कोयला किल्लत से बंद करनी पड़ी रिहंद की पहली इकाई
ऊर्जाचल में एनटीपीसी के बिजलीघरों में कोयले का संकट गहरा गया है। विंध्याचल बिजलीघर में कोयले की कमी के चलते तीन इकाइयों से उत्पादन ठप है जबकि रिहन्द बिजलीघर की भी 500 मेगावाट क्षमता की पहली इकाई को...
ऊर्जाचल में एनटीपीसी के बिजलीघरों में कोयले का संकट गहरा गया है। विंध्याचल बिजलीघर में कोयले की कमी के चलते तीन इकाइयों से उत्पादन ठप है जबकि रिहन्द बिजलीघर की भी 500 मेगावाट क्षमता की पहली इकाई को मंगलवार देर रात बन्द करना पड़ा। सिंगरौली बिजलीघर में भी हालात बदतर हैं। पूरी क्षमता से उत्पादन के लिए यहां भी कोयला मयस्सर नहीं है। तीनों बिजलीघरों में कोयला स्टाक लगभग खत्म है। रोज मिल रहे कोयले से ही मशीनें चलायी जा रही हैं। इकाइयां बंद होने से प्रदेश में बिजली संकट गहरा रहा है।
कोयला न होने पर 4260 मेगावाट के विंध्याचल बिजलीघर में पांच सौ मेवा की 11वीं इकाई को 13 जुलाई को बंद करना पड़ा था। बाद में इस इकाई को अनुरक्षण के लिए बंद कर दिया गया। कोयला किल्लत बरकरार रही तो 27 जुलाई को दूसरी और पांचवीं इकाई को भी बंद कर दिया गया। 3000 मेगावाट के रिहन्द बिजलीघर में भी मंगलवार की देर रात 500 मेगावाट की पहली इकाई बंद कर दी गयी। एनटीपीसी का लगभग 1500 मेगावाट उत्पादन कोयला किल्लत से प्रभावित हो चुका है। कोयला की कमी अब भी बरकरार है। मंगलवार तक सिंगरौली में 68 हजार, रिहन्द में 40 हजार टन और विंध्याचल में शून्य कोयला स्टाक था जबकि रोजाना खपत क्रमश: 32 हजार टन, 48 हजार टन और 72 हजार टन है। एनसीएल कोयले की तयशुदा मात्रा (एनुअल कांट्रेक्टेड क्वांटिटी) का अभी तक 86 से शत-प्रतिशत आपूर्ति का दावा कर रहा है।