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नेपाल में अमेरिकी खेल को अनदेखा न करे भारत

अमेरिका नेपाल में माआेवादियों की चुनी गई वैध सरकार को सत्ता में आने से रोकने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रहा है इससे वहां अस्थिरता पैदा हो सकती है तथा चीन को कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करने का मौका...

 नेपाल में अमेरिकी खेल को अनदेखा न करे भारत
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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अमेरिका नेपाल में माआेवादियों की चुनी गई वैध सरकार को सत्ता में आने से रोकने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रहा है इससे वहां अस्थिरता पैदा हो सकती है तथा चीन को कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करने का मौका मिल सकता है। नेपाल में काम कर चुके पूर्व भारतीय राजदूत देव मुखर्जी ने शुक्रवार को एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए यह आशंका व्यक्त की। उन्होंने कहा कि फिर सारी संभावना खत्म हो जाएगी जो चिंता की बात है। भारत को इन सारी संभावनाआें को ध्यान मंे रखना चाहिए उन्होनंे कहा कि तिब्बत की स्थिति को देखते हुए चीन इस पर सख्त प्रतिक्रिया जाहिर कर सकता है। एक पड़ोसी एवं बड़े देश की हैसियत के बावजूद वह नेपाल में अपनी आेर से कोई हस्तक्षेप नहीं करने वाला है उसकी नेपाल में कोई संरक्षण वाली भूमिका नहीं है। यह संगोष्ठी ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने ‘नेपाल की स्थिति और भारत के लिए नीतिगत विकल्प’ विषय पर आयोजित किया गया था। मुखर्जी ने कहा कि नेपाली सेना में अमेरिका की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए चीन को यह अंदेशा पैदा हो सकता है कि इससे तिब्बत पर असर पड़ेगा तब चीन को प्रतिक्रिया जाहिर पड़ेगी। मुखर्जी ने दावा किया कि नेपाली कांग्रेस में कुछ ऐसे तत्व हैं जो नेपाली प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला को पद पर बने रहने के लिए दबाव डाल रहें है। उन्होनंे सवाल किया कि कौन लोंगो को इसके लिए उकसा रहा है। पूर्व राजदूत ने कहा कि अगर कोईराला पद से हटने से इंकार कर देते हैं तो इससे संवैधानिक संकट पैदा होगा। उन्हें इस स्थिति में दो तिहाई बहुमत सिद्ध करना होगा जो कि उनके लिए टेढ़ी खीर साबित होगा दूसरे यह कदम जनमत के खिलाफ जाएगा। यह संभव है कि कोइराला का ऐसा सोचना राजनीतिक सौदेबाजी का हिस्सा हो क्योंकि हर बीस उम्मीदवारों में से उनके केवल दो ही प्रत्याशी चुनाव अखाड़े में टिक सके यहां तक कि उनकी पुत्री तक जमानत बचाने में नाकाम रहीं। मुखर्जी और अन्य वक्ताआें ने आशा जताई कि राजा बुद्धिमानी का परिचय देते हुए 28 मई तक शाही महल खाली कर देंगे। इस तारीख को संविधान सभा की बैठक तय है। वक्ताआें का मत था कि भारत सरकार को 10 में हुई भारत नेपाल संधि की समीक्षा करने का मन बना लेना चाहिए। इस संधि के कई प्रावधान बेकार और अप्रभावी हो चुके हैं। भारत और नेपाल को समान शतर्ों पर आधारित एक ऐसी समग्र संधि करनी चाहिए जिसमें पारदर्शिता की पर्याप्त संभावनाएं हों। माआेवादी इस समझौते को वर्तमान नजरिए से देखने के इच्छुक रहें हैं। कई नेपाली राजनेता राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए अक्सर भारत की आलोचना करते हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) नेता डी राजा ने कहा कि भारत ने भूटान के साथ संधि की समीक्षा की है साथ ही नेपाल के साथ हुई संधि की समीक्षा की भी बात कही है। नेपाल जैसे पड़ोसी देशों के साथ बेहतर, दोस्ताना और सहयोगात्मक रिश्ते होने चाहिए।

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