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तालिबान पर हमला

तालिबान के खिलाफ पाकिस्तान के हमलावर रवैये से कुछ सराहनीय नतीजे आए हैं। यह तो हुआ ही है कि फौज उनके अड्डों व पनाहगाहों पर धावा बोलने लगी है और उनके दिलों में खौफ पैदा कर रही है। जुम्मे के दिन यह खबर...

तालिबान पर हमला
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 14 Sep 2014 06:49 PM
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तालिबान के खिलाफ पाकिस्तान के हमलावर रवैये से कुछ सराहनीय नतीजे आए हैं। यह तो हुआ ही है कि फौज उनके अड्डों व पनाहगाहों पर धावा बोलने लगी है और उनके दिलों में खौफ पैदा कर रही है। जुम्मे के दिन यह खबर आई कि फौज ने दस तालिबान लड़ाकों को धर दबोचा है। ये वही लोग हैं, जिन्होंने दो साल पहले मलाला यूसुफजई को मारने की कोशिश की। मलाला बच गई और स्कूली पढ़ाई के अपने संघर्ष के लिए अंतरराष्ट्रीय हस्ती बन गई। पिछले साल यूरोपीय संघ के मानवाधिकार पुरस्कार से उसे नवाजा गया। नोबेल शांति सम्मान के लिए उसका नामांकन हुआ। पिछली जुलाई में उसे संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने का मौका मिला। सदस्यों ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उसका स्वागत किया था। मलाला के हमलावरों की गिरफ्तारी वैश्विक खबर बन चुकी है और यह तालिबान के खिलाफ पाकिस्तानी जंग में एक बड़ी कामयाबी है।

हमले के फौरन बाद तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) ने इसकी जिम्मेदारी ली थी, मगर शुक्रवार से पहले तक इस मामले में किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई थी। 10 संदिग्धों की गिरफ्तारी फौज, पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने मिलकर की। लेकिन टीटीपी का नया कट्टरपंथी धड़ा जमात-उल-अहरार ने फौज के इस दावे को खारिज किया है। इसके प्रवक्ता एहसानुल्लाह एहसान के मुताबिक, उस हमले में तीन लोग शामिल थे। एहसान ने कहा कि ‘उनमें से एक शहीद हो चुका है और दो जिंदा हैं।’ टीटीपी का यह बयान फौज के दावे को कमजोर कर सकता है, मगर हकीकत यह है कि फौज तालिबान को बड़ा झटका देने की हैसियत में है। अगर तालिबान शिकस्त खाता है और इस फौजी कार्रवाई में कोई बड़ी कामयाबी मिलती है, तो दहशत के खिलाफ इस्लामाबाद आधी जंग जीत जाएगा। पुलिस ने उसी दिन तीन नौसेना अफसरों को भी गिरफ्तार किया। इन अफसरों के खिलाफ आरोप हैं कि ये दहशतगर्दों को हमले में मदद कर रहे थे। बदकिस्मती से, पाकिस्तान का मौजूदा सियासी संकट इस तालिबान-विरोधी ऑपरेशन को नुकसान पहुंचा रहा है, जबकि ज्यादा जरूरी यह है कि तालिबान के खिलाफ पाकिस्तान एकजुट होकर लड़ाई लड़े।   
द पेनिनसुला, कतर

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