फोटो गैलरी

Hindi Newsये पांच सही, रक्त संचार भी सही

ये पांच सही, रक्त संचार भी सही

शरीर के विभिन्न हिस्सों को स्वस्थ रखने और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में रक्त की अहम भूमिका होती है। पर शरीर में रक्त संचार दुरुस्त बना रहे, इसके लिए रक्तचाप, हृदय गति, रक्त शर्करा, रक्त...

ये पांच सही, रक्त संचार भी सही
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 04 Sep 2014 08:40 PM
ऐप पर पढ़ें

शरीर के विभिन्न हिस्सों को स्वस्थ रखने और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में रक्त की अहम भूमिका होती है। पर शरीर में रक्त संचार दुरुस्त बना रहे, इसके लिए रक्तचाप, हृदय गति, रक्त शर्करा, रक्त प्रकार और कोलेस्ट्रॉल इन पांचों की मुख्य भूमिका होती है। रक्त मानव शरीर का सबसे जरूरी हिस्सा है। इन पांच तत्वों को कैसे स्वस्थ रखें, बता रहे हैं प्रसन्न प्रांजल

ब्लड प्रेशर (रक्त चाप)
सामान्य तौर पर ब्लड प्रेशर की आदर्श सीमा डायस्टोलिक प्रेशर 60/90 और सिस्टोलिक प्रेशर 90/110 है। लंबे समय तक इसका ज्यादा या कम होना  चिंता का विषय है। ऐसा होना रक्त प्रवाह और नसों को प्रभावित कर सकता है। किडनी और अन्य अंगों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है। हाइपरटेंशन जैसी समस्या भी रक्तचाप के अनियंत्रित होने की देन है। रक्त संचार को सही रखने के लिए जरूरी है कि आप साल में चार बार निश्चित रूप से ब्लड प्रेशर जांच करवाएं। ब्लड प्रेशर आदर्श सीमा से 15 कम या ज्यादा हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।

हृदय गति
एक स्वस्थ इंसान के दिल की धड़कन 60 से 90 प्रति मिनट (बीएमपी) होती है। हृदय गति का असंतुलित होना दिल के दौरे समेत सेहत संबंधी कई परेशानियों की ओर इशारा करता है। दिल की धड़कन की जांच आप अपने आप भी कर सकते हैं। रात को सोते वक्त दिल की धड़कन को गिनें। अगर यह 60-90 के बीच में हो तब ठीक है, नहीं तो डॉक्टर से मिलना बेहतर होगा। 

रक्त शर्करा
आदर्श रूप में इंसानों की फास्टिंग ब्लड शुगर 100 एमजी/डीएल से कम होनी चाहिए। इसके बढ़ने से डायबिटीज की आशंका बढ़ जाती है, इसलिए आप नियमित रक्त शर्करा की जांच करवाएं। अगर फास्टिंग ब्लड शुगर की रेंज 125 एमजी/डीएल तक है तो आगे चल कर मधुमेह होने की आशंका बढ़ जाती है। यदि दो तीन बार की जांच में रक्त शर्करा 125 एमजी/डीएल के आसपास आ रही है तो अगले दो से तीन साल तक चिकित्सक के संपर्क में रहें। 

कोलेस्ट्रॉल
कई चिकित्सकीय शोधों में यह बात साबित हो चुकी है कि कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना दिल के रोगों के खतरों को कई गुणा बढ़ा देता है। कोलेस्ट्रॉल एक लिपिड (वसा) है, जो लिवर में बनता है। यह मोम जैसा चिकना स्टेरॉइड है, जिसका परिवहन शरीर में ब्लड प्लाज्मा के जरिए होता है। मानव रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 3.6 मिलिमोल/लिटर के बीच होता है। 6 मिलिमोल/लिटर को उच्च माना जाएगा। इससे धमनी संबंधी रोगों का खतरा बहुत बढ़ जाता है। 7.8 मिलिमोल/लिटर से ऊपर को अत्यधिक उच्च कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में रखा जाता है, जिसमें हार्ट अटैक व स्ट्रोक की आशंका सबसे अधिक होती है।

ब्लड टाइप
मनुष्यों में प्रमुख रूप से ए, बी, ओ या एबी चार तरह के रक्त समूह होते हैं। मानव शरीर में पाए जाने वाले एंटिजेन्स के आधार पर रक्त समूह का निर्धारण किया जाता है। रक्त समूह में आरएच फैक्टर की वजह से रक्त आरएच नेगेटिव और आरएच पॉजिटिव भी होता है। ओ नेगेटिव और एबी पाजिटिव ब्लड काफी कम पाए जाते हैं। विपरीत स्थितियों में रक्त की जरूरत को सुनिश्चित किया जा सके, इसके लिए ब्लड के प्रकार की जानकारी होनी अच्छी रहती है।

 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें