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दुनिया की हर तीसरी बालिका वधू भारत में

यूनीसेफ की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया के उन प्रमुख देशों में शामिल है जहां सबसे अधिक बाल विवाह होते हैं। इस रिपोर्ट का शीर्षक है, बाल विवाह की समाप्ति : प्रगति और संभावनाएं। बाल...

दुनिया की हर तीसरी बालिका वधू भारत में
एजेंसीWed, 23 Jul 2014 12:48 PM
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यूनीसेफ की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया के उन प्रमुख देशों में शामिल है जहां सबसे अधिक बाल विवाह होते हैं। इस रिपोर्ट का शीर्षक है, बाल विवाह की समाप्ति : प्रगति और संभावनाएं।

बाल विवाह में छठा प्रमुख देश भारत
- नाइजर बाल विवाह के मामले में दुनिया के शीर्ष 10 देशों में पहला है
- नेपाल का इस सूची में दसवां स्थान है, नौवें स्थान पर बुरकिना फासो है
- सूची में बांग्लादेश, चाड, माली, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, गिनी व इथोपिया भी शामिल हैं

बाल विवाह के दुष्परिणाम
- लड़कियों के कम उम्र में मां बनने से मौत का अधिक अंदेशा
- कम उम्र मांओं के बच्चे हो सकते हैं अविकसित-अस्वस्थ
- कम उम्र में यौन संबंध के से जननांगों में विकृति की संभावना
- बाल वधुओं के घरेलू हिंसा की चपेट में आने का खतरा अधिक
- बिहार, राजस्थान, झारखंड, यूपी, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में बाल विवाह की बड़ी समस्या है

राह दिखाती बेटियां
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले की संगीता बौरी ने न केवल खुद को बल्कि दूसरी अनेक लड़कियों को भी बाल वधू बनने से बचाया है। संगीता जब 15 साल की हुई तो परिवारवालों ने उसकी जबरन शादी करानी चाही, लेकिन उसने असाधारण हिम्मत दिखाते हुए अपनी शादी रुकवा दी। उसके गांव की दो और लड़कियों, बीना कालिंदी और मुक्ति मांझी ने भी बचपन में शादी से इनकार कर दिया। इन लड़कियों को दिसंबर 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने सम्मानित किया। संगीता आज एक मिसाल बन चुकी है।  

तेजी से गिर रहा लिंगानुपात
नई दिल्ली।  संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बच्चों की आबादी में लिंगानुपात तेजी से गिर रहा है जिसकी रोकथाम के लिए तुरंत कदम उठाना चाहिए। ‘लिंगानुपात और लिंग आधारित भ्रूण परीक्षण : इतिहास, विमर्श और भावी दिशानिर्देश’ नामक इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बाल लिंगानुपात में चिंताजनक गिरावट हुई है। 1961 में जहां प्रति एक हजार लड़कों के मुकाबले 976 लड़कियां थीं, वहीं 2011 में प्रति एक हजार लड़कों के मुकाबले 918 लड़कियां रह गईं।

संयुक्त राष्ट्र महिला द्वारा तैयार की गई यह रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई। लैंगिक समानता एवं महिलाओं की अधिकारिकता के लिए काम करने वाला संयुक्त राष्ट्र महिला, संयुक्त राष्ट्र का एक संगठन है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत उन कुछ चुने हुए देशों में से है, जहां लड़कों के मुकाबले लड़कियों का मृत्यु दर बेहद बदतर है। संयुक्त राष्ट्र महिला की उपनिदेशक लक्ष्मी पुरी ने यह रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, लिंग के आधार पर भ्रूण का परीक्षण लड़कियों और महिलाओं के प्रति सामाजिक नजरिए की सबसे पहली और अग्रिम झलक है। लिंगानुपात में गिरावट से देश में आर्थिक और सामाजिक प्रगति का पता चलता है। हमारे समाज में महिलाओं की हैसियत बोझ वाली बनी हुई है।

दुनिया का हाल
25 करोड़ महिलाएं तो 15 साल से भी कम उम्र में ही ब्याह दी गईं
70 करोड़ से अधिक महिलाएं 18 साल से कम उम्र में ब्याही गईं

दक्षिण एशिया में समस्या
42 फीसदी बाल वधुएं दक्षिण एशिया में हैं।
दक्षिण एशियाई और उप सहारा अफ्रीकी इलाकों में बाल विवाह आम है।
33 फीसदी बाल वधुएं अकेले भारत में हैं।
भारत उन दस शीर्ष देशों में है जहां बाल विवाह की सबसे ऊंची दर है।
बाल विवाह के खिलाफ कानूनी जंग।
18 साल से कम उम्र में लड़की का और 21 साल से कम उम्र में लड़के का विवाह बाल विवाह है।
1929 में बाल विवाह गैरकानूनी बनाया गया, तब लड़की-लड़का की शादी की उम्र 15 व 18 वर्ष थी।
1950 में संविधान लागू होने के बाद कई संशोधन हुए, 1978 में मौजूदा उम्र सीमा तय।
2006 में कानून बनाकर बाल विवाह पर आर्थिक जुर्माना और कैद की सजा का प्रावधान किया गया।  

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