बदल गया तनीष
तनीष ने जान-बूझ कर पोलियो ग्रस्त हिमांशु को टांग मारकर गिरा दिया और फिर तेजी से निकल गया। हिमांशु के गिरते ही तनीष के अन्य साथियों ने हंसकर ताली बजाई, मानो वे उसे हिमांशु के गिराने की दाद दे रहे हों।...
तनीष ने जान-बूझ कर पोलियो ग्रस्त हिमांशु को टांग मारकर गिरा दिया और फिर तेजी से निकल गया। हिमांशु के गिरते ही तनीष के अन्य साथियों ने हंसकर ताली बजाई, मानो वे उसे हिमांशु के गिराने की दाद दे रहे हों। तनीष सातवीं में पढ़ता था, लेकिन लंबा होने के कारण वह बड़ा लगता था, इसलिए सभी छात्र उससे डरते थे और न चाहते हुए भी उसकी हां में हां मिलाने पर मजबूर थे। एक दिन उनके स्कूल में हिन्दी के नए अध्यापक सूरज शर्मा आए। कुछ ही दिनों में स्कूल के सभी विद्यार्थी सूरज सर को बहुत पसंद करने लगे और उनकी हर आज्ञा का पालन करने लगे। सूरज, तनीष की कक्षा को भी पढ़ाते थे। एक दिन जब सूरज सर उनकी कक्षा में आकर पढ़ाने लगे तो तनीष ने एक नकली सांप डालकर जोर-जोर से सांप-सांप चिल्लाना शुरू कर दिया। वह सांप असली लग रहा था और तनीष उसे रिमोट कंट्रोल से दबाकर आगे-पीछे कर रहा था। यह देखकर कक्षा के बच्चों को लगा कि सचमुच में सांप उनके कमरे में घुस गया है।
डर के कारण पूरी कक्षा बाहर भागने लगी। इसी भागदौड़ में हिमांशु कई छात्रों से टकराते-टकराते कक्षा के दरवाजे पर गिर गया। सभी छात्र भागदौड़ में हिमांशु की परवाह न करते हुए उसके ऊपर से कूद-कूद कर जाने लगे। सूरज सर ने यह देखकर सभी बच्चों को हिम्मत से काम लेने को कहा। लेकिन बच्चे तो अपनी जान बचाने में लगे थे। हिमांशु छात्रों के ऊ पर से आने-जाने से बुरी तरह जख्मी हो गया था। पूरी कक्षा खाली हो गई। केवल सूरज सर और हिमांशु ही वहीं पर रह गए। इसी उधेड़बुन में नकली सांप भी वहीं कक्षा में पड़ा हुआ था और आनन-फानन में भागदौड़ में तनीष के हाथ से रिमोट कंट्रोल भी गिर गया था। यह सब देखकर प्रिंसिपल, अध्यापक व अन्य छात्र भी अपनी कक्षाओं से बाहर निकलकर घटनास्थल पर जमा हो गए। तुरंत हिमांशु को अस्पताल ले जाया गया। कुछ ही देर में एक छात्र ने नकली सांप लाकर प्रिंसिपल को दिया तो तनीष के होश उड़ गए और वह डर से थर-थर कांपने लगा। उसे लगा कि अब तो प्रिंसिपल सर उसे स्कूल से निकाल देंगे।
सूरज सर की नजर तनीष पर गई तो वह तुरंत समझ गए कि यह हरकत इसी की थी। प्रिंसिपल गुस्से से बोले, ‘जिस भी छात्र ने यह हरकत की है, उसे बख्शा नहीं जाएगा।’ प्रिंसिपल की बात पर सूरज सर बोले, ‘सर, यह हरकत किसी ने जानबूझ कर नहीं की। शायद किसी बच्चे का सांप का खिलौना गिर गया होगा और बच्चों ने उसे सांप समझ लिया। वैसे भी यह नकली सांप देखने में असली सा ही जान पड़ रहा है। ऐसे में जब हम बड़े लोग धोखा खा सकते हैं तो बच्चों का डरना तो मामूली सी बात है’।
प्रिंसिपल सर, सूरज का जवाब सुनकर संतुष्ट हो गए। तनीष सूरज सर को उसका बचाव करते देख हैरान रह गया। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? सूरज सर व अन्य अध्यापक तुरंत हिमांशु की तबियत का हाल जानने के लिए अस्पताल पहुंचे। अब हिमांशु कुछ ठीक था, लेकिन वह कई जगह से जख्मी हो गया था। डॉंक्टर ने उसे पन्द्रह दिन का आराम करने की सलाह दी थी। स्कूल खत्म होने के बाद तनीष हिमांशु को देखने पहुंचा तो उसने सूरज सर को वहीं पाया। उन्हें देखकर वह बिलख-बिलख कर रोने लगा और बोला, ‘सर, मैंने हमेशा हिमांशु का मजाक उड़ाया, अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया। अगर आज आप मुझे नहीं बचाते तो सर मुझे स्कूल से निकाल देते।’
यह सुनकर सूरज सर बोले, ‘तनीष, किसी को भी बेवजह परेशान करना और खासतौर पर उसकी कमजोरी का फायदा उठाना तो बहुत ही गलत बात है। इंसान को एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए। मैंने आज तुम्हारा बचाव करके तुम्हें एक मौका देना चाहा है। लेकिन आज के बाद मैं तुम्हारी गलतियों पर तुम्हारा बचाव नहीं करूंगा।’ सूरज सर की बात पर तनीष बोला, ‘सर, मैं आगे से कभी गलती नहीं करूंगा और पन्द्रह दिनों तक मैं हिमांशु की देखभाल करने के साथ-साथ उसकी होमवर्क करने में मदद करूंगा, उसकी अनुपस्थिति में कक्षा में जो पढ़ाई होगी उसमें मदद करूंगा।’ सूरज सर से माफी मांगकर तनीष ने हिमांशु के गले लगकर उससे माफी मांगी और रोने लगा। उसे रोते देखकर हिमांशु बोला, ‘इस मौके को अपने आंसू बहाने में नहीं दूसरों के आंसू पोंछने में उपयोग करो।’ यह सुनकर सूरज सर मुस्कुरा दिए और तनीष उनके गले लग गया।