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दो साल बाद मां की गोद में पहुंचा फैजान

राम मनोहर लोहिया अस्पताल से अगवा हुआ छह वर्षीय फैजान आखिरकार दो साल बाद अपने माता-पिता की गोद में पहुंच गया। पुलिस द्वारा कराए गए डीएनए टेस्ट से यह साबित हो गया कि वही दंपति का जैविक पुत्र है। उधर,...

दो साल बाद मां की गोद में पहुंचा फैजान
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 28 Jun 2014 10:57 AM
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राम मनोहर लोहिया अस्पताल से अगवा हुआ छह वर्षीय फैजान आखिरकार दो साल बाद अपने माता-पिता की गोद में पहुंच गया। पुलिस द्वारा कराए गए डीएनए टेस्ट से यह साबित हो गया कि वही दंपति का जैविक पुत्र है। उधर, दंपति के पास डेढ़ वर्षों तक रहने वाले दूसरे बच्चे को फिलहाल बाल गृह में ही रखा गया है।

गौरतलब है कि हिन्दुस्तान ने बीते तीन जून को इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। पुलिस के अनुसार दो जून को एफएसएल में कराए गए डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आ गई है। इसमें बताया गया है कि दंपति का डीएनए फैजान से मेल खा रहा है। गुरुवार को इसकी जानकारी संभल में रहने वाले बच्चे के पिता सादिक को दी गई। उसने तुरंत यह खबर अपनी पत्नी जवीना को बताई। इसके बाद तो उन्हें जैसे रातभर नींद ही नहीं आई। दोनों जल्द से जल्द सुबह होने का इंतजार करने लगे। सुबह होते ही वह तैयार होकर बस से दिल्ली आ पहुंचे।
 
पुलिस की मदद से वह उस बाल गृह में पहुंचे, जहां उनके लाडले को रखा गया था। शुक्रवार को यह बच्चा कागजी कार्यवाही पूरी करने के बाद परिजनों को सौंप दिया गया।

माता-पिता को देखते ही बच्चा भागकर उनकी गोद में चढ़ गया। वह उनसे लिपटकर रोने लगा। बच्चे को गले लगाकर माता-पिता की आंखों से भी आंसू छलक आए। जवीना ने बताया कि फैजान के मिलने की खबर आने के बाद से वह उसे गले लगाने को तरस रही थी। दूसरे बच्चे को लेकर जब वह दिल्ली पहुंची तो पुलिस ने उसे भी बाल गृह भेज दिया। दोनों बच्चों के चले जाने से उसका दिल टूट गया था। वह बीमार रहने लगी थी।
लेकिन अब फैजान के मिलने से उसे नया जीवनदान मिल गया है। शुक्रवार शाम बेटे को लेकर दंपत्ति वापस संभल चला गया।

क्या था पूरा मामला
16 जुलाई 2012 को दंपति का चार वर्षीय बेटा फैजान अगवा कर लिया गया था। कुछ माह बाद पुलिस ने उन्हें दूसरा बच्चा सौंप दिया था जिसका हुलिया उनके बेटे से मिलता-जुलता था। लेकिन मई 2014 में जब दो महिला अपहरणकर्ताओं को पुलिस ने पकड़ा तो उनके पास से छह वर्षीय एक बच्चा मिला। महिलाओं ने बताया कि इस बच्चे को उन्होंने जुलाई 2012 में राम मनोहर लोहिया अस्पताल से अगवा किया था।

कराया गया था डीएनए टेस्ट
बीते मई माह में जब महिला अपहरणकर्ताओं के पास से पुलिस को अगवा किया गया बच्चा मिला तो पूरा मामला उलझ गया। दरअसल अगवा किए गए बच्चे के परिजन दूसरा बच्चा ले चुके थे। ऐसे में दंपति के असली बेटे की पहचान करना जरूरी था। इसलिए पुलिस ने एफएसएल में दंपति एवं दोनों बच्चों का डीएनए टेस्ट करवाया जिससे उनके जैविक पुत्र का पता लगाया जा सके।

परिजनों को तलाशना चुनौती
पुलिस ने भले ही फैजान को परिजनों से मिला दिया हो, लेकिन दूसरे बच्चे को उसके परिजनों से मिलाना अभी बाकि है। वह बच्चा डेढ़ साल पहले अक्षरधाम मंदिर के पास लावारिस हालात में मिला था। उसे अपने माता-पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। पुलिस के लिए उसके परिजनों को तलाशना एक नई चुनौती है।

पुलिस को दिया धन्यवाद
फैजान को पाने के बाद परिजनों ने पुलिस को भी धन्यवाद दिया। दंपति ने कहा कि पुलिस ने भले ही गलती से उन्हें दूसरा बच्चा दे दिया था, लेकिन आखिरकार उनका बेटा उन्हें मिल ही गया। इतना ही नहीं पुलिस ने डीएनए रिपोर्ट के लिए दिए गए दो माह के समय को भी कम करवाया ताकि उन्हें जल्द उनका बेटा मिल सके।

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