अब जिम्मेवारी से भाग नहीं सकती संतान
अनुकंपा पर नौकरी लेने वाले अब अपने मां या पिता की जिम्मेवारी से भाग नहीं सकते। कोल इंडिया की सहायक कंपनी एसइसीएल ने नौकरी पाने से पहले इस बाबत आश्रितों से हलफनामा लेना शुरू किया है। कंपनी ने...
अनुकंपा पर नौकरी लेने वाले अब अपने मां या पिता की जिम्मेवारी से भाग नहीं सकते। कोल इंडिया की सहायक कंपनी एसइसीएल ने नौकरी पाने से पहले इस बाबत आश्रितों से हलफनामा लेना शुरू किया है। कंपनी ने विस्थापितों के लिए भी बेहतर योजना शुरू की है। सीएमडी बीके सिन्हा की इसमें महत्ती भूमिका है।ड्ढr अनुकंपा पर बहाल कर्मियों के नियुक्ति पत्र में यह उल्लेख रहता है कि वह जीवन भर अपनी मां या पिता की देखरख करगा। इस मामले में किसी तरह की शिकायत आने पर उसके वेतन का 50 प्रतिशत काटकर उनके आश्रित को दिया जायेगा।ड्ढr वहीं, स्वरोगार योजना के तहत प्रभावित विस्थापितों को बैंक से लोन दिलाकर पहले गाड़ी खरीदवायी गयी। फिर उसे कंपनी कार्यो के लिए भाड़े पर लिया गया। अभी करीब 54 ऐसी गाड़ियां यहां चल रही हैं। ठेकेदारी मजदूरों का वेतन भुगतान बैंक के माध्यम से कराया जा रहा है। करीब चार हाार ऐसे मजदूरों का पीएफ भी काटा जा रहा है। प्रबंधन ने रिकार्ड 15 हाार कामगारों को एक बार में प्रोमोशन दिया है।ड्ढr व्यावहारिक बने सीटूड्ढr द झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के महासचिव सनत मुखर्जी ने सीटू द्वारा 15000 रुपये बेसिक की मांग करने का स्वागत किया है। हालांकि उनके नेताओं से व्यावहारिक बनने की बात कही है। उन्होंने कहा कि वह पांच साल के वेतन समझौते की रट छोड़ें। अधिकारियों के अनुपात में वेतन एवं सुविधा के लिए 10 साल का वेतन समझौता करने के लिए आगे बढ़ें। राव कमेटी दस साल के वेतन समझौते पर ही रिपोर्ट देगी। सचमुच संगठन कामगारों का भला चाहता है, तो आगे आये। इस मांग पर आंदोलन की पहल कर।ड्ढr डीपी को ज्ञापन सौंपाड्ढr द जेसीएमयू ने सीसीएल के डीपी टीके चांद को ज्ञापन सौंपकर दुर्घटना बीमा के लिए काट रहे 450 रुपये पर रोक की मांग की। सदस्यों का कहना है कि इसमें मौत होने पर ही कामगारों को पैसा मिलता है। हादसों में मौत नहीं के बराबर होती है। ऐसे में प्रबंधन वैसे स्कीम में बीमा कराये, जिसमें रिटायर होने पर लाभ मिल सके।ड्ढr ं