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डॉक्टरों के लिए एमसीआई ने तय की आचार संहिता

अगर आपका डेंटिस्ट किसी खास कम्पनी के टूथपेस्ट की सिफारिश कर दे तो शायद आप बिना उसकी कीमत की परवाह किए खरीद लेंगे। बाद में अगर यह पता चले कि डॉक्टर साहब को तो इसके लिए कम्पनी से पैसा मिलता है तो आपका...

डॉक्टरों के लिए एमसीआई ने तय की आचार संहिता
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 12 Aug 2014 11:44 PM
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अगर आपका डेंटिस्ट किसी खास कम्पनी के टूथपेस्ट की सिफारिश कर दे तो शायद आप बिना उसकी कीमत की परवाह किए खरीद लेंगे। बाद में अगर यह पता चले कि डॉक्टर साहब को तो इसके लिए कम्पनी से पैसा मिलता है तो आपका भरोसा तो टूट जाएगा ना। डॉक्टर पर यह अटूट भरोसा आगे भी कायम रहे इसके लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने कुछ नये नैतिक मानदंड तय किए हैं। हर चिकित्सक को इनका पालन करना होगा चाहे वह सरकारी सेवा में हो या निजी प्रेक्टिस करते हों।

डॉक्टर को भगवान का रूप कहा जाता है लेकिन बीते कुछ समय में इस बेहद पवित्र माने जाने वाले पेशे के दामन पर भी दाग लगे हैं। बीते कुछ महीनों में मीडिया में स्टिंग आप्रेशन के जरिए कई ऐसे खुलासे हुए जिनसे इस पेशे की नैतिकता पर सवाल उठने लगे। जुलाई में दिल्ली के कुछ चिकित्सकों के इसमें शामिल होने के खुलासे के बाद केंद्र सरकार ने एमसीआई को इस पर रोक लगाने के लिए कहा था। इसके बाद एमसीआई ने यह देखा कि ज्यादा शिकायतें किस तरह की हैं।

इस बारे में एमसीआई ने राज्यों और केंद्र सरकारों के स्वास्थ्य विभागों को अपनी रिपोर्ट भेजी है और चिकित्सकों से न्यूनतम नैतिक मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए कहा है। इसमें खासतौर से चिकित्सकों के अपनी विशेषज्ञता और प्रसिद्धि को गलत कमर्शियल इस्तेमाल पर रोक लगाने का प्रयास किया गया है। इसके अलावा चिकित्सकों को दवा कम्पनियों आदि से मिलने वाले प्रलोभनों पर भी सख्त रुख अपनाया गया है।

यह हैं खास बातें
चिकित्सक किसी कम्पनी या उत्पाद का प्रचार करते हुए नजर न आएं
उनके द्वारा किसी वक्तव्य या लेख से किसी खास ब्रांड का प्रचार नहीं हो
हर डॉक्टर किसी जगह प्रेक्टिस शुरू करने, स्थाई या अस्थाई रूप से बंद करने के बारे में प्रेस के माध्यम से औपचारिक सूचना दें
डॉक्टर किसी संस्थान से गिफ्ट, बोनस, छूट आदि को स्वीकार नहीं करेंगे
किसी जांच आदि के लिए सलाह देते वक्त किसी खास लैब आदि की सिफारिश नहीं करें

‘यह हर चिकित्सक को पता है कि क्या गलत है और क्या सही। अगर चिकित्सक अपनी आत्मा की आवाज सुनकर काम करता है तो वह गलत काम कर ही नहीं सकता। इससे किसी को इनकार नहीं होना चाहिए कि चिकित्सीय पेशे की गरिमा और पवित्रता कायम रहे। एमसीआई इसके लिए गंभीर है।’
- डा. कुलदीप दत्ता, अध्यक्ष आईएमए देहरादून

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