वोट के बदले नोट का बढ़ रहा है चलन: अध्ययन
एक नवीनतम अध्ययन का कहना है कि भारतीय मतदाताओं के बीच वोट के बदले नोट का रुझान बढ़ता जा रहा है और वोट के एवज में रिश्वत पाने की मतदाताओं की अपेक्षा निरंतर बढ़ रही है। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज...
एक नवीनतम अध्ययन का कहना है कि भारतीय मतदाताओं के बीच वोट के बदले नोट का रुझान बढ़ता जा रहा है और वोट के एवज में रिश्वत पाने की मतदाताओं की अपेक्षा निरंतर बढ़ रही है।
सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज [सीएमएस] के अध्ययन में कहा गया है कि आखिरी क्षण में अपना मतदान विकल्प बदलने या तय करने वालों के तकरीबन 70 प्रतिशत इन पांच कारकों में से किसी एक के या एक से ज्यादा के योग से प्रभावित होते हैं - स्थानीय दबाव, धन का लोभ, प्रभावी चुनाव प्रचार, मीडिया में कवरेज और चुनाव घोषणा पत्र में पेशकश। इस प्रक्रिया में धन का लोभ ज्यादा संभावित कारक होता है जिसका पता हमेशा नहीं लग पाता और अक्सर समूह के अनुरूप संचालित होता है।
अध्ययन में कहा गया है कि धन का लोभ पांच अहम कारकों में से एक माना जाता है जो अनिर्णित मतदाताओं का मतदान विकल्प निर्धारित करते हैं और अंतिम क्षण में मतदान इरादों में बदलाव लाते हैं। जो मतदाता धन को एक कारक मानते हैं उनका प्रतिशत 2008 की तुलना में 2014 में खासा बढ़ गई है।