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सुब्रहमण्यम मुद्दे पर सीजेआई के नाखुशी जाहिर करने पर मिश्रित प्रतिक्रिया

गोपाल सुब्रहमण्यम के शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के लिए अपनी सहमति के वापस लेने से जुड़े विवाद में प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा के नाखुशी जताने पर विशेषज्ञों ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी...

सुब्रहमण्यम मुद्दे पर सीजेआई के नाखुशी जाहिर करने पर मिश्रित प्रतिक्रिया
एजेंसीTue, 01 Jul 2014 10:46 PM
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गोपाल सुब्रहमण्यम के शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के लिए अपनी सहमति के वापस लेने से जुड़े विवाद में प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा के नाखुशी जताने पर विशेषज्ञों ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। सीजेआई ने कहा है कि चार लोगों की सूची से कार्यपालिका ने एकतरफा तरीके से बिना उनकी जानकारी और सहमति के सुब्रहमण्यम के नाम को अलग किया। इन चार नामों की सिफारिश उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर करने के लिए की गई थी।

वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने कहा कि सीजेआई की जानकारी के बिना सिफरिशों में से एक नाम को अलग करना और उसके बाद सुब्रहमण्यम द्वारा पत्र को मीडिया में जारी किए जाने की घटना ने स्थिति को जटिल बना दिया है। वहीं, अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि मामला बंद हो चुका है क्योंकि सीजेआई ने सभी तथ्यों को सार्वजनिक करके स्थिति को स्पष्ट कर दिया है।

उन्होंने कहा कि सीजेआई ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने सभी तथ्यों को सार्वजनिक कर दिया है। उन्होंने कहा है कि उन्होंने गोपाल सुब्रहमण्यम से बातचीत की, जिन्होंने कहा कि वह अब और (उच्चतम न्यायालय में पदोन्नति के लिए) अपनी उम्मीदवारी को आगे नहीं बढ़वाना चाहते हैं।

अटॉर्नी जनरल ने रोहतगी ने कहा, सुब्रहमण्यम ने कहा कि उनका नाम वापस लेना अंतिम है। अध्याय बंद हो गया है। सीजेआई ने सबकुछ सार्वजनिक किया है क्योंकि सुब्रहमण्यम ने सीजेआई से सलाह-मशविरा किए बिना अपने पत्र में जनता के साथ सब कुछ साझा किया। सीजेआई ने पूरी तरह पारदर्शी बनकर अच्छा काम किया है। एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि सुब्रहमण्यम के मनोनयन को बंद नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सीजेआई ने जो कहा है उसका मैं स्वागत करता हूं। सवाल यह है कि अगला कदम क्या है। अब तक सरकार के मंत्रियों ने गोपाल सुब्रहमण्यम की आलोचना की है लेकिन कोई भी रिपोर्ट सीजेआई के पास नहीं भेजी गई। मैं यह चाहता हूं कि अगर रिपोर्ट भेजी जाती है तो कॉलेजियम उसका सावधानी से परीक्षण करेगा। सुब्रहमण्यम के मनोनयन को बंद नहीं किया जाना चाहिए लेकिन लंबित रखा गया है।

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