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तीनों विधानसभा सीटें जीतने पर मुख्यमंत्री के सितारे फिर बुलंदी पर

उत्तराखंड में हाल में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के तीनों विधानसभा सीटें जीतने के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत के सितारे एक बार फिर से बुलंदी पर हैं। लोकसभा चुनावों में भाजपा से बुरी तरह मात खाने वाली...

तीनों विधानसभा सीटें जीतने पर मुख्यमंत्री के सितारे फिर बुलंदी पर
एजेंसीFri, 01 Aug 2014 02:06 PM
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उत्तराखंड में हाल में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के तीनों विधानसभा सीटें जीतने के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत के सितारे एक बार फिर से बुलंदी पर हैं।

लोकसभा चुनावों में भाजपा से बुरी तरह मात खाने वाली कांग्रेस के पिछले सप्ताह हुए उपचुनाव में तीनों सीटें धारचूला, सोमेश्वर और डोइवाला जीतने के बाद मुख्यमंत्री रावत की लोकप्रियता और काबिलियत का डंका चारों ओर बजने लगा हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर महाराष्ट मुख्यमंत्री पथ्वीराज चव्हाण तक हर कोई उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रदर्शन का बखान कर रहा है जिससे रावत को एक नयी ऊर्जा मिली है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री रावत ने स्वयं भी धारचूला विधानसभा उपचुनाव लड़ा और वहां से 20000 से भी ज्यादा मतों के अंतर से विजय हासिल की। यहां राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि उत्तराखंड में कांग्रेस को वैसे भी ऐसे समय पर जीत की संजीवनी मिली है जब पार्टी राष्ट्रीय स्तर के अलावा विभिन्न प्रदेशों में भी खराब दौर से गुजर रही है। 

महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव निकट हैं और उत्तराखड में मिली जीत को कांग्रेस ने एक अहम मुद्दा बना लिया है और भाजपा पर जोरदार प्रहार करते हुए कहा है कि केवल दो महीने के अंतराल में जनता का मोदी मोह भंग हो गया है।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी बिना कोई समय गंवाये रावत की पीठ थपथपायी और कहा कि इस जीत ने सिद्घ कर दिया है कि अब भी लोग कांग्रेस की तरफ आशा से देख रहे हैं। दूसरी तरफ, चव्हाण ने भी कांग्रेस को उत्तराखंड में मिली जीत की सराहना करते हुए कहा कि महाराष्ट में भी पार्टी इसी प्रकार का प्रदर्शन दोहरायेगी।

गत 16 मई को घोषित हुए लोकसभा चुनावों के परिणामों में कांग्रेस के भाजपा के हाथों पांचों सीटें गंवाने से प्रभावित हुई रावत की छवि को भी इस जीत ने काफी राहत दी मिली है। लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस में चल रही अन्तर्कलह का दौर फिर उभर आया था जिसमें कभी रावत के साथ खड़े दिखायी देने वाले उनके ही मंत्रिमंडल के कैबिनेट मंत्री प्रीतम सिंह और हरक सिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की अगुवाई वाले विरोधी गुट का दामन थाम लिया।

हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय जैसे पार्टी के कुछ कद्दावर नेताओं ने इस अन्तर्कलह को दबाने की कोशिश की है लेकिन विरोधी गुट के तेवर अब भी ढीले नहीं पड़े हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि बहुगुणा अपने लिये राज्यसभा की सीट और अपने चहेते विधायकों के लिये कैबिनेट में जगह चाहते हैं जिसके लिये उन्होंने हाल में पार्टी आलाकमान से भी बात की है।

हालांकि, जानकार सूत्रों का कहना है कि तीन सीटों पर विजय हासिल करने वाले रावत को पार्टी आलाकमान ने इस संबंध में खुद निर्णय लेने की खुली छूट दे दी है। इस संबंध में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री रावत ने फिलहाल मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना से इंकार किया है जिससे भी इस बात की पुष्टि हो गयी है कि वह किसी प्रकार के दबाव में नहीं है।

तीन विधानसभा सीटें जीतकर सदन में बहुमत के 36 के आंकडे़ से सिर्फ एक सीट पीछे रह जाने का हवाला देते हुए बहुगुणा गुट रावत पर सात सदस्यीय प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा (पीडीएफ) के सदस्यों को मंत्रिमंडल से बाहर किये जाने का दबाव बना रहा है। हालांकि रावत ने इस संबंध में भी साफ कर दिया कि पीडीएफ सरकार का सहयोगी है और आगे भी यह साथ बनाये रखा जायेगा।

दूसरी तरफ, प्रदेश अध्यक्ष उपाध्याय ने इस बात पर जोर दिया कि सभी नेताओं से सामंजस्य बनाये रखा जायेगा और उनकी कोशिश रहेगी कि उपचुनाव में मिली जीत 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी दोहरायी जाये और पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करे। उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह से इस संबंध में बात की है और आग्रह किया है कि पार्टी के हित में सभी नेता मिलजुल कर काम करें।  

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