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नियुक्ति के बारे में सिंग्ला ने मुझसे बात नहीं की: बंसल

पूर्व रेल मंत्री पवन कुमार बंसल ने सोमवार को एक विशेष अदालत को बताया कि धन के बदले पद संबंधी 10 करोड़ रुपये के रिश्वत मामले में मुकदमे का सामना करने वाल उनके भांजे विजय सिंग्ला ने आरोपी महेश कुमार की...

नियुक्ति के बारे में सिंग्ला ने मुझसे बात नहीं की: बंसल
एजेंसीMon, 22 Sep 2014 07:45 PM
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पूर्व रेल मंत्री पवन कुमार बंसल ने सोमवार को एक विशेष अदालत को बताया कि धन के बदले पद संबंधी 10 करोड़ रुपये के रिश्वत मामले में मुकदमे का सामना करने वाल उनके भांजे विजय सिंग्ला ने आरोपी महेश कुमार की किसी पद पर नियुक्ति के बारे में उनसे कभी बात नहीं की। महेश कुमार उस समय रेलवे बोर्ड के सदस्य थे।

इस मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर उपस्थित होते हुए बंसल ने कहा कि रेल मंत्री के उनके कार्यकाल के दौरान सिंग्ला उनसे तीन बार मिले लेकिन कुमार की नियुक्ति के बारे में कभी बात नहीं की। बंसल ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश स्वर्ण कांता शर्मा को बताया कि आरोपी विजय सिंग्ला ने मुझसे आरोपी महेश कुमार की किसी पद पर नियुक्ति के बारे में कोई बात नहीं की।

रेलवे में धन के बदले पद संबंधी 10 करोड़ रुपये के रिश्वत मामले में पूर्व रेल मंत्री पवन कुमार बंसल आज दिल्ली की एक अदालत के समक्ष उपस्थित हुए जिसमें उनके भांजे भी एक आरोपी हैं। बंसल अदालत की ओर से 16 सितंबर को जारी ताजा समन के अनुरूप उपस्थित हुए जब यह स्पष्ट कर दिया गया था कि उन्हें अगली तारीख को निजी तौर पर उपस्थित होने से छूट नहीं दी जायेगी।

सुनवाई की पिछली तारीख को बंसल ने चिकित्सा आधार पर पेशी से छूट मांगी थी और उन्हें चिकित्सा आधार पर स्वयं उपस्थित होने से छूट दी गई। आज उनकी गवाही पूरी नहीं हुई। बंसल ने कहा कि कुमार रेलवे बोर्ड के सदस्य (स्टाफ) के रूप में नियुक्ति के लिए वरिष्ठतम योग्य व्यक्ति थे और उन्हें इस पद पर उनके कार्यकाल के दौरान पदोन्नति दी गई।

बंसल ने कहा कहा कि जब कुमार की प्रोन्नति का समय आया, उस समय सदस्य (स्टाफ), सदस्य (यांत्रिकी) और सदस्य (यातायात) का पद रिक्त हो गया लेकिन सदस्य (इलेक्ट्रिकल) का पद सितंबर 2014 में उपलब्ध होना था जो आरोपी की पसंद थी।

पूर्व रेल मंत्री ने कहा कि 1 मई 2013 को सदस्य (स्टाफ) के रूप में उनकी नियुक्ति से पूर्व कुमार अप्रैल 2013 के प्रथम सप्ताह में उनसे मिले थे और सिग्नल के बारे में अपनी विशेषज्ञता के बारे में बताया था तथा सदस्य (इलेक्ट्रिकल) के रूप में अपनी नियुक्ति के लिए पक्ष रखा था।

उन्होंने अदालत को बताया,  मैंने उनकी बात सुनी। जब मैंने इस बारे में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष से इस बारे में बात की, तब मुझे पता चला कि सदस्य (इलेक्ट्रिकल) का पद सितंबर 2014 में रिक्त होगा। बंसल ने कहा कि जब वह मुम्बई में 16 और 17 अप्रैल 2013 को एक पुरस्कार समारोह के लिए गए थे तब उनकी कुमार से मुलाकात हुई थी लेकिन नियुक्ति के बारे में कोई बात नहीं हुई।

उन्होंने कहा कि 17 अप्रैल 2013 को मैं दिल्ली लौट आया और वह (कुमार) दिल्ली में मुझसे नहीं मिले। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने सदस्य (स्टाफ) की नियुक्ति का प्रस्ताव स्वयं मुझे 18 अप्रैल 2013 को पेश किया था और मैंने इसकी मंजूरी दी। बंसल ने कहा कि कुमार मुझसे तीन बार मिले। मैंने उन्हें बताया कि सदस्य (स्टाफ) की नियुक्ति का फाइल भेज दिया है। और मेरी ओर से बात समाप्त हो गई।

अदालत ने बंसल के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि गवाहों का ध्यान फाइल पर लाया गया है। रेलवे बोर्ड के सदस्य (स्टाफ) और इसे देखने के बाद उन्होंने कहा कि उक्त फाइल उनके समक्ष रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनय मित्तल 18 अप्रैल 2013 को लाये। उन्होंने इस पर हस्ताक्षर किया और प्रस्ताव को मंजूरी दी और इसे विनय मित्तल को लौटा दिया, उसी समय। अदालत ने कहा कि सीबीआई के लिए जांच अधिकारी से वरिष्ठ लोक अभियोजक कुछ स्पष्टीकरण चाहते हैं और जांच अधिकारी शहर से बाहर है। इसलिए मामले में गवाही की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी गई।

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