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सेना, सरकार और सियासत

धर्म के आधार पर भारत का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान का जन्म हुआ। ऐसे में, यह कहा जा सकता है कि हिन्दुस्तान विरोध की बुनियाद पर पाकिस्तान बना था, जिसकी असल में कोई जरूरत थी नहीं। खैर, जब यह देश बन गया,...

सेना, सरकार और सियासत
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 11 Sep 2014 08:39 PM
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धर्म के आधार पर भारत का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान का जन्म हुआ। ऐसे में, यह कहा जा सकता है कि हिन्दुस्तान विरोध की बुनियाद पर पाकिस्तान बना था, जिसकी असल में कोई जरूरत थी नहीं। खैर, जब यह देश बन गया, उसके बाद से अब तक, वहां लोकतंत्र का गला घोंटा जाता रहा है। पाकिस्तान के इतिहास में ऐसी कई घटनाएं दर्ज हैं। अगर यदा-कदा सेना शासन के बाहर रही, तब भी वह हस्तक्षेप करती रही है। पाकिस्तान की सियासत में फिलहाल जो मोड़ आया है और जिससे एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है, उसके पीछे यही सच है। वर्तमान में नवाज शरीफ सरकार को भले ही चुनौती इमरान खान और ताहिर-उल कादरी ने दी हो, पर इन दोनों की पीठ पर सेना का हाथ है, वरना वह सरकार को सख्ती बरतने से क्यों रोकती? यह बात भी गौर करने लायक है कि शरीफ सरकार के पास जनाधार है, तब भी वह सेना के सामने बेबस है।
ममता चौधरी, शिवाजी पार्क, शाहदरा, दिल्ली-32

आज के नेता

बीते चुनावों और उप चुनावों में हमने देखा कि कैसे एक से बढ़कर एक लुभावने वादे किए गए। पर ये वादे कब पूरे होंगे, यह प्रश्न जनता जानना चाहती है और नेता हैं कि मौन हैं। वे दरअसल भूल जाते हैं कि जनता उन्हें अपना वोट ही नहीं, बल्कि अपनी उम्मीदें, भावना, आस्था, अपने हित और संकल्प सौंपती है। संसद और विधानसभाओं में नेताओं के बीच तू-तू मैं-मैं अधिक होती है, काम की सार्थक बातें नहीं। कोई विधेयक सदन में सत्ता पक्ष के बहुमत के कारण पारित हो जाता है, देशहित में नहीं। क्या वर्तमान समय में एक भी ऐसा उदाहरण है, जब देशहित में सत्ता पक्ष और विरोधी दलों ने एकजुट होकर फैसला लिया हो? संभवत: इसका जवाब नहीं में मिलेगा। ऐसे में, एक सवाल इन नेताओं से है कि क्या यही गांधी, तिलक, पटेल और अंबेडकर के सपनों का भारत है?
युधिष्ठिर लाल कक्कड़, गुड़गांव, हरियाणा

ऑस्ट्रेलिया से रिश्ता

ऑस्ट्रेलिया-भारत परमाणु समझौता दोनों देशों के बीच एक नए अध्याय की शुरुआत है। दोनों देशों के बीच साल भर में कई अरब डॉलर का कारोबार होता है। ऐसे में, देश की असैन्य परमाणु ऊर्जा नीति पर जिस प्रकार ऑस्ट्रेलिया ने भरोसा जताया है, इसके लिए उनके प्रधानमंत्री टोनी एबोट को धन्यवाद। एबोट शुरू से ही भारत से करीबी संबंध के इच्छुक रहे हैं। लेकिन भारत की पुरानी सरकार विदेश नीति को लेकर उतनी सतर्क दिखाई नहीं दे रही थी, जितनी मौजूदा केंद्र सरकार है। इसलिए टोनी एबोट ने भारत के साथ संबंध बेहतर बनाने में दिलचस्पी दिखाई और यूरेनियम निर्यात को राजी हो गए। यह तो जगजाहिर है कि हमारे विकास में सबसे बड़ी बाधा ऊर्जा-संकट है। निश्चित रूप से भारत-ऑस्ट्रेलिया परमाणु समझौता इस बाधा को काफी हद तक दूर करेगा।
मिलिंद अग्रवाल, मुखर्जी नगर, दिल्ली

पार्किंग की दिक्कत

दिल्ली में पार्किंग की दिक्कत कमोबेश हर जगह है। इसके कई कारण हैं। कई लोग पार्किंग के लिए निर्धारित बेसमेंट का प्रयोग व्यावसायिक हितों में करने लगे हैं। वे इनमें दुकानें चलाते हैं। इसके अलावा, कई सार्वजनिक जगहों पर गाड़ी न खड़ी करने की हिदायत-बोर्ड टंगा रहता है। आस-पड़ोस के लोगों ने तो अपनी मर्जी से ऐसी जगहों पर ‘नो पार्किंग, बाई ऑर्डर एसएचओ’ का बोर्ड टंगवा रखा है। पंजाबी बाग इलाके में ऐसे कई उदाहरण दिख जाएंगे। इसी तरह, मुख्य सड़क पर बड़े-बड़े दुकानदारों और कार्यालय वालों ने अपनी गाड़ियों के लिए गार्ड खड़े कर रखे हैं या जंजीर बांध दी है, ताकि कोई बाहरी व्यक्ति वहां गाड़ी खड़ी न कर सके। अब ऐसे में, अगर आप नई जगह पर खरीदारी करने गए हैं, तो खोजते रहिए कि कार कहां पार्क करेंगे। अगर दूर तक एनडीएमसी की कार पार्किंग न दिखी, तो मुसीबत ही मुसीबत है।
ब्रजमोहन, पश्चिम विहार, नई दिल्ली-63

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