फोटो गैलरी

Hindi Newsमौत आती है पर नहीं आती

मौत आती है पर नहीं आती

मरते हैं आरजू में मरने की, मौत आती है पर नहीं आती। मिर्जा गालिब का यह शेर कभी इच्छामृत्यु के संदर्भ में भी पढ़ा जाएगा, सोचा नहीं था। विश्व में कई मुद्दे ऐसे हैं, जो मूच्र्छित अवस्था में रहते हैं। वे...

मौत आती है पर नहीं आती
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 24 Jul 2014 08:45 PM
ऐप पर पढ़ें

मरते हैं आरजू में मरने की, मौत आती है पर नहीं आती। मिर्जा गालिब का यह शेर कभी इच्छामृत्यु के संदर्भ में भी पढ़ा जाएगा, सोचा नहीं था। विश्व में कई मुद्दे ऐसे हैं, जो मूच्र्छित अवस्था में रहते हैं। वे जब-जब होश में आते हैं, तो व्यापक बहस को जन्म देते हैं। ऐसा ही एक संवेदनशील विषय है- इच्छा-मृत्यु, जिसने तमाम सरकारों व अदालतों के सामने समय-समय पर चुनौती खड़ी की है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इस विषय पर केंद्र व राज्य सरकारों से अपनी राय देने के लिए कहा है। यह मुद्दा विरल परिस्थितियों की उपज है, जहां दोनों ओर मजबूरी भी है और मानवता भी। प्रत्येक देश अपने सामाजिक, दार्शनिक व नैतिक आधारों के आलोक में इस पर विचार करता है। अलबत्ता, सक्रिय व निष्क्रिय इच्छा-मृत्यु पर हमेशा विवाद रहा है। निष्क्रिय दया-मृत्यु यानी लाइलाज परिस्थिति में इलाज बंद कर देना या जीवन रक्षक प्रणाली को हटा देना।

इसे दुनिया के कई देशों में कानूनी मान्यता है, पर यदि मरीज दिमागी तौर पर अपनी मौत की मंजूरी देने में असमर्थ हो, तब उसे दवा द्वारा मृत्यु देना पूरी दुनिया में गैर-कानूनी है। सक्रिय इच्छा-मृत्यु में मरीज की पूर्ण मंजूरी के बाद डॉक्टर दवा देकर जीवन पर पूर्ण विराम लगाते हैं। भले ही किसी देश में इच्छा-मृत्यु को वैधानिक मान्यता मिल जाए, पर भारतीय संसद व न्यायालय के सामने बड़ी चुनौती यहां की आस्थाओं से घिरी जिंदगी है। यहां डॉक्टर भगवान का पर्याय है व डॉक्टर भगवान पर भरोसा रखने के लिए भी कहता है। ऐसे में, इच्छा-मृत्यु के सवाल से जूझना आसान होगा?
हर्फ में अंजुम शर्मा

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें