तेल का खेल
अमेरिका कहां स तल निकाल ल, कुछ पता नहीं जी। उस ता बस पता चलना चाहिए कि कहां तल है, वह अपना डंडा और ताप-तमंचा लकर पहुंच जाता है और तल निकाल लता है। वह ड्रिलिंग मशीन स कम और अपन डंड तथा ताप-तमंचां क...
अमेरिका कहां स तल निकाल ल, कुछ पता नहीं जी। उस ता बस पता चलना चाहिए कि कहां तल है, वह अपना डंडा और ताप-तमंचा लकर पहुंच जाता है और तल निकाल लता है। वह ड्रिलिंग मशीन स कम और अपन डंड तथा ताप-तमंचां क बूत ही ज्यादा तल निकालता है। आपक मुल्क मं तल है, वह मुल्क खत्म करगा और तल निकाल लगा। आपक घर क नीच तल है, वह आपका बघर करगा और तल निकाल लगा। आपकी खटिया क नीच तल है, वह आपकी खटिया, बिस्तर सब फंक दगा और तल निकाल लगा। कई मुल्क ता दुनिया मं इसीलिए उसकी नार स बच हुए हैं कि वहां तल नहीं है। वरना व कब क इराक की गत पात। दुनियावाल समझत हैं कि वह जनतंत्र की रखवाली कर रहा है, गश्त पर है। पर वास्तव मं उसकी नार तल पर रहती है। बतात हैं कि तल उसक यहां भी इफरात मं है, पर उस नहीं निकालता है। रिजर्व मं रख हुए है। ताकि जब सारी दुनिया की गाड़ी बंद हा जाए, उसकी गाड़ी तब भी चलती रह। उस ता बस अपनी गाड़ी चलान स मतलब है। कहत हैं ग्लाबल वार्मिग मं सबस बड़ा यागदान उसी का है। पर इसक लिए भी दाष भारत और चीन का ही दता है। तर्क की बात स उस फर्क नहीं पड़ता।हमार यहां तल निकालन क कई मुहावर चलत हैं। जैस आदमी का तल निकालना। हमार यहां ता वह बस मुहावरा ही रह गया। इस मुहावर का हकीकत बनाया अमेरिका न। दुनिया का एसा कौन सा आदमी है, जिसका तल अमेरिका न निकाल रहा हा। हालांकि एस लागां का खून चूसनवाला कहा जाता है और बात-बात पर ताप-तमंच चलान की उसकी आदत का दखकर लाग उस रक्तपिपासु भी कहत हैं। पर वास्तव मं उसका काम तल निकालना है। फिर हमार यहां बालू स तल निकालन का मुहावरा भी है। हालांकि हम कभी नहीं निकाल पाए और इस निष्कर्ष पर पहुंच कि बालू स तल नहीं निकलता। इधर अपन यहां प्रधानमंत्री स सिफारिश कराकर बालू द्वारा निकलवाई जानवाली गैस का जिक्र ता आया, लकिन बालू स तल निकालन मं कामयाबी हमं नहीं मिल पाई और हमन यह मान लिया कि बालू स तल नहीं निकलता। पर अमेरिका न निकाल लिया। खाड़ी स निकाल लिया। दुनिया भर क दूसर रगिस्तानां स निकाल रहा है। अमेरिका कहां स तल निकाल ल, कुछ पता नहीं। अब कह रह हैं कि वह अनाज स तल निकाल रहा है। बताआ, यहां खान का नहीं और वह तल निकाल रहा है। ऊपर स अनाज की कमी का दाष भी हमीं पर मढ़ रहा है।ड्ढr ं