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एचटी-मार्स यूथ सर्वे-लिव-इन ठीक है पर पापा को पता न चले

भारतीय युवा परंपरा और आधुनिकता दोनों को साथ लेकर चलने की भारी कीमत चुका रहे हैं। गहरी पैठ बना चुकी परंपराएं उन्हें वह करने से रोक रही हैं जिसकी वे दूसरों को नसीहत देते फिरते हैं। इंदौर के रहने...

एचटी-मार्स यूथ सर्वे-लिव-इन ठीक है पर पापा को पता न चले
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 10 Aug 2014 11:43 PM
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भारतीय युवा परंपरा और आधुनिकता दोनों को साथ लेकर चलने की भारी कीमत चुका रहे हैं। गहरी पैठ बना चुकी परंपराएं उन्हें वह करने से रोक रही हैं जिसकी वे दूसरों को नसीहत देते फिरते हैं।


इंदौर के रहने वाले 24 साल के अमित त्रिवेदी एमबीए करने के बाद दिल्ली में एक साल से नौकरी कर रहे हैं। उन्हें पत्नी के तौर पर एक पढ़ीलिखी और परिवार को खुश रखने वाली लड़की चाहिए। लेकिन उनकी एक अनकही मांग भी है कि शादी से पहले लड़की के किसी से शारीरिक संबंध न रहे हों। हालांकि अमित खुद ऐसे नहीं हैं। परंपरा और आधुनिकता के बीच यह दोहरा मापदंड पाखंड को दिखाता है। साफ है कि शहरों में रहने वाले युवा जिसका उपदेश देते हैं, खुद उन शर्तो पर खरे नहीं उतरते। एचटी-मार्स यूथ सर्वे के अनुसार, अप्रत्याशित तौर पर 61 फीसदी का मानना है कि शादी के पहले शारीरिक संबंध में कोई बुराई नहीं है। लेकिन जब शादी की बात आती है तो 63 फीसदी चाहते हैं कि उन्हें कुंआरी (अक्षत) कन्या मिले।

दिल्ली के मनोचिकित्सक डॉक्टर संजय चुग कहते हैं, आज महिलाएं पहले से ज्यादा ताकतवर हैं और वे विवाहपूर्व रिश्तों के लिए तैयार भी जाती हैं, लेकिन पुरुषों की मानसिकता में बदलाव लाना बेहद मुश्किल है। शादी से पूर्व संबंध और अचानक बने संबंधों को लेकर युवाओं की झिझक खत्म हो रही है। लेकिन उन्हें पहचान के खुलासे का डर है। शहरों के हिसाब से ऐसे रिश्तों का आंकड़ा भी बदलता पाया गया है। दिल्ली में 67 फीसदी, मुंबई में 63 फीसदी, कोलकाता में 67 फीसदी, चंडीगढ़ में 67 फीसदी प्रतिभागी युवाओं ने रिलेशनशिप में होने की बात मानी है। जबकि पारंपरिक शहरों जयपुर में 28, इंदौर में 32, चेन्नई में यह आंकड़ा 35 फीसदी है। राष्ट्रीय औसत 49 फीसदी है।

यहीं नहीं, राष्ट्रीय औसत के 49 में से सिर्फ 24 फीसदी का मानना है कि वे अपने ब्वॉयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं। अपने साथी से धोखेबाजी के मामले में चंडीगढ़ के युवा 45 फीसदी के साथ सबसे ऊपर पर रहे। दिल्ली में 41 फीसदी ने माना कि वे रिश्ते में धोखा भी देते हैं। पुणे ऐसा शहर रहा, जिसके 44 फीसदी प्रतिभागियों ने माना कि वे विवाहपूर्व रिश्ते में हैं, उनमें से सिर्फ 25 फीसदी ने कहा कि वे अपने साथी के साथ धोखा भी कर सकते हैं।


मुंबई के यौन विशेषज्ञ दीपक जुमानी ने कहते हैं कि पहले शादी का मतलब अच्छे पैसे और सामाजिक रुतबे वाले जीवनसाथी को खोजना था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब लड़के और लड़कियां दोनों भावनात्मक, सेक्स संबधों को अहमियत देते हैं। रिलेशनशिप का मतलब सिर्फ शादी ही नहीं रहा। चाहे वह एक रात का साथ हो लिव इन में रहने का वादा हो, शादी उनकी प्राथमिकता में नहीं है। हालांकि 53 फीसदी प्रतिभागियों ने माना कि तलाक उनके लिए विकल्प नहीं है और शादी के बाद किसी से अचानक रिश्ते को सही मानते हैं। केवल 11 फीसदी का मानना है कि उनका साथी ऐसा करने पर उन्हें माफ कर सकता है। केवल 25 फीसदी का मानना है कि अगर पुरुष ऐसा करता है तो उसकी पत्नी को भी ऐसा करने की छूट होनी चाहिए। ऐसा मानने वाले पुरुषों की तादाद 13 फीसदी और महिलाओं की 36 फीसदी रही। सर्वे में शामिल 43 फीसदी युवाओं ने माना कि समलैंगिकता को स्वीकार किया जा सकता है। पिछले साल यह आंकड़ा 37 फीसदी थी।


 दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्र युक्ति अरोरा  का कहना है कि यौन संबंधों का मामला निजी है। कोई दूसरा यह तय नहीं कर सकता कि आप किससे प्यार करेंगे और क्यों करेंगे। कानून और समाज को बदलना चाहिए।

 
लिव इन ठीक पर मैं नहीं चाहती पापा को पता चले
हम मानते हैं कि अपना देश धीरे-धीरे बदल रहा है। लिव इन रिलेशनशिप को लेकर शहरी लोगों का नजरिया बदल रहा है। यहां तक की हाल के दिनों में देश की अदालतों ने भी इस मामले में कई प्रगतिशील फैसले सुनाए हैं। इसके साथ ही देश में समलैंगिक रिश्तों को भी धीरे-धीरे पर स्वीकार्यता मिलती जा रही है। अब जरा कुछ आंकड़ों पर गौर फरमाइए। पिछले साल सर्वे में 37 फीसदी युवाओं ने समलैंगिक रिश्तों को स्वीकार करने का साहस किया था। पर इस साल के सर्वे में यह आंकड़ा 43 फीसदी तक पहुंच गया है। हालांकि ये बदलाव युवाओं के एक छोटे से वर्ग में दिखाई दे रहा है। ये ज्यादातर ऐसे युवा हैं जो महानगरों और नगरों में रहते हैं।


दिल्ली में रहने वाला एक 21 साल का युवक कहता है- मैं जानता हूं कि धीरे धीरे मेरे दोस्त मेरे समलैंगिक रिश्तों के बारे में जान ही जाएंगे। वे मुङो मैं जैसा हूं स्वीकार भी करने लगेंगे। पर मेरे अंदर अभी इतना साहस नहीं है कि मैं घर जाकर अपने माता-पिता के सामने इस सच्चई का खुलासा कर सकूं। मेरे कई ऐसे रिश्तेदार हैं जो ऐसे युवाओं पर फब्तियां कसते हैं। क्या आपको लगता है कि वे मेरी असलियत स्वीकार करेंगे? कुछ इसी तरह की कहानी लिव इन रिश्तों को लेकर भी है। 24 साल के कौशल कहते हैं- मैं अपनी गर्ल फ्रेंड के साथ दिल्ली में रहता हूं। मैं उससे शादी भी करना चाहता हूं। पर मैं अपने माता पिता को ये जानकारी नहीं देना चाहूंगा कि कभी हम लीव इन रिलेशनशिप में रहा करते थे।

परंपराओं का सम्मान, विवाहपूर्व सेक्स को ना
भले ही वे अमेरिकी फास्टफूड को अपनी जीवन शैली में अपना चुके हैं। पर भारतीय युवाओं के डीएनए  में अभी भी भारतीय परंपराएं और जीवन मूल्य कायम हैं। ज्यादातर युवा चाहते हैं कि शादी के समय उनकी पार्टनर कुंआरी (अक्षत) हो। भले ही वे शादी से पहले जिस्मानी रिश्ते बनाने को गलत न मानते हों पर शादी उनके लिए अभी भी पवित्र बंधन है। मुंबई के प्रमोद राणे और दिल्ली के जीशान दोनों के विचार इस मामले में एक जैसे हैं। वे मानते हैं कि भले ही शादी से पहले हमारे रिश्ते रहें हो लेकिन शादी दो परिवारों का मिलन है। इसके साथ परंपराएं जुड़ी हैं। ज्यादातर लोग मानते हैं विवाह पूर्व सेक्स संबंध अमान्य होना चाहिए। 89 फीसदी लोग मानते हैं कि भटके हुए युवाओं को माफ नहीं किया जाना चाहिए। वहीं केवल 36 फीसदी महिलाएं मानती हैं इस मामले में धोखाधड़ी का जवाब धोखाधड़ी होना चाहिए।

45 फीसदी चंडीगढ़ के युवाओं ने माना कि हमने अपने साथी को धोखा दिया है। वहीं 21 फीसदी कोलकाता के युवा मानते हैं कि हमने धोखा दिया।

46 फीसदी उत्तर देने वाले मानते हैं कि वे लिव इन रिश्ते में कोई दिक्कत नहीं है। वहीं 2013 के सर्वे में 44 फीसदी लोगों ने इसके पक्ष में विचार दिया था।
 

87 फीसदी मानते हैं कि उनकी पत्नी को धोखा नहीं देना चाहिए, भले ही वे ऐसा कर रहे हों। वहीं महिलाएं भी इस मामले में इसी तरह सोचती हैं। केवल 36 फीसदी मानती हैं कि जैसे को तैसा व्यवहार होना चाहिए।


तलाक इस बात का विकल्प नहीं हो सकता, अगर आप शादी को ठीक से निभा नहीं पा रहे हों। हर रिश्ते में किसी तरह की समस्या हो सकती है।
आरूषी धुन्ना (21) छात्र

भारतीय मध्यम वर्ग को जीवन मूल्यों को लेकर काफी आस्था है। हम करीना कपूर जैसा उदाहरण समाज में कम ही देखते हैं जिन्होंने ने एक उम्रदराज शादीशुदा व्यक्ति को अपना पार्टनर चुना है।
- विधि अरोड़ा (21) छात्र

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