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जयललिता की अपील पर अब 17 अक्टूबर को होगी सुनवाई

उच्चतम न्यायालय आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक सम्पत्ति के मामले में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की याचिका पर 17 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। अन्नाद्रमुक...

जयललिता की अपील पर अब 17 अक्टूबर को होगी सुनवाई
एजेंसीMon, 13 Oct 2014 02:47 PM
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उच्चतम न्यायालय आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक सम्पत्ति के मामले में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की याचिका पर 17 अक्टूबर को सुनवाई करेगा।

अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन एवं सुशील कुमार ने मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष मामले का विशेष मौखिक उल्लेख किया। इसके बाद न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की याचिका पर सुनवाई पर सहमति जताते हुए इसके लिये 17 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की।

उल्लेखनीय है कि निचली अदालत से मिली सजा पर रोक लगाने तथा जमानत संबंधी याचिका को कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा ठुकराये जाने के बाद उन्होंने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। जयललिता ने निचली अदालत द्वारा दी गयी सजा को निलंबित करने तथा उन्हें जमानत पर रिहा करने का शीर्ष अदालत से अनुरोध किया।

 उच्चतम न्यायालय अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता की जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने पर आज सहमत हो गया, जो संपत्ति के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति के मामले में चार साल की जेल की सजा काट रही हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन द्वारा मामले को इसी सप्ताह में समायोजित किए जाने की अपील करने पर प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को 17 अक्टूबर को सुनवाई के लिए निर्धारित कर दिया।

दीवाली से पूर्व जेल से बाहर आने के लिए जयललिता के पास 17 अक्टूबर का दिन अंतिम अवसर होगा क्योंकि शुक्रवार के बाद शीर्ष अदालत में एक सप्ताह का अवकाश रहेगा। रिश्वत के मामले में दोषी ठहराए जाने और चार साल की सजा दिए जाने के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने जयललिता को जमानत प्रदान करने से इंकार कर दिया था और उसके बाद उन्होंने नौ अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की। 27 सितंबर के बाद से सलाखों के पीछे रह रही अन्नाद्रमुक प्रमुख ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है जिसने उनकी जमानत याचिका नामंजूर कर दी।

जयललिता ने खुद के विभिन्न बीमारियों से जूझने और इस मामले में उन्हें केवल चार साल की जेल की सजा सुनाए जाने को तत्काल राहत दिए जाने का आधार बनाया था। पूर्व मुख्यमंत्री ने जमानत के लिए वरिष्ठ नागरिक तथा महिला होने को भी आधार बनाया था। उच्च न्यायालय ने विशेष सरकारी वकील द्वारा उन्हें सशर्त जमानत दिए जाने का विरोध नहीं किए जाने के बावजूद सात अक्टूबर को 66 वर्षीय नेता को जमानत से इंकार कर दिया था।

उच्च न्यायालय ने जयललिता की करीबी सहयोगी शशिकला और उनके रिश्तेदार वी एन सुधाकरण (पूर्व मुख्यमंत्री के परित्यक्त दत्तक पुत्र) तथा इलावरासी की जमानत याचिकाओं को भी नामंजूर कर दिया। इन्हें भी 18 साल पुराने मामले में चार साल की जेल की सजा सुनायी गयी है। विशेष अदालत ने जयललिता और तीन अन्य को भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया था। अदालत ने अन्नाद्रमुक प्रमुख पर सौ करोड़ रुपये तथा तीन अन्य दोषियों पर दस-दस करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

 

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