बढ़ती उमस कर न दे पस्त
बारिश का मौसम ठंडी फुहारों के अलावा अपने साथ उमस भरा माहौल भी लेकर आता है। घुटन और नमी से भरा यह मौसम कई बार असहनीय ही नहीं, हमारे स्वास्थ्य और खासकर त्वचा के लिए खतरनाक साबित होता है। उमस को अपनी...
बारिश का मौसम ठंडी फुहारों के अलावा अपने साथ उमस भरा माहौल भी लेकर आता है। घुटन और नमी से भरा यह मौसम कई बार असहनीय ही नहीं, हमारे स्वास्थ्य और खासकर त्वचा के लिए खतरनाक साबित होता है। उमस को अपनी सेहत पर हावी होने से कैसे रोकें, बता रही हैं रजनी अरोड़ा
वातावरण में मौजूद नमी का असर शरीर से निकलने वाले पसीने पर आसानी से देखा जा सकता है। पसीने के बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्राकृतिक तौर पर शरीर की रक्षा करने का काम करता है। शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले अतिरिक्त अल्कोहल, कोलेस्ट्रॉल और नमक को शरीर से बाहर निकालकर यह शरीर में संतुलन बनाए रखता है और विभिन्न संक्रामक रोगों से हमें बचाता है। गर्मी के मौसम में पसीना भाप बनकर उड़ जाता है और शरीर को ठंडा रखता है। लेकिन उमस वाले मौसम में यह पसीना सूख नहीं पाता है और शरीर को चिपचिपाहट से भर देता है।
उमस का असर
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉं. सोनिया कटारिया के मुताबिक उमस वाले मौसम में वातावरण में बीमारियां फैलाने वाले बैक्टीरिया, वायरस और फंगस सक्रिय हो जाते हैं, जिनसे किसी भी उम्र का व्यक्ति शिकार हो सकता है। इस मौसम में त्वचा संबंधी रोग ज्यादा पनपते हैं। वातावरण की नमी हमारी त्वचा के पोर बंद कर देती है, जिससे त्वचा सांस नहीं ले पाती। त्वचा के भीतर समुचित मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती और त्वचा बेजान-सी हो जाती है। अगर साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा जाए तो त्वचा फंगल इंफेक्शन, रैशेज, मुंहासे और फोड़े-फुंसियों की चपेट में आ जाती है। शरीर के ऐसे हिस्से जहां पसीने ज्यादा आते हैं, वहां रैशेज पड़ जाते हैं और खुजली होने लगती है। चेहरे पर मवाद से भरे मुंहासे उभर आते हैं, जिनसे कई बार चेहरे पर निशान भी पड़ जाते है। तापमान में नमी का असर हमारे बालों पर भी पड़ता है। नियमित सफाई के अभाव में बाल चिपचिपे और बेजान हो जाते हैं। डैंड्रफ हो जाते हैं, जिससे बाल ज्यादा गिरने लगते हैं।
इसके अलावा कम पानी पीने और खानपान की गलत आदतों से आप डीहाइड्रेशन की शिकार भी हो सकती हैं। उमस के इस मौसम में पसीना बहुत आता है, जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है। उमस वाले मौसम में खाना जल्दी खराब हो जाता है और ऐसा खाना खाने से पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। नमी भरे मौसम से नींद आना, मांसपेशियों में ऐंठन, चक्कर, उल्टी और सिर दर्द जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है।
सूती और हल्के कपड़े पहनें
इस मौसम में सिंथेटिक, मोटे और टाइट फिटिंग के कपड़ों के बजाय हल्के रंगों वाले पतले और सूती कपड़े पहनें। टाइट फिटिंग और ज्यादा कसीदाकारी वाले कपड़े पहनने से बचें। ऐसा करने से आपको गर्मी और उमस से परेशानी भी कम होगी और ज्यादा पसीना आने के बावजूद आपको कम परेशानी होगी।
खान-पान का रखें ध्यान
खानपान के मामले में एहतियात बरत कर ही आप उमस भरे वातावरण में सेहतमंद रह सकती हैं। डीहाइड्रेशन से बचने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पिएं और उबला पानी पीने की कोशिश करें। पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से विषाक्त पदार्थ आसानी से शरीर से बाहर निकल जाएंगे। मूली के रस में काली मिर्च पाउडर और एक चुटकी सेंधा नमक मिलाकर पीना भी इस मौसम में फायदेमंद है। खाने के मामले में सतर्कता बरतें। घर का बना और कम चिकनाई वाला खाना ही खाएं। खाने में अदरक, अजवायन का प्रयोग करें। तुलसी और अदरक की चाय पिएं। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी और उमस से लडम्ने में शरीर को मदद मिलेगी।
निजी साफ-सफाई का रखें ध्यान
नमी भरे वातावरण में होने वाली चिपचिपाहट से बचने के लिए अपनी साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। ठंडे पानी से दिन में दो बार नहाएं। साफ-सुथरे कपड़े पहनें। वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और धूल के कणों पर काबू पाने के लिए एंटीबैक्टीरियल या ग्लिसरीन युक्त साबुन से स्नान करें। बालों में हर दूसरे दिन शैंपू करें ताकि नमी से उन्हें नुकसान न हो। त्वचा को संक्रमण से बचाने के लिए उसे सूखा रखें और एंटी-बैक्टीरियल पाउडर का इस्तेमाल सकती हैं।