फोटो गैलरी

Hindi Newsकाम इनके, नाम उनके

काम इनके, नाम उनके

इसरो के सभी वैज्ञानिक मंगलयान की सफलता से खुश तो होंगे ही, लेकिन कहीं न कहीं उनके हृदय में दर्द का एक सैलाब भी उमड़ रहा होगा। वे सोच रहे होंगे कि बरसों के हमारे श्रम का सारा श्रेय ले गए भारतीय...

काम इनके, नाम उनके
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 28 Sep 2014 06:59 PM
ऐप पर पढ़ें

इसरो के सभी वैज्ञानिक मंगलयान की सफलता से खुश तो होंगे ही, लेकिन कहीं न कहीं उनके हृदय में दर्द का एक सैलाब भी उमड़ रहा होगा। वे सोच रहे होंगे कि बरसों के हमारे श्रम का सारा श्रेय ले गए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के मुख्यालय में आकर मात्र 78 मिनट बैठने वाले माननीय प्रधानमंत्रीजी। हमारे देश के वैज्ञानिकों के साथ हो रहे इस अन्याय के लिए यदि कोई सबसे अधिक जिम्मेदार है, तो वह मीडिया है। हद यह है कि अभी तक शायद ही किसी मीडिया चैनल ने इस कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इसरो के कुछ वैज्ञानिकों के नाम-काम बताए हों। इससे भी बड़ी दुखद बात यह है कि इसरो के निदेशक राधाकृष्णन, जो इस मिशन के सेनापति कहे जा सकते हैं, उनका नाम तो बमुश्किल ही किसी मीडिया चैनल या समाचारपत्र में दिखाई दिया। सोच रहा हूं कि कल को कहीं ये खबरिया चैनल यह खबर न दिखाने लगें कि ‘मार्स ऑर्बिटर मिशन में सलमान खान की रही बहुत बड़ी भूमिका। जी हां, अभी-अभी हमारे सूत्रों से पता चला है कि बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान ने ही मंगलयान को किक मारकर अंतरिक्ष में भेजा।’
दीपक दिवाकर ‘साक्षी’, अमरोहा, उत्तर प्रदेश

गलती किसकी

दिल्ली के चिड़ियाघर में जिस तरह एक नवयुवक को बाघ ने अपना शिकार बनाया, उससे वहां की सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल उठ खड़े होते हैं। बुनियादी सवाल तो यही है कि कैसे वह युवक घेरे की मुख्य दीवार को पार कर गया? अगर वह इस दीवार को पार नहीं करता, तो नीचे नहीं गिरता। तो क्या उस युवक की इस हरकत को उसकी लापरवाही मानेंगे या फिर सुरक्षा व्यवस्था में चूक कहेंगे? चिड़ियाघर में जब सैलानी जानवरों को देखने के लिए जाते हैं, तो वे अपनी जान की जिम्मेदारी वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों के हवाले कर देते हैं। लेकिन वह लड़का बाघ के सामने रोता-गिरगिराता रहा और पूरा अमला तमाशबीन बना रहा। इस घटना ने दिल्ली के चिड़ियाघर की व्यवस्था की पोल खोल दी है। निस्संदेह, इस हादसे की पूरी जांच की जानी चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कोई भी अपनी जवाबदेही से किसी सूरत में बचने न पाए।
सुबोध कुमार, मुखर्जी नगर, दिल्ली

टूटे गठबंधन

आखिर वही हुआ, जिसकी कल्पना की जा रही थी। महाराष्ट्र में कोई भी अपने को किसी से कमजोर नहीं समझ रहा है। कांग्रेस को कमजोर समझ एनसीपी ने पल्ला झाड़ लिया। वहीं हाल के उपचुनावों ने शिवसेना-भाजपा गठबंधन तोड़ने में मुख्य भूमिका निभाई। अगर उपचुनावों के नतीजे भाजपा के पक्ष में रहे होते, तो शायद हो सकता था कि यह गठबंधन नहीं टूटा होता। वहीं गोपीनाथ मुंडे की अचानक हुई मौत से भी फर्क आया। शिवसेना को यह लगने लगा कि अब भाजपा का कोई मजबूत स्थानीय नेता नहीं रहा। जब नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ा था, तब उनके पास भाजपा पर सांप्रदायिक होने का आरोप था, पर यहां तो शिवसेना के पास ऐसा कोई बहाना नहीं है।
नंदराम प्रजापति, ललितपुर, उत्तर प्रदेश

अमेरिका में मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा भारत में निवेश के दरवाजे खोल देगी। यह अब साफ हो चुका है, क्योंकि वह अमेरिकी प्रशासन के अलावा कारोबारी घरानों से भी मिले हैं। अगर अमेरिकी निवेश भारत में आता है, तो इससे हमारे उद्योग जगत को बड़ा मुनाफा होगा। साथ ही, कई सारी नौकरियां उपलब्ध होंगी। इससे बेरोजगारों की संख्या घटेगी। लोगों की क्रय-शक्ति बढ़ेगी। जाहिर है, तमाम वर्गों को फायदा होने जा रहा है। इस दौरे से पहले ही अमेरिका में बसे भारतवंशी भारत में निवेश की इच्छा जता चुके हैं। इसके अलावा, क्रेडिट रेटिंग ने भी भारत की साख पहले से बढ़ाई है। इससे यह साफ हो जाता है कि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था के लिहाज से अच्छे दिन लाने जा रही है।
गौतम घोष, पांडव नगर, दिल्ली

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें
अगला लेख पढ़ें