फोटो गैलरी

Hindi Newsपोर्नोग्राफी के खतरे

पोर्नोग्राफी के खतरे

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी दिखाने वाली साइट्स को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए। सुप्रीम कोर्ट एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रहा है, जिसमें बाल पोर्नोग्राफी पर पाबंदी...

पोर्नोग्राफी के खतरे
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 29 Aug 2014 08:27 PM
ऐप पर पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी दिखाने वाली साइट्स को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए। सुप्रीम कोर्ट एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रहा है, जिसमें बाल पोर्नोग्राफी पर पाबंदी लगाने और वयस्क पोर्नोग्राफी साइट्स को ब्लॉक करने की बात कही गई है। सरकार का कहना है कि वह कोशिश कर रही है, लेकिन इंटरनेट पर पाबंदी को अमल में लाना बहुत मुश्किल काम है। जब तक एक साइट को ब्लॉक किया जाता है, दस नई साइट्स खुल जाती हैं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कानून, टेक्नोलॉजी और प्रशासन के समन्वय से इस समस्या से निपटने का तरीका ढूंढ़ा जाना चाहिए। यह सच है कि नेट पर पोर्नोग्राफी एक बहुत बड़ी समस्या है। जो लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पूरी तरह हिमायती हैं, वे भी यह मानते हैं कि बाल पोर्नोग्राफी पर बंदिश लगाई जानी चाहिए। लेकिन यह समस्या ऐसी है, जिसका कोई आसान हल नहीं है और तमाम देशों की सरकारें अपने-अपने स्तर पर इससे जूझ रही हैं। हो यह रहा है कि जैसे-जैसे सूचना टेक्नोलॉजी का विस्तार हो रहा है और वह बेहतर होती जा रही है, वैसे-वैसे पोर्नोग्राफी की पहुंच बढ़ती जा रही है। यह भी कहा जाता है कि इंटरनेट और सूचना टेक्नोलॉजी की तरक्की के पीछे भी पोर्नोग्राफी की बड़ी भूमिका है।

चित्रों और वीडियो को अपलोड करने और उन्हें आसानी से प्रसारित करने की कोशिश में इंटरनेट की टेक्नोलॉजी में कई सुधार हुए। इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी के विस्तार के बारे में ठीक-ठीक आंकड़े मिलना तो मुश्किल है, लेकिन यह जाना जाता है कि नेट पर 40 लाख से ज्यादा अश्लील साइट्स हैं। विभिन्न सर्च इंजनों पर 25 प्रतिशत से ज्यादा सर्च पोर्नोग्राफी की होती है और लगभग 35 प्रतिशत डाउनलोड सिर्फ पोर्नोग्राफी के होते हैं। मोबाइल पर इंटरनेट आ जाने के बाद तो पोर्नोग्राफी की पहुंच ज्यादा हो गई है। इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक पक्ष बच्चों को लेकर बनाई गई पोर्नोग्राफी का है और उतना ही खतरनाक है बच्चों तक पोर्नोग्राफी की या यौन अपराधियों की नेट के जरिये पहुंच। लगभग 90 प्रतिशत किशोरों तक चाहे-अनचाहे इंटरनेट पोर्नोग्राफी की पहुंच हो जाती है। यह टेक्नोलॉजी जिस तरह देशों की सीमा के परे काम करती है, उसके चलते तमाम कोशिशों के बावजूद उसे रोकना नामुमकिन हुआ है। चीन जैसे तानाशाही व्यवस्था वाले देश में नेट पर काफी कड़ी सेंसरशिप है, हालांकि वहां भी सरकार की नजर सरकार विरोधी प्रचार पर ज्यादा होती है।

फिर भी दुनिया के इंटरनेट पोर्नोग्राफी उद्योग को सबसे ज्यादा आय चीन से होती है। आम तौर पर तमाम दफ्तरों में पोर्नोग्राफी पर पाबंदी होती है, फिर भी पोर्नोग्राफी की साइट्स पर सबसे ज्यादा आवाजाही सुबह नौ से शाम पांच बजे तक होती है, यानी लोग दफ्तर के वक्त में भी इससे बाज नहीं आते। कुछ लोगों का कहना है कि पोर्नोग्राफी देखने वाले लोगों के यौन व्यवहार में काफी आक्रामकता आ जाती है और कार्यस्थल पर भी उनका व्यवहार अभद्र और अश्लील हो जाता है। पोर्नोग्राफी और यौन अपराधों के रिश्ते पर तो काफी सारे अलग-अलग मत हैं, लेकिन यह जरूर है कि विशेष तौर पर बच्चों तक पोर्नोग्राफी की पहुंच और बाल पोर्नोग्राफी साइट्स को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए। यह काम सिर्फ कानून से नहीं हो सकता, इसके लिए समाज और परिवार के स्तर पर भी सक्रियता जरूरी है। अदालतें और सरकार सख्त हो जाएं, तो बाल पोर्नोग्राफी को बड़े स्तर पर रोका जा सकता है। बाल यौन शोषण से जुड़े अपराधों के प्रति संवेदनशीलता और सतर्कता हर स्तर पर जरूरी है, तभी कोई प्रभावशाली बदलाव हो सकता है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें