्जरलैंड की सरकार खुफिया एजेंसियों द्वारा भारतीय नागरिकों के विदेशी बैंक खातों के बारे में पेश किए जाने वाले ब्यौरे की सत्यता की पुष्टि भी करने को तैयार है।

यहां संवाददाताओं से बातचीत में जेटली ने कहा कि स्विट्जरलैंड ने एचएसबीसी तथा लिकटेंस्टाइन संबंधी सूचियों से संबंधित सूचनाएं भारत को देने को तैयार है बशर्ते भारतीय अधिकारी संबंधित मामले में अपनी ओर से संग्रहीत स्वतंत्र साक्ष्य प्रस्तुत कर सकें।

जेटली ने कहा कि भारत सरकार विदेशी सरकारों से कर संबंधी सूचनाएं हासिल करने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है़, विदेशों में रखा गया काला धन भारत वापस लाया जाएगा। स्विटजरलैंड और भारत के अधिकारियों की इसी सप्ताह एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। इस बैठक के बाद स्विटजरलैंड सरकार ने भारत को बैंकिंग सूचनाओं के बारे में किए गए आवेदनों पर प्राथमिकता के आधार पर और समयबद्ध तरीके से मदद करने पर सहमति जताई है।

इससे पहले स्विटजरलैंड सरकार ने उक्त सूचियों में उल्लिखित नामों से संबंधित कोई सूचना देने से मना कर दिया था, क्योंकि उसका कहना था कि यह सूचियां चुराए गए आंकड़ों पर आधारित हैं। जेटली ने कहा कि ये सूचियां दरअसल अन्य देशों से समुचित माध्यमों के जरिए प्राप्त की गई हैं।

वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार विदेशों में काला धन जमा कराने वाले भारतीयों के नाम जारी कर सकती है पर ऐसा उनके खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद ही किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें नामों को सार्वजनिक करने में कोई दिक्कत नहीं है। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि 1995 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा जर्मनी के साथ दोहरे कराधान से बचाव संबंधी संधि की शर्तों के तहत इन नामों को उजागर करने में बाधाएं हैं।

वित्तमंत्री ने कहा कि भारत व स्विटजरलैंड कर संबंधी सूचनाओं के स्वचालित आदान प्रदान की व्यवस्था पर बातचीत करने को भी सहमत हुए हैं। दोनों देशों के अधिकारियों के बीच हाल ही में बर्न में हुई बैठक का उल्लेख करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि एचएसबीसी बैंक की सूची के नामों का ब्यौरा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा था। उन्होंने कहा कि हमारे पास केवल नामों की एक सूची है और हम चाहते थे कि इन खातों का ब्यौरा हमें दिया जाए। स्विटजरलैंड अब तक इससे साफ इनकार करता आ रहा था। उसका कहना था कि ये चोरी के दस्तावेज हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में एक कामयाबी मिली है जिनमें भारत में अलग से  जांच की गई है और सबूत जुटाए गए हैं। ऐसे खातों के ब्यौरे भारत को उपलब्ध कराए जाएंगे भले ही उनका उल्लेख एचएसबीसी वाली सूची में होगा। इस तरह से स्विटजरलैंड  ने अब तक जो पूर्ण पाबंदी लगा रखी थी वह नहीं रह गई है।

जेटली ने यह भी कहा कि स्विटजरलैंड के कर विभाग के अधिकारी भारतीयों के विदेशी खातों के बारे में प्रस्तुत किसी भी दस्तावेज की सत्यता या असत्यता की पुष्टि करने पर राजी हो गए हैं।

उन्होंने कहा कि स्विटजरलैंड ने भारत को अब तक कभी भी इस तरह की जानकारी नहीं दी थी। अब इस तरह का ब्यौरा समयबद्ध तरीके से उपलब्ध कराना होगा और अब इस तरह के मामले अनिश्चित रूप से लंबे नहीं खिंच सकते।

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